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निकाय और पंचायत चुनाव के बाद छत्तीसगढ़ में कुछ बड़े प्रशासनिकल बदलाव नजर आएंगे। इनमें से ही एक है पीएचक्यू में बैठे आईपीएस को मैदान में उतारा जाएगा। मैदान भी ऐसा जिसमें खूब कमाई होगी। यह आईपीएस कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे एक नेताजी के करीबी हैं। इनके साथ पढ़े अफसर सीएम साहब के करीबी हैं। इसलिए सीएम हाउस इन आईपीएस पर मेहरबान है।
आचार संहिता हटने के बाद इनका ऑर्डर जारी करने की तैयारी हो चुकी है। वहीं निकाय चुनाव में फिफ्टी-फिफ्टी के आंकड़े ने बीजेपी को टेंशन में डाल दिया है। छत्तीसगढ़ की ऐसी ही अनसुनी खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।
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कांग्रेस नेता के करीबी अफसर को मेन स्ट्रीम में ला रहा सीएम हाउस
सिंहासन छत्तीसी में हम आपको बता रहे हैं एक ऐसी कहानी जो कुछ दिनों बाद सामने आ सकती है। कांग्रेस के एक नेता के करीबी अफसर को मेन स्ट्रीम यानी फ्रंट लाइन में लाने की तैयारी चल रही है। ये नेता पिछली भूपेश सरकार में मंत्री थे। इन नेताजी के सबसे करीबी आईपीएस अफसर है। ये अधिकारी फिलहाल पीएचक्यू में हैं।
इनको ही अब फील्ड में लाने की तैयारी की जा रही है। इनकी नई ताजपोशी की इबारत इनके एक क्लासमेट ने ही लिखी है। वे भी आईपीएस हैं। सीएम के एक खास सिपहसालार ने यह सारी तैयारी कर ली है। अब निकाय और पंचायत चुनाव की आचार संहिता हटने का इंतजार है। सीएम हाउस की तरफ से इनकी नई पोस्टिंग सरगुजा में की जाएगी। सरगुजा वैसे भी छत्तीसगढ़ में कमाई वाला इलाका माना जाता है।
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इस इलाके से पड़ोसी राज्यों में भी कई चीजों की आवाजाही आसानी से हो जाती है। अब साहब जल्द ही फ्रंट लाइन में नजर आने वाले हैं। इस पूरे मामले में चौंकाने वाली बात ये भी है कि साहब को न संघ पसंद करता है और न ही बीजेपी के खांटी नेता।
सूत्र बताते हैं कि इन साहब के खिलाफ कई बार संघ के लोग सीएम हाउस को बता चुके हैं। इनके खिलाफ बीजेपी नेताओं की कई चिट्ठियां ईडी,सीबीआई,एसीबी और ईओडब्ल्यू में भेजी गई हैं। लेकिन हुआ कुछ नहीं। कांग्रेस नेता की जी हुजूरी जारी है लेकिन इनके साथी सीएम के करीबी है जो अपने हिसाब से प्रशासनिक फैसले ले रहे हैं।
फिफ्टी-फिफ्टी से टेंशन में बीजेपी
इन दिनों निकाय चुनाव जोरों पर हैं। अब तक के चुनाव प्रचार के बाद जनता की पल्स जानने के लिए बीजेपी संगठन ने जानकारी जुटाई है। यह जानकारी कार्यकर्ताओं के फीडबैक और जनता से पूछताछ कर जुटाई गई है। इस रिपोर्ट मे यह सामने आया है कि बीजेपी निगम चुनाव में अभी फिफ्टी-फिफ्टी पर ही पहुंच पाई है। यानी 10 नगर निगम में से बीजेपी और कांग्रेस के हिस्से में आधी-आधी सीटें आ रही हैं। यह जानकार बीजेपी परेशान और कांग्रेस खुश है।
कांग्रेस भले ही पिछली बार की तुलना में आधी सीटें हार रही हो लेकिन वो आधी सीटों को ही अपनी संजीवनी मान रही है। वहीं बीजेपी के लिए यह झटका है। अब बीजेपी ने अगले दो दिनों में हार को जीत में बदलने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। काम अब उपरी कम और अंदरुनी ज्यादा हो रहा है।
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दिन बदलने के इंतजार में आईपीएस
पीएचक्यू में बैठे एक वरिष्ठ आईपीएस को अपने दिन बदलने का इंतजार है। इन्होंने कानूनी लड़ाई लड़कर भले ही जीत हासिल कर ली हो लेकिन इनके सितारे फिलहाल तो गर्दिश में है। रैंक भले ही डीजी की हो लेकिन अभी हाथ में कोई ऐसा काम नहीं है जिसमें ये कुछ कमाल दिखा सकें।
यानी ये अभी बिना काम के हैं। नए डीजीपी की ताजपोशी से अब इनको अपने दिन बदलने का इंतजार है। इनको अब उम्मीद जगी है कि कुछ काम की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आएगी। वैसे ये आईपीएस सत्ताधारी पार्टी के करीबी माने जाते हैं लेकिन फिर भी इनको अपने अच्छे दिनों के लिए इतना इंतजार करना पड़ रहा है।
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