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Raipur. छत्तीसगढ़ कैडर के 2013 बैच के आईपीएस अधिकारी जितेंद्र शुक्ला को केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) में ग्रुप कमांडर के पद पर नियुक्त किया है। इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने छत्तीसगढ़ सरकार को आधिकारिक पत्र भेजकर जानकारी दी है और उन्हें तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त करने के निर्देश दिए हैं।
पत्र में स्पष्ट किया गया है कि जितेंद्र शुक्ला को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के तहत एनएसजी में एसपी स्तर के पद पर तैनात किया गया है। उनकी यह नियुक्ति सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
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उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से NSG तक का सफर
आईपीएस जितेंद्र शुक्ला मूल रूप से उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (वर्तमान प्रयागराज) के निवासी हैं।
- जन्म: 22 सितंबर 1983
- स्कूली शिक्षा: राजकीय इंटर कॉलेज, इलाहाबाद
- स्नातक: इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए
- स्नातकोत्तर: भूगोल विषय में एमए
पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की और कई असफलताओं के बावजूद लक्ष्य से पीछे नहीं हटे।
संघर्ष के बाद UPSC में सफलता
IPS जितेंद्र शुक्ला के पिता उनके लिए इंजीनियरिंग करियर चाहते थे, लेकिन 12वीं के बाद उन्होंने आर्ट्स स्ट्रीम चुनी। पहले प्रयास में प्रीलिम्स भी क्लियर नहीं हुआ। 2009 और 2010 में भी असफलता मिली।
2011 में उन्होंने तैयारी से गैप लिया। 2012 की UPSC परीक्षा में 243वीं रैंक हासिल कर आईपीएस बने। उन्होंने हिंदी साहित्य और भूगोल को वैकल्पिक विषय के रूप में चुना था। आईपीएस बनने से पहले वे UPPSC के जरिए ट्रेजरी ऑफिसर के पद पर भी चयनित हुए थे।
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देखें आदेश
2013 में IPS सेवा जॉइन, छत्तीसगढ़ में लंबा अनुभव
जितेंद्र शुक्ला ने 2 सितंबर 2013 को आईपीएस सेवा जॉइन की। प्रशिक्षण के दौरान वे बिलासपुर में रहे और कोटा थाना प्रभारी के रूप में कार्य किया। इसके बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ के कई संवेदनशील जिलों में अहम जिम्मेदारियां संभालीं—
- अंबिकापुर – सीएसपी
- सुकमा – एडिशनल एसपी
- सुकमा, महासमुंद, कोरबा, राजनांदगांव और दुर्ग – पुलिस अधीक्षक
नक्सल प्रभावित इलाकों में उनकी सेवाओं को विशेष रूप से अहम माना जाता है।
NSG में नियुक्ति क्यों है खास?
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (national security guard- NSG) देश की सबसे विशिष्ट और प्रशिक्षित सुरक्षा बलों में से एक है। NSG का गठन 1986 में नेशनल सिक्योरिटी गार्ड एक्ट के तहत किया गया। यह बल आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए तैयार किया गया है।
NSG को केवल बेहद गंभीर आतंकी हमलों की स्थिति में ही तैनात किया जाता है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी NSG के पास होती है। कुछ चुनिंदा VVIPs की सुरक्षा भी NSG ही संभालता है।
1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद देश में ऐसी एक विशेष फोर्स की आवश्यकता महसूस की गई थी, जिसके बाद NSG का गठन हुआ।
‘जीरो एरर फोर्स’ मानी जाती है NSG
NSG खुद को “जीरो एरर फोर्स” मानती है, यानी इसमें गलती की कोई गुंजाइश नहीं होती। ऐसे में जितेंद्र शुक्ला की नियुक्ति यह दर्शाती है कि केंद्र सरकार ने उनके अनुभव, नेतृत्व क्षमता और प्रोफेशनल रिकॉर्ड पर भरोसा जताया है।
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