हर साल बढ़ रही मां विंध्यवासिनी की मूर्ति, भागवान गोरखनाथ ने की थी खोज
घने जंगल में इस दुर्लभ स्थान की खोज भागवान गोरखनाथ ने की थी। उन्हें 2 से 3 इंच का एक छोटा सा चमकीला पत्थर प्राप्त हुआ था, जो करीब 1 फीट हो गया है। यह अपने आप स्वयं आंख, नाक, मुंह के आकार में देवी के रूप में बढ़ रहा है।
छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ में मां विंध्यवासिनी का दरबार चमत्कार से कम नहीं है। विंध्यवासिनी मां खैरागढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत परसाही के कोपेनवागांव के जंगल में विराजमान हैं। यह मंदिर खूबसूरत जंगलों से घिरा हुआ, जो भक्तों को और अधिक आकर्षित करता है। यहां पर 24-25 साल से अखंड ज्योति जल रही है।
नवरात्रि के दोनों पक्ष (चैत्र व कार्तिक) में रायपुर, दुर्ग, भिलाई, नागपुर सहित कोपेनवागांव के आस-पास के ग्रामीण अपनी मनोकामना पूरी करने जोत प्रज्वलित करते हैं। विंध्वासिनी मां के दरबार में इस नवरात्रि के पर्व में 87 ज्योति प्रज्वलित हो रहे हैं। यह पंचमी और अष्टमी पर मां का विशेष श्रृंगार किया जाता है। ग्रामीणों के द्वारा रात में जस गीत गाया जाता है। ग्रामीण सुबह-शाम - माता के दर्शन करने जाते हैं।
पंचमुखी हनुमान, शिव सहित अन्य देवी-देवता की स्थापना
ग्रामीणों ने संतों के मार्गदर्शन में कुड़ के पास भागवान शिव व विंध्यवासिनी माता की मंदिर के पास पंचमुखी हनुमान, सिद्ध गणेश, भैरव नाथ, गोरखनाथ, मछन्दर नाथ सहित अन्य देवी-देवता की मूर्ति की स्थापना की गई है। ग्रामीणों के अनुसार यह स्थान पहले बेन्दर चुआ के नाम से जाना जाता था। पहले जंगल में मवेशी चराने के लिए आते थे, तब कुछ पशु पालक का मवेशी गुम हो जाते थे, तब इस स्थान पर नारियल और अगरबत्ती जलाने से गुम हुए मवेशी तुरंत वापस आ जाते थे। यहां प्राचीन काल से ही पूजा-पाठ की जा रही है।
घने जंगल के बीच एक कुंड है, जो महज 4-5 फीट ही गहरा है, जो हमेशा बहता रहता है। यहां के पानी कभी भी खत्म नहीं होता है। इस पानी के संबंध में ऐसी मान्यता है कि इस पानी को पानी पीने के बाद शरीर के रोग दूर हो जाते हैं। यह पानी कहां से आ रहा है यह ग्रामीणों की समझ से परे है। पुजारी और ग्रामीणों की मानी जाए तो उक्त दुर्लभ स्थान की खोज भागवान गोरखनाथ ने की थी, जहां पर एक छोटा सा चमकीला पत्थर प्राप्त हुआ था। यह सिर्फ 2 से 3 इंच ही था जो आज के समय में करीबन 1 फीट हो गया है। यह पत्थर त्रिकोण आकार में था, जो आज अपने आप स्वयं आंख, नाक, मुंह हु-ब-हु देवी की मूर्त ले लिया है।