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Liquor scam case: Distillery company owner accused : छत्तीसगढ़ में हुए 2200 करोड़ के शराब घोटाले में शराब निर्माता कंपनियों के संचालकों को भी ईडी ने आरोपी बनाया है। इन डिस्टलरी संचालकों ने इस घोटाले में अवैध :प से 1200 करोड़ कमाए हैं।
हाल ही में द सूत्र ने प्रमुखता से यह खबर प्रकाशित की थी कि अब तक इतने बड़े शराब घोटाले में डिस्टलरी कंपनी के मालिकों को आरोपी नहीं बनाया गया है। जबकि ईडी ने अपनी जांच में पाया था कि सिंडिकेट बनाकर शराब घोटाला किया गया और इसमें शराब कारोबारी भी शामिल थे।
यहां पर सवाल उठ रहा था कि ईडी ने इन शराब कारोबारियों पर मेहरबानी क्यों दिखाई है। ईडी ने अब शराब निर्माताओं को आरोपी बना लिया है। इस मामले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के खिलाफ 3841 पन्नों की चार्जशीट ईडी की विशेष अदालत में पेश की गई है।
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शराब घोटाले में आरोपी बने शराब निर्माता
छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार के समय 2200 करोड़ रुपए का शराब घोटाला हुआ। इस घोटाले में ईडी की इंट्री हुई तो पूरी सियासत में भूचाल आ गया। एक के बाद एक बड़े चेहरे जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए। इनमें नेता अनबर ढेबर और आईएएस अनिल टुटेजा भी शामिल थे। इसके अलावा पूर्व आबकारी मंत्री और वर्तमान में कांग्रेस विधायक कवासी लखमा भी जेल में डाल दिए गए। ईडी की जांच में आया कि एक सिंडीकेट बनाकर शराब घोटाले को अंजाम दिया गया।
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इस सिंडीकेट में नेता,अफसर और शराब कारोबारी शामिल थे। पूरा घोटाला करीब 2200 करोड़ का था जिसमें से शराब कारोबारियों ने 1200 करोड़ रुपए कमाए। ईडी की जांच में यह तथ्य आने के बाद भी शराब कारोबारियों को आरोपी नहीं बनाया गया। जबकि नेता,मंत्री और अफसरों को जेल में डाल दिया गया। इस पर ट्रायल कोर्ट ने भी आपत्ति जताई और डिस्टलरी संचालकों को आरोपी बनाने के निर्देश दिए। इस मामले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के खिलाफ 3841 पन्नों की चार्जशीट ईडी की विशेष अदालत में पेश की गई है।
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ईडी ने अब उन शराब कारोबारियों को भी आरोपी बना लिया है जिनका नाम जांच में सामने आया है और जिन्होंने शराब करोबार में अवैध कमाई की है। चार्जशीट में बताया गया है कि छत्तीसगढ़ डिस्टलरी को 48 फीसदी, भाटिया वाइन मर्चेंट को 28 फीसदी और वेलकम डिस्टलरी को 24 फीसदी दुकानों में शराब की सप्लाई का काम दिया गया था।
आरोप पत्र में कहा गया है कि पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को हर महीने दो करोड़ रुपये कमीशन के तौर पर दिए जाते थे। अब तक शराब घोटाले में 12 आरोपी बनाए जा चुके हैं। पूर्व सीएम भूपेश बघेल भी इस मामले में निशाने पर आते रहे हैं।
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ये शराब कारोबारी बनाए गए आरोपी
- डिस्टलर्स मेसर्स छग डिस्टलरीज प्रा लि के डायरेक्टर समेत नवीन केडिया
- मेसर्स भाटिया वाइन्स एंड मर्चेंट प्राय लि के डायरेक्टर समेत भूपेंद्र पॉल सिंह भाटिया
