छत्तीसगढ़ के बस्तर जिला मुख्यालय जगदलपुर के लाल बाग मैदान के पास स्थित झीरम स्मारक है। यह स्मारक उन लोगों की याद में बनाया गया है, जिनकी नक्सलियों हत्या कर दी थी। यह स्मारक शराबियों का अड्डा बन गया है। इस स्मारक में महेंद्र कर्मा सहित अन्य की मुर्तियां स्थापित हैं, जिन्हें नक्सली हमले में अपनी जान गंवानी पड़ी थी। अब यह स्थान शराबियों की हरकतों के कारण बदनाम हो रहा है। शराबियों ने न केवल स्मारक की संरचना को नुकसान पहुंचाया, बल्कि मुर्तियों के साथ भी छेड़छाड़ और अपमानजनक व्यवहार किया है।
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शराबियों की करतूत
झीरम स्मारक में शराबियों ने हदें पार कर दी हैं। स्मारक में लगी महेंद्र कर्मा की प्रतिमा पर शराब की बोतलें तोड़ी गई हैं। प्रतिमा के सिर और नीचे की जमीन पर कांच के टुकड़े बिखरे पड़े हैं, जो इस बात का सबूत हैं कि शराबियों ने जानबूझकर प्रतिमा को निशाना बनाया। ऐसा प्रतीत होता है कि यह केवल नशे की हरकत नहीं, बल्कि उनके प्रति गुस्सा या अपमानजनक रवैया भी हो सकता है।
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स्मारक की मूर्ति के साथ भी छेड़छाड़
स्मारक की मूर्तियों के साथ भी छेड़छाड़ की गई है। स्मारक की संरचना को तोड़ा गया है, और इसके नीचे बैठकर शराबी रात के समय शराब पीते हैं। वहां पड़ी शराब की खाली बोतलें, कांच के टुकड़े, खाने-पीने के सामान के रैपर और अन्य कचरा इस बात की गवाही देता है कि यह स्थान अब शराबियों का नियमित अड्डा बन चुका है।
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स्मारक की बदहाली
झीरम स्मारक 2013 में हुए नक्सली हमले में मारे गए नेताओं और कार्यकर्ताओं की स्मृति में बनाया गया था, अब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। इस स्मारक का निर्माण आने वाली पीढ़ियों को उनकी शहादत की याद दिलाने के लिए किया गया था। लेकिन आज यह स्थान शराबियों की गंदगी और तोड़फोड़ का शिकार हो गया है। स्मारक के नीचे की संरचना को तोड़ दिया गया है, और वहां बैठकर शराबी रात में जाम छलकाते हैं। स्मारक के आसपास का माहौल इतना खराब हो चुका है कि अब सम्मान देने के बजाय अपमान का प्रतीक बनता जा रहा है।
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स्थानीय लोगों और प्रशासन की चुप्पी
इस मामले में सबसे चिंताजनक बात यह है कि स्थानीय लोगों और प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। स्मारक की इस हालत के बावजूद इसे सुधारने या शराबियों को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि रात के समय यह क्षेत्र सुनसान हो जाता है, जिसका फायदा शराबी उठाते हैं। स्मारक के रखरखाव की जिम्मेदारी संभालने वाली संस्थाओं और प्रशासन की उदासीनता के कारण यह पवित्र स्थल बदहाल हो रहा है।
परिवार और समाज का दर्द
झीरम स्मारक की इस हालत से शहीदों के परिवार और समाज में गहरा आक्रोश है। महेंद्र कर्मा के परिजनों और समर्थकों का कहना है कि यह न केवल अपमान है, बल्कि बस्तर की जनता का भी मजाक है। उन्होंने प्रशासन से इस मामले में तुरंत कार्रवाई करने और स्मारक की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।
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