Liquor scam accused Arunpati Tripathi bail update news : छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले के आरोपी अरुणपति त्रिपाठी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ उन्हें जमानत दे दी है। ईडी की ओर से दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें ये राहत मिली है। हालांकि, उन्हें अभी जेल में ही रहना होगा। त्रिपाठी के खिलाफ EOW में अभी एक और मामला चल रहा है।
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इसी वजह से वह अभी जेल से बाहर नहीं आएंगे। पिछले 1 साल से ज्यादा समय से अरुणपति त्रिपाठी जेल में बंद है। शराब घोटाला मामले की CBI जांच कर रही है। इससे पहले ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है।
ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।
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ईडी को सुप्रीम फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले में अरुणपति त्रिपाठी की ओर से दायर और लंबित याचिका की सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की बेंच ने सुनवाई की। जैसे ही सुनवाई शुरु हुई, याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा ने बेंच को यह तथ्य बताया कि, प्रकरण में संज्ञान रद्द हो चुका है।
इस के संबंध में हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी भी पेश की गई। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ईडी पर नाराजगी जताई। जस्टिस ओक और जस्टिस भुयान ने ईडी से सवाल किया-यदि संज्ञान रद्द हो गया तो आरोपी को जेल में क्यों रहना चाहिए।PMLA की थ्योरी यह नहीं हो सकती कि,व्यक्ति जेल में रहेगा ही। संज्ञान रद्द होने के बाद भी व्यक्ति जेल में है, इसे क्या कहा जाना चाहिए। हमने यह भी देखा कि आपने हमें खुद से यह सूचना नहीं दी।
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हाईकोर्ट ने रद्द किया संज्ञान
हाईकोर्ट बिलासपुर में अरुणपति त्रिपाठी की ओर से याचिका दायर की गई जिसमें यह तथ्य बताया गया कि, अरुणपति त्रिपाठी के संबंध में अभियोजन की स्वीकृति नहीं ली गई है। याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट में इसी संबंध में शीर्ष अदालत से जारी न्याय दृष्टांत प्रस्तुत किए गए थे।
याचिकाकर्ता की ओर से दिए गए तर्कों से सहमत होते हुए हाईकोर्ट ने अरुणपति त्रिपाठी के विरुध्द पीएमएलए कोर्ट में दायर पूरक परिवाद पर लिए गए संज्ञान को रद्द कर दिया। जबकि हाईकोर्ट में यह मामला विचारण के लिए था, बहस के दौरान ईडी के विशेष लोक अभियोजक डॉ सौरभ कुमार पांडेय ने उसी दिन याने 7 फरवरी को ही अदालत में अभियोजन की स्वीकृति के अभिलेख प्रस्तुत किए। लेकिन हाईकोर्ट ने यह कहा कि विषय यह है कि, जिस दिन आपने कार्यवाही की और परिवाद पेश किया उस दिन आपके पास अभियोजन की अनुमति नहीं थी।
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