- मेसर्स वेलकम डिस्टलरीज प्रा लि के डायरेक्टर समेत राजेंद्र जायसवाल
- मेसर्स टॉप सिक्योरिटीज एवं फेसिलिटीज मैनेजमेंट - सिद्धार्थ सिंघानिया
- ओम साई बेवरेज प्रालि
- मेसर्स दीशिता वेंचर्स प्रालि
- मेसर्स नेक्सजेन पॉवर इंजीटेक प्रा लि
सिंडीकेट और उसके मास्टरमाइंड
अब हमआपको बताते हैं कि ईडी जांच में क्या आया। ईडी की प्रासीक्यूसन कंप्लेन के अनुसार फरवरी 2019 में शराब कारोबार से ज्यादा से ज्यादा अवैध कमीशन वसूलने के लिए एक सिंडीकेट बनाया गया। इस सिंडीकेट में प्रदेश के सबसे शक्तिशाली लोग शामिल हुए। इस सिंडीकेट का नेतृत्व मुख्यमंत्री के अत्यंत करीबी और सबसे पॉवरफुल आईएएस अनिल टुटेजा कर रहे थे। जो उद्योग विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर पदस्थ थे।
सिंडीकेट के अन्य सदस्य आईएएस निरंजन दास सचिव एवं आबकारी आयुक्त, एपी त्रिपाठी आईटीएस एमडी राज्य मार्केटिंग कार्पोरेशन फील्ड के आबकारी अधिकारी, कांग्रेस नेता अनवर ढेबर, होलोग्राम सप्लायर विधु गुप्ता, प्लेसमेंट कंपनी के संचालक सिद्धार्थ सिंघानिया, विकास अग्रवाल,अरविंद सिंह समेत देशी शराब बनाने वाले तीन डिस्टलर भाटिया ग्रुप, केडिया ग्रुप और जायसवाल ग्रुप थे।
कहां लिखी गई घोटाले की स्क्रिप्ट
ईडी की जांच के अनुसार मार्च 2019 में कांग्रेस नेता अनवर ढेबर के होटल में देशी शराब बनाने वाले प्रमुख डिस्टलरों नवीन केडिया और राजेंद्र जायवास की बैठक हुई। इसमें अनवर ढेबर, विकास अग्रवाल और एपी त्रिपाठी भी शामिल हुए। इसमें शराब की प्रति पेटी पर निश्चित दर से कमीशन वसूली और बिना ड्यूटी पेड शराब की बिक्री शुरु करने का फैसला हुआ।
डिस्टलरों द्वारा यह मांग की गई कि कमीशन की राशि देने में सहायता के लिए डिस्टलरों को कार्पोरेशन से मिलने वाली दरों में वृद्धि कराई जाए। सिंडीकेट के प्रभाव से 1 अप्रैल 2019 से देशी एवं विदेशी शराब की दरों में वृद्धि कर दी गई और अवैध वसूली शुरु हो गई।
सिंडीकेट के सदस्यों में किसका क्या रोल
अनिल टुटेजा : सिंडीकेट का मुखिया होने के नाते अनिल टुटेजा की भूमिका यह थी कि वे आबकारी विभाग पर पूरा नियंत्रण रखते थे। आबकारी विभाग की सभी नीतियों और निविदाओं पर उनका पूर्ण नियंत्रण था।
अनवर ढेबर : शराब घोटाले का किंगपिन अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा का बहुत करीबी व्यक्ति था। उनके निर्देशानुसार विकास अग्रवाल सभी प्रकार के कमीशन की राशि वसूल करता था।
निरंजनदास और एपी त्रिपाठी भी अनिल टुटेजा के निर्देश के अनुसार काम करते थे।
सिद्धार्थ सिंघानिया को अप्रैल 2019 से राज्य के सभी जिलों में मैनपावर सप्लाई का काम दिया गया था। सिंघानिया प्लेसमेंट एजेंसी के संचालक थे।
अरविंद सिंह लॉजिस्टिक का काम करते थे।
विधु गुप्ता नकली होलोग्राम सप्लाई का काम करते थे।विधु गुप्ता की कंपनी को होलोग्राम सप्ताई का टेंडर इसी शर्त पर दिलाया गया कि वो नकली होलोग्राम सप्लाई का काम भी करेगा। ताकि बी पार्ट की शराब का विक्रय किया जा सके।
गोल्डी भाटिया,नवीन केडिया और राजेंद्र जायसवाल देशी शराब के निर्माता थे। वे बिना ड्यूटी पेड शराब का निर्माण करते थे। वे जिलों में पदस्थ आबकारी अधिकारियों की मिली भगत से सरकारी दुकानों से अवैध शराब का विक्रय करते थे।