नेताओं ने पी साढ़े तीन लाख की चाय, 1 करोड़ का खाना, मजदूर दिवस पर 8 करोड़ की बोरेबासी

त्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मजदूर दिवस पर बोरे बासी का आयोजन किया। इस आयोजन के पांच घंटे में 8 करोड़ से ज्यादा खर्च कर दिए गए। यह ठेका बिना टेंडर के व्यापक एजेंसी को दे दिया गया। इस आयोजन में डेढ़ करोड़ रुपए प्रति घंटे का खर्च किया गया।

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Arun Tiwari
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Leaders drank tea worth Rs 3.5 lakh, food worth Rs 1 crore, borebasi worth Rs 8 crore on Labour Day the sootr
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रायपुर : सरकारी आयोजनों में किस तरह जनता के टैक्स के पैसों की फिजूलखर्ची होती है, इसका एक बड़ा उदाहरण हम आपको बताते हैं। छत्तीसगढ़ में बोरे बासी एक प्रमुख कार्यक्रम माना जाता है। सूबे की पिछली भूपेश सरकार ने इसको राज्य की अस्मिता से जोड़ दिया था। बोरे बासी यानी बासे चावल खाना। तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मजदूर दिवस पर बोरे बासी का आयोजन किया। इस आयोजन के पांच घंटे में 8 करोड़ से ज्यादा खर्च कर दिए गए। यह ठेका बिना टेंडर के व्यापक एजेंसी को दे दिया गया। इस आयोजन में डेढ़ करोड़ रुपए प्रति घंटे का खर्च किया गया। आइए आपको बताते हैँ लूट के इस खेल का पूरा सच।  

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छत्तीसगढ़िया सरकार की लूट  

छत्तीसगढ़ की पिछली सरकार यानी भूपेश सरकार में एक पैटर्न चला छत्तीसगढ़िया सरकार। छत्तीसगढ़िया के नाम से चली  सरकार के कार्यकाल में कई आयोजन प्रादेशिक और क्षेत्रीय थीम पर आयोजित हुए। इन्ही सब आयोजनों में से एक सबसे महत्वपूर्ण आयोजन था बोरे बासी। 1 मई को देश मजदूर दिवस के रूप में मनाता है। इसी दिन साल 2023 में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में एक आयोजन किया गया। जिसमें मजदूरों का सम्मान और छत्तीसगढ़ में गर्मियों में खाया जाने वाला बोरे बासी खिलाने के लिए करोड़ो के खर्चे पर भव्य कार्यक्रम आयोजित हुआ। बोरे बासी का मतलब होता है बासी या ताजे पके चावल को ठंडे पानी में डुबाकर उसमें दही, सरसों का तेल डालकर चटनी प्याज के साथ खाना। इस आयोजन का जिम्मा बिना टेंडर के इवेंट एजेंसी व्यापक को सौंप दिया गया। इस आयोजन के नाम पर बेतहाशा खर्च किया गया जिसकी पूरी जानकारी आरटीआई से सामने आई है।    

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इस अयोजन में इतना खर्च : 

बोरे-बासी आयोजन के 5 घंटे में 8.14 करोड़ रुपए खर्च
1.10 करोड़ के डोम में 75 लाख का खाना
5 घंटे में लोगों को पिलाया गया 27 लाख का पानी
13 लाख की छाछ पी गए श्रमिक और दर्शक
आयोजन में शामिल श्रमिको को 82 लाख की पहनाई गई टोपियां 
3.45 लाख का मंच पर बैठे नेताओं का रिफ्रेशमेंट

आरटीआई से सामने आई सच्चाई

RTI से जो दस्तावेज बताते हैं कि इस आयोजन पर 8.14 करोड़ रुपए खर्च हुए। जिसमे 50 हजार मजदूर जुटे। 35 हजार कुर्सियां लगीं। 1 करोड़ से ज्यादा के 6 विशाल डोम बने। मजदूरों ने 75 लाख रुपए का खाना खाया। 27 लाख का पानी पिया और 80 लाख की टोपी पहनी। जबकि हकीकत इससे अलग है। जानकारी के मुताबिक मजदूर महज 15 से 20 हजार ही जुट पाए थे। इन्ही मजदूरों को पिलाने के लिए 5 रुपए बोतल वाला पानी 18 रुपए में खरीदा गया। जो पानी पिलाया गया उसमें 27 लाख से भी ज्यादा खर्च कर दिए गए। सबसे हैरान करने वाली बात तो यह है कि श्रमिक दिवस पर आयोजित हुए बोरे बासी के लिए दस्तावेजो में जितने डोम बनाए गए उतनी जगह तो इस पूरे ग्राउंड में ही नही है। इस आयोजन में आए लोगों को बैठने के लिए कुल 4 डोम बनाए गए जबकि RTI से प्राप्त दस्तावेज में 6 डोम का बिल लगाया गया जिसका भुकतान भी हो गया। इतना ही नही 150 अतिथियों को 10-10 हजार रुपए का मोमेंटो दिया गया। जिसकी कीमत कहीं कम है। कुर्सियां भी 10-12 हजार ही लगी थीं। 

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आयोजन के पूरे खर्च का ब्यौरा 

11 लाख में साउंड सिस्टम लगा
16 हजार श्रमिकों को वाहनों से लाने में 9.65 लाख रु खर्च
7 लाख का ग्रीन कारपेट बिछाया गया
1.45 लाख के डोम पर पर्दे लगाए गए
70 हजार का एक गुब्बारा भी खरीदा गया
11.4 लाख के साउंड सिस्टम लगाए गए
80 हजार के स्विच सर्किट लगाए गए
लोगों को गर्मी से बचाने 2.22 लाख के कूलर लगे
81,400 के सीलिंग फैन लगे
अतिथियों को 1500 रु. प्रति प्लेट की बोरे बासी खिलाई
2.36 लाख के जनरेटर
2 लाख के टावर एसी
40 हजार कैप खरीदे गए जो 205 रुपए की दर से खरीदे जिसका 82 लाख का पेमेंट हुआ।
30 हजार ब्रॉशर को 80 रु. की दर खरीदा गया जिसमे 24 लाख रुपए लगे
35 हजार कुर्सियां 7 रुपए की दर से लगाई गईं, इसके लिए 2.61 लाख रुपए खर्च हुए
50 हजार लोगों को 150 रु. की दर से खाना खिलाया जिसमें 75 लाख खर्च आया
70 हजार पैकेट छाछ पी गई। 18 रु. की दर से 12.6 लाख खर्च आया
1.5 लाख पानी की बोतल 18 रुपए की दर से खरीदी गई।

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बिना टेंडर दे दिया व्यापक को ठेका 

 सवाल यह है कि सरकारी काम बिना टेंडर के ही दे देने के पीछे क्या वजह रही होगी। इस मामले में गड़बड़ी का शक तभी से पैदा हुआ जब बिना टेंडर के ही एक व्यापक नाम की इवेंट कंपनी को महज कुछ ही दिनों में काम भी दे दिया गया। श्रम आयुक्त छत्तीसगढ़ के दफ्तर से 21 अप्रेल 2023 को एक नोटशीट चलना शुरू हुई। इस नोटशीट में 1 मई को होने वाले बोरे बासी दिवस के कार्यक्रम का स्थान तय हुआ रायपुर शहर का साइंस कॉलेज मैदान। इस आयोजन में टेंट/डोम का निर्माण , प्रचार प्रसार के लिए होर्डिंगस , साउंड माइक , भोजन पानी की व्यवस्था के लिए सहायक श्रम आयुक्त को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया। इसके बाद इसमें आयोजन के लिए एक सरकारी समिति भी बनाई गई। यानी 9 दिनों में आनन फानन में इस ये आयोजन किया गया। वर्तमान सरकार कहती है कि भूपेश सरकार के समय भारी भ्रष्टाचार हुए हैं और गड़बड़ी करने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा। 

राधिका खेड़ा ने उठाया मुद्दा 

यह मुद्दा इन दिनों इसलिए चर्चा में आया क्योंकि हाल ही में बीजेपी नेताओं ने इस मामले को उठाया। बीजेपी नेता राधिका खेड़ा ने खासतौर पर इस मुद्दे को हवा दी। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने छत्तीसगढ़ अस्मिता के नाम पर भ्रष्टाचार किया है। लोगों के पैसों को बोरेबासी की लूट में लगाया गया। इस मुद्दे के उठने के बाद ही द सूत्र ने इसकी पड‍ताल की जिसमें ये जानकारी सामने आई। इस मामले में भूपेश बघेल ने कहा कि बीजेपी सरकार में निगम मंडलों में पदभार ग्रहण करने में ही लाखों रुपए के सरकारी आयोजन हो रहे हैं। बीजेपी नेता ये बेतुके सवाल खड़े कर रहे हैं।बहरहाल नेता कुछ भी कहें लेकिन दस्तावेज तो सच्चाई बयां कर रहे हैं कि किस तरह सरकारी आयोजनों में जनता के टैक्स का पैसा खर्च करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती।  

 

 

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