छत्तीसगढ़ के जामगांव में धर्मांतरण विरोधी कदम, पास्टरों के प्रवेश पर लगाई रोक

छत्तीसगढ़ के जामगांव में ग्रामीणों ने पादरियों और पास्टरों के प्रवेश पर रोक लगाकर धर्मांतरण विरोध में बड़ा कदम उठाया। क्या यह निर्णय गांव की परंपराओं की रक्षा कर पाएगा? जानें पूरी कहानी।

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Harrison Masih
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Kanker. छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के नरहरपुर विकासखंड के ग्राम जामगांव में ग्रामीणों ने अपने गांव की संस्कृति और परंपराओं की रक्षा के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। गांव के प्रवेश द्वार पर बोर्ड लगाकर पास्टर, पादरी और धर्म परिवर्तन कर चुके लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। यह निर्णय ग्रामसभा के प्रस्ताव के तहत लिया गया है।

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धर्मांतरण के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंता

ग्रामीण खेमन नाग ने बताया कि जामगांव में हाल के समय में करीब 14 परिवारों ने धर्म परिवर्तन किया है, जिससे गांव की परंपराओं और रीति-रिवाजों पर असर पड़ रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका किसी धर्म के खिलाफ कोई विरोध नहीं है, लेकिन वे उन धर्मांतरणों के खिलाफ हैं जो लालच या प्रलोभन देकर किए जा रहे हैं। उनका कहना है कि यह कदम केवल गांव की सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से उठाया गया है।

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कफन-दफन विवाद के बाद लिया गया निर्णय

गायता रमेश उइके ने बताया कि पांच महीने पहले मतांतरित परिवार के एक सदस्य की मौत के बाद कफन-दफन को लेकर विवाद हुआ था। इस घटना ने ग्रामीणों में चिंता बढ़ा दी। इसी को लेकर ग्रामसभा ने फैसला किया कि गांव में किसी भी बाहरी व्यक्ति, जो धर्म परिवर्तन या प्रचार के उद्देश्य से आता है, उसे प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।

बोर्ड पर लिखा गया है कि “पेशा अधिनियम 1996 लागू है, जिसके तहत सांस्कृतिक पहचान और रूढ़िगत परंपराओं के संरक्षण का अधिकार ग्रामसभा को प्राप्त है।”

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ग्रामसभा का अधिकार और समर्थन

संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत ग्रामसभा को अपने परंपरा और संस्कृति की रक्षा के लिए निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त है। इसी अधिकार के तहत जामगांव में यह निर्णय लिया गया। इस अवसर पर खेमन नाग, प्रमोद कुंजाम, तुलेश सिन्हा, राजकुमार सिन्हा, आनंद यादव, संजय शोरी, रोहित कुंजाम, कमलेश नेताम, कमल सिंह मरकाम और रामदीन नाग सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे, जिन्होंने गांव की सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं की सुरक्षा के महत्व को रेखांकित किया।

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जामगांव धर्मांतरण विवाद

जामगांव अब कांकेर जिले का 13वां ऐसा गांव बन गया है, जहां मतांतरण के विरोध में पादरियों और पास्टरों के प्रवेश पर रोक लगाई गई है। ग्रामीणों का कहना है कि यह कदम केवल अपनी सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं को सुरक्षित रखने के लिए उठाया गया है। इस कदम से स्पष्ट है कि जामगांव के ग्रामीण अपनी संस्कृति और परंपराओं को बनाए रखने के लिए सजग हैं और धर्मांतरण के मामलों पर कड़ी नजर रख रहे हैं।

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