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Kanker. छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के आमाबेड़ा थाना क्षेत्र अंतर्गत बड़े तेवड़ा गांव में शव दफनाने को लेकर आदिवासी समाज और धर्मांतरित (मसीही) समुदाय के बीच हिंसक झड़प तीसरे दिन भी जारी रही।
हालात इतने बिगड़ गए कि गांव में आगजनी, तोड़फोड़ और लाठीचार्ज की नौबत आ गई। इस पूरे घटनाक्रम में एक दर्जन से अधिक लोग घायल हुए हैं, जिनमें कई पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।
तीसरे दिन भी हिंसा, चर्च में लगाई आग
गुरुवार को भी तनाव कम होने के बजाय और बढ़ गया। सुबह से ही आदिवासी समाज के लोग मसीही समुदाय के लोगों को डंडे मारकर गांव से खदेड़ते नजर आए। इसके जवाब में धर्मांतरित समुदाय के लोगों ने भी आदिवासियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। हालात बिगड़ने पर गुस्साए आदिवासियों ने गांव के सरपंच के घर में तोड़फोड़ कर दी।
इसके बाद भीड़ ने गांव के चर्च को आग के हवाले कर दिया। मामला यहीं नहीं रुका। करीब 3 हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ आमाबेड़ा पहुंच गई, जहां एक और चर्च में आग लगा दी गई। भीड़ तीसरे चर्च को जलाने आगे बढ़ रही थी, तभी पुलिस ने हालात काबू में करने के लिए लाठीचार्ज किया।
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शव दफन से शुरू हुआ विवाद
पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब बड़े तेवड़ा गांव के सरपंच रजमन सलाम के पिता चमरा राम का निधन हो गया। सरपंच का परिवार धर्मांतरित बताया जा रहा है। आरोप है कि उनके पिता का शव गांव में ही दफना दिया गया, जबकि ग्रामीणों का कहना है कि गांव की सामाजिक परंपराओं और नियमों के अनुसार इसकी अनुमति नहीं थी।
ग्रामीणों का आरोप है कि बिना गांव की सहमति और तय स्थल के शव को दफनाया गया, जिससे आदिवासी समाज में भारी आक्रोश फैल गया।
दो दिन से शव निकालने की मांग
पिछले दो दिनों से आदिवासी समाज के लोग शव को कब्र से बाहर निकालकर परंपरागत रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार की मांग कर रहे थे। हालात बिगड़ने पर गुरुवार को पुलिस और प्रशासन की संयुक्त टीम ने भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शव को बाहर निकाला।
स्वास्थ्य विभाग और प्रशासनिक अमला शव को लेकर गांव से रवाना हो गया है। जानकारी के मुताबिक शव को रायपुर ले जाया जा रहा है।
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पुलिस बल पर भी हमला, गांव छावनी में तब्दील
बुधवार को हुई झड़प में ग्रामीणों के साथ-साथ कई पुलिसकर्मी भी घायल हो गए थे। इसके बाद से गांव और आसपास के इलाकों में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। बड़े तेवड़ा गांव को पूरी तरह सील कर दिया गया है और बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है।
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए दोनों पक्षों को अलग-अलग इलाकों में रखा गया है। पुलिस पूरे क्षेत्र की घेराबंदी कर लगातार पेट्रोलिंग कर रही है।
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कई इलाकों में अलर्ट जारी
प्रशासन ने आमाबेड़ा, बड़े तेवड़ा, नरहरपुर, सुरही, दुधवा, चारामा, भानुप्रतापपुर, कांकेर, कोंडागांव, धमतरी, सिहावा और नगरी क्षेत्रों में अलर्ट जारी कर दिया है। संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।
सरपंच पर दादागिरी के आरोप
ग्रामीणों का आरोप है कि सरपंच होने के नाते रजमन सलाम ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए गांव में ही शव दफन कराया। ग्रामीणों का कहना है कि नियमों के मुताबिक, जिस धर्म का व्यक्ति होता है, उसके अंतिम संस्कार के लिए अलग स्थान निर्धारित होता है।
आदिवासी समाज का आरोप है कि प्रशासन ने भी इस पूरे मामले में ढिलाई बरती और सरपंच को संरक्षण दिया।
परंपरागत अंतिम संस्कार की मांग पर अड़े ग्रामीण
आदिवासी समाज के लोगों का कहना है कि गांव में अंतिम संस्कार को लेकर वर्षों से चली आ रही सामाजिक परंपराएं हैं। बिना समाज की सहमति के शव दफनाना उनकी मान्यताओं के खिलाफ है, जिसे वे स्वीकार नहीं कर सकते।
वहीं धर्मांतरित समुदाय का कहना है कि अंतिम संस्कार उनके धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार किया गया है और इसमें कोई नियम नहीं तोड़ा गया।
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