कोंडागांव की महिलाएं छत्तीसगढ़ के लिए बनीं सुपर मॉडल,कमा रहीं मोटे पैसे

कोंडागांव जिले की मिट्टी में अब एक नई चमक देखने को मिल रही है। जब खेतों में पीले सूरजमुखी के फूल खिलते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे धरती ने अपनी मुस्कान बिखेर दी हो।

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Kanak Durga Jha
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Kondagaon Women became super models for Chhattisgarh earning huge money the sootr
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कोंडागांव जिले की मिट्टी में अब एक नई चमक देखने को मिल रही है। जब खेतों में पीले सूरजमुखी के फूल खिलते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे धरती ने अपनी मुस्कान बिखेर दी हो। यह मुस्कान केवल फूलों की नहीं, बल्कि उन किसानों की भी है, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से इस बदलाव को संभव बनाया है। प्रति एकड़ में चार हजार की लागत है। 

प्रदान संस्था ने कोंडागांव ब्लॉक के ग्राम चिचपोलंग, पुसपाल, मटवाल, बावड़ी, बेतबेडा, बनउसरी, मोहलाई और सिलाटी के लगभग 250 किसानों के साथ मिलकर 200 एकड़ भूमि में सूरजमुखी की खेती की एक नई पहल शुरू की है। यह केवल एक फसल नहीं, बल्कि किसानों के लिए आत्मनिर्भर बनने की एक नई यह भी दिखा रही है। 

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किसानों को 20 डिसमिल से 2 एकड़ तक की ऊपरी जमीनों में सूरजमुखी उगाने का अवसर मिला। ग्राम बावड़ी की बायको और अनीता मरकाम ने पहली बार 2 एकड़ में सूरजमुखी की खेती शुरू की, जबकि प्रवति, आसमती, मंगल और सुकमन जैसे किसान ग्राम बेतबेडा और पुसपाल में 1 एकड़ में खेती कर रहे हैं। पानी कम लगता है। 

आत्मनिर्भरता की मिसाल बने किसान और समूह 

कोंडागांव की यह पहल केवल एक खेती की कहानी नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते किसानों की सफलता की कहानी है। सूरजमुखी के पीले फूल सिर्फ खेतों को नहीं, बल्कि किसानों के जीवन को भी रोशन कर रहे हैं। यह पूरी कहानी कोंडागांव के किसानों की आत्मनिर्भरता और महिला सशक्तिकरण प्रेरणादायक है। 

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महिला समूह खुद निकाल रहीं सूरजमुखी से तेल 

कोंडागांव के किसानों ने केवल सूरजमुखी उगाने तक खुद को सीमित नहीं रखा, बल्कि तेल निकालने के लिए 6 गांवों में आयल एक्सपेलर मशीनें भी लगाई गई हैं। ग्राम चिचपोलंग, पुसपाल, मटवाल, बावड़ी, बेतबेडा और सिलाटी में महिला स्व सहायता समूहों को यह मशीनें दी गई हैं, ताकि वे खुद तेल निकाल सकें और इसे बाजार तक पहुंचा सकें। यह पहल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के साथ-साथ उन्हें एक नई पहचान भी दे रही है। 

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