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Amarjeet Bhagat in Police Custody: छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में स्थित मैनपाट में उस वक्त राजनीतिक माहौल गरमा गया जब पूर्व मंत्री अमरजीत भगत और उनके साथ आए किसानों के प्रतिनिधिमंडल को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
ये सभी मुख्यमंत्री को किसानों की खाद संकट से जुड़ी समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपने पहुंचे थे, लेकिन उन्हें रास्ते में ही कमलेश्वरपुर थाने ले जाया गया और घंटों तक बैठाए रखा गया।
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क्या है पूरा मामला?
मैनपाट में इन दिनों भारतीय जनता पार्टी का प्रशिक्षण शिविर चल रहा है। शिविर में मुख्यमंत्री सहित कई मंत्री, विधायक और भाजपा नेता मौजूद हैं। इसी अवसर का उपयोग करते हुए पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने किसानों की समस्या को सीधे मुख्यमंत्री तक पहुँचाने की योजना बनाई थी।
अमरजीत भगत का कहना है कि ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के माध्यम से प्रशासन को पहले ही सूचित कर दिया गया था कि मुख्यमंत्री शिविर के समापन के बाद रायपुर रवाना होंगे और उसी दौरान उन्हें ज्ञापन सौंपा जाएगा।
लेकिन जैसे ही पूर्व मंत्री और किसानों का प्रतिनिधिमंडल मैनपाट पहुँचा, उन्हें रास्ते में पुलिस ने रोक लिया और हिरासत में लेकर कमलेश्वरपुर थाने ले जाया गया।
क्या है किसानों की समस्या?
पूर्व मंत्री ने बताया कि इन दिनों क्षेत्र में खेती का अहम सीजन चल रहा है, खासतौर पर आलू और टाऊ जैसी फसलों के लिए खाद की अत्यधिक जरूरत होती है। लेकिन खाद की भारी कमी के चलते किसान परेशान हैं।
किसानों को मजबूरी में खुले बाजार से महंगे दामों पर खाद खरीदना पड़ रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और भी कमजोर हो रही है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह संकट केवल मैनपाट तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे सीतापुर विधानसभा क्षेत्र में यही हालात हैं।
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अमरजीत भगत का बयान
पुलिस की कार्रवाई को लेकर पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा "जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि यदि मुख्यमंत्री या मंत्रियों से अपनी बात नहीं रख सकते तो यह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। यह घोर आपत्तिजनक और अलोकतांत्रिक व्यवहार है।"
युवक कांग्रेस का विरोध और पुलिस कार्रवाई
बताया जा रहा है कि भाजपा के प्रशिक्षण शिविर को लेकर युवक कांग्रेस ने पहले ही विरोध प्रदर्शन की घोषणा की थी, जिसमें मुख्यमंत्री और मंत्रियों को काले झंडे और गुब्बारे दिखाकर विरोध जताने की योजना थी।
लेकिन कार्यक्रम के एक दिन पहले ही यानी 7 जुलाई को युवक कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को पुलिस ने घर से उठा लिया और अलग-अलग थानों में बैठा दिया। रिपोर्ट के मुताबिक अब तक कई कार्यकर्ताओं को निगरानी में रखा गया है।
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राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज
पूर्व मंत्री को हिरासत में लिए जाने के बाद कांग्रेस ने प्रशासन पर भाजपा सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगाया है। वहीं भाजपा सूत्रों के अनुसार, यह कदम शिविर की सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए उठाया गया।
लोकतंत्र में संवाद का रास्ता या सत्ता का दबाव?
पूर्व मंत्री को हिरासत में लिए जाने की घटना ने राज्य की राजनीति को गरमा दिया है। सवाल यह है कि क्या जनता की आवाज को सत्ता के दरवाजे तक पहुंचने से रोकना लोकतांत्रिक है?
जहां एक ओर सरकार किसानों के हित की बात करती है, वहीं दूसरी ओर किसानों की समस्याओं को रखने वाले प्रतिनिधियों को थाने में बैठाया जाना कई सवाल खड़े करता है।
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