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Liquor scam case ED investigation update : भूपेश सरकार में हुए शराब घोटाले ने विधानसभा चुनाव के समय प्रदेश की राजनीति का पारा गर्माया था। इस घोटाले में आईएएस से लेकर नेता तक जेल की सलाखों के पीछे हैं। अब इस घोटाले पर एक बड़ा सवाल खड़ा हुआ है।
यह सवाल विष्णु के सुशासन से लेकर जांच एजेंसियों की भूमिका पर भी है। ईडी ने अपनी जांच में यह पाया कि एक सिंडीकेट ने शराब घोटाले को अंजाम दिया। इस सिंडीकेट में अफसर,नेता और शराब करोबारी शामिल थे। ईडी ने नेता,अफसरों को जेल में डाल दिया, लेकिन शराब कारोबारियों को आरोपी तक नहीं बनाया।
सवाल यही है कि क्या जांच एजेंसी ईडी की शराब कारोबारियों के साथ यारी है जो उन पर मेहरबानी दिखाई गई है। ट्रायल कोर्ट ने भी शराब कारोबारियों को आरोपी बनाकर समंस जारी करने के निर्देश दिए हैं।
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शराब,साकी और सियासत
विधानसभा चुनाव में गरमाया 1200 करोड़ से ज्यादा का शराब घोटाला फिर उबाल पर है। यह उन बड़े घोटालों में से एक है जिसको मुद्दा बनाकर बीजेपी ने प्रदेश में सरकार बनाई थी। बीजेपी नेताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत उनके करीबी अधिकारियों और शराब कारोबारियों पर खूब निशाना साधा था। प्रदेश में विष्णु की सरकार बनी तो एक स्लोगन भी चला विष्णु का सुशासन। यानी भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस। अब इस घोटाले को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं सुशासन के साथ जांच एजेंसी ईडी की भूमिका पर। यह सवाल ट्रायल कोर्ट ने भी खड़े किए हैं।
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आखिर ईडी की जांच में जिन शराब कारोबारियों की भूमिका सामने आई, उन पर मेहरबानी क्यों बरती गई। क्या 28 फरवरी 2025 को अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई। इस घोटाले के मास्टर माइंट पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा ने अदालत में आवेदन देकर कहा कि इस स्कैम में जब शराब करोबारियों की भूमिका थी तो उनको आरोपी क्यों नहीं बनाया गया।
अदालत ने कहा कि जब ईडी की जांच में घोटाले के सिंडीकेट में शराब कारोबारियों की भूमिका भी सामने आई तो वे आरोप से बाहर कैसे हो सकते हैं। अदालत ने इन लोगों को आरोपी बनाकर समंस जारी करने के निर्देश दिए।
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ये शराब कारोबारी क्यों नही बनाए गए आरोपी
- डिस्टलर्स मेसर्स छग डिस्टलरीज प्रा लि के डायरेक्टर समेत नवीन केडिया
- बिलासपुर के मेसर्स भाटिया वाइन्स एंड मर्चेंट प्राय लि के डायरेक्टर समेत भूपेंद्र पॉल सिंह भाटिया
- मेसर्स वेलकम डिस्टलरीज प्रा लि के डायरेक्टर समेत राजेंद्र जायसवाल
- मेसर्स टॉप सिक्योरिटीज एवं फेसिलिटीज मैनेजमेंट - सिद्धार्थ सिंघानिया
- ओम साई बेवरेज प्रा लि
- मेसर्स दीशिता वेंचर्स प्रा लि
- मेसर्स नेक्सजेन पॉवर इंजीटेक प्रा लि
सिंडीकेट और उसके मास्टरमाइंड
अब हमआपको बताते हैं कि ईडी जांच में क्या आया। ईडी की प्रासीक्यूसन कंप्लेन के अनुसार फरवरी 2019 में शराब कारोबार से ज्यादा से ज्यादा अवैध कमीशन वसूलने के लिए एक सिंडीकेट बनाया गया। इस सिंडीकेट में प्रदेश के सबसे शक्तिशाली लोग शामिल हुए। इस सिंडीकेट का नेतृत्व मुख्यमंत्री के अत्यंत करीबी और सबसे पॉवरफुल आईएएस अनिल टुटेजा कर रहे थे।
जो उद्योग विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर पदस्थ थे। सिंडीकेट के अन्य सदस्य आईएएस निरंजन दास सचिव एवं आबकारी आयुक्त, एपी त्रिपाठी आईटीएस एमडी राज्य मार्केटिंग कार्पोरेशन फील्ड के आबकारी अधिकारी, कांग्रेस नेता अनवर ढेबर, होलोग्राम सप्लायर विधु गुप्ता, प्लेसमेंट कंपनी के संचालक सिद्धार्थ सिंघानिया, विकास अग्रवाल,अरविंद सिंह समेत देशी शराब बनाने वाले तीन डिस्टलर बिलासपुर के भाटिया ग्रुप, केडिया ग्रुप और जायसवाल ग्रुप थे।
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कहां लिखी गई घोटाले की स्क्रिप्ट
ईडी की जांच के अनुसार मार्च 2019 में कांग्रेस नेता अनवर ढेबर के होटल में देशी शराब बनाने वाले प्रमुख डिस्टलरों नवीन केडिया और राजेंद्र जायवास की बैठक हुई। इसमें अनवर ढेबर, विकास अग्रवाल और एपी त्रिपाठी भी शामिल हुए। इसमें शराब की प्रति पेटी पर निश्चित दर से कमीशन वसूली और बिना ड्यूटी पेड शराब की बिक्री शुरु करने का फैसला हुआ।
डिस्टलरों द्वारा यह मांग की गई कि कमीशन की राशि देने में सहायता के लिए डिस्टलरों को कार्पोरेशन से मिलने वाली दरों में वृद्धि कराई जाए। सिंडीकेट के प्रभाव से 1 अप्रैल 2019 से देशी एवं विदेशी शराब की दरों में वृद्धि कर दी गई और अवैध वसूली शुरु हो गई।
सिंडीकेट के सदस्यों में किसका क्या रोल
अनिल टुटेजा : सिंडीकेट का मुखिया होने के नाते अनिल टुटेजा की भूमिका यह थी कि वे आबकारी विभाग पर पूरा नियंत्रण रखते थे। आबकारी विभाग की सभी नीतियों और निविदाओं पर उनका पूर्ण नियंत्रण था।
अनवर ढेबर : शराब घोटाले का किंगपिन अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा का बहुत करीबी व्यक्ति था। उनके निर्देशानुसार विकास अग्रवाल सभी प्रकार के कमीशन की राशि वसूल करता था।
निरंजनदास और एपी त्रिपाठी भी अनिल टुटेजा के निर्देश के अनुसार काम करते थे।
सिद्धार्थ सिंघानिया को अप्रैल 2019 से राज्य के सभी जिलों में मैनपावर सप्लाई का काम दिया गया था। सिंघानिया प्लेसमेंट एजेंसी के संचालक थे।
अरविंद सिंह लॉजिस्टिक का काम करते थे।
विधु गुप्ता नकली होलोग्राम सप्लाई का काम करते थे।विधु गुप्ता की कंपनी को होलोग्राम सप्ताई का टेंडर इसी शर्त पर दिलाया गया कि वो नकली होलोग्राम सप्लाई का काम भी करेगा। ताकि बी पार्ट की शराब का विक्रय किया जा सके।
गोल्डी भाटिया, नवीन केडिया और राजेंद्र जायसवाल देशी शराब के निर्माता थे। वे बिना ड्यूटी पेड शराब का निर्माण करते थे। वे जिलों में पदस्थ आबकारी अधिकारियों की मिली भगत से सरकारी दुकानों से अवैध शराब का विक्रय करते थे।