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Photograph: (the sootr)
RAIPUR.छत्तीसगढ़ में माइनिंग घोटाला (खनन) से जुड़े पैसे और गड़बड़ियों को लेकर ACB और EOW की टीम ने रेड डाली है। यह कार्रवाई DMF फंड (जिला खनिज न्यास निधि) में हुए घोटाले की जांच के तहत की गई है।
एक ही समय पर रायपुर, धमतरी और राजनांदगांव में छापे मारे गए है। बताया जा रहा है कि 10 से ज्यादा गाड़ियों में अधिकारी और पुलिस की टीम अलग-अलग ठिकानों पर पहुंची।
यह छापे कई बड़े खनन कारोबारियों, बिचौलियों और सप्लायरों के घर और ऑफिस पर डाले गए है। अधिकारियों ने वहां से दस्तावेज, कंप्यूटर डेटा और पैसों के लेन-देन से जुड़ी फाइलें जब्त की हैं, जिनकी अब जांच की जाएगी।
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यहां चल रही छापेमारी
रायपुर: पचपेड़ी नाका स्थित वॉलफोर्ट इन्क्लेव, भारत माता चौक के पास अग्रवाल निवास, सत्यम विहार स्थित नहाटा का घर, और कामठी लाइन में भंसाली निवास पर।
धमतरी: उच्चस्तरीय अधिकारियों की निगरानी में माइनिंग व्यवसाय और सप्लाई चेन से जुड़े लोगों के ठिकानों पर।
राजनांदगांