छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले के छितापंडरिया गांव में खनन माफियाओं का दुस्साहस चरम पर है। गांव का तालाब, जो कभी जीवन का आधार था, अब बारूद और तारों के जाल में तब्दील हो चुका है। अवैध डोलोमाइट खनन के लिए खुलेआम ब्लास्टिंग की जा रही है, जिससे ग्रामीण दहशत में जी रहे हैं। किसी भी पल बड़ा हादसा होने का खतरा मंडरा रहा है।
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रैकेट में कोई बड़ा नेता या रसूखदार
स्थानीय लोगों का आरोप है कि खनन माफिया, गांव के सरपंच की मिलीभगत से, तालाब के आसपास बारूद बिछाकर अवैध खनन कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले कुछ समय से यह सिलसिला लगातार जारी है, लेकिन प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं दी गई। सवाल उठता है कि क्या इस रैकेट में कोई बड़ा नेता या रसूखदार शामिल है, क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर अवैध ब्लास्टिंग बिना संरक्षण के संभव नहीं दिखती।
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बारूद सप्लाई और सवालों का घेरा
सूत्रों के अनुसार, बारूद सप्लाई में “सोनी” नाम के एक व्यक्ति का नाम उभरकर सामने आया है। बड़ा सवाल यह है कि नियमों को ताक पर रखकर इतनी मात्रा में बारूद कैसे उपलब्ध कराया गया? क्या सरपंच ने इस ब्लास्टिंग को मंजूरी दी? अगर हां, तो क्या यह कानूनी था? और अगर नहीं, तो उन्होंने पुलिस या प्रशासन को सूचित क्यों नहीं किया? पिछले हफ्ते भी बड़े पैमाने पर ब्लास्टिंग हुई थी, जिसके बाद सैकड़ों गाड़ियां डोलोमाइट पत्थर लेकर रवाना हुईं। यह पत्थर किन क्रशरों तक पहुंचा और क्या उन पर कोई कार्रवाई होगी? यह सवाल भी अनुत्तरित हैं।
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कलेक्टर के आश्वासन से उम्मीद
मामले की गंभीरता को देखते हुए सक्ती कलेक्टर ने त्वरित कार्रवाई का भरोसा दिया है। उन्होंने कहा, “हम जांच के लिए टीम भेज रहे हैं। दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।” लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि जब तक पारदर्शी जांच और कठोर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक खनन माफियाओं का दबदबा खत्म नहीं होगा।
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जरूरत है सख्त कदम की
छितापंडरिया में हालात विस्फोटक हैं। ग्रामीणों की जान जोखिम में है, और तालाब जैसे प्राकृतिक संसाधन तबाह हो रहे हैं। प्रशासन को न केवल दोषियों को सजा देनी होगी, बल्कि इस रैकेट के पीछे छिपे बड़े चेहरों को भी बेनकाब करना होगा। क्या छत्तीसगढ़ में खनन माफियाओं पर लगाम कसी जाएगी, या यह अनहोनी की आशंका हकीकत बन जाएगी? समय और प्रशासन की कार्रवाई ही इसका जवाब देगी।
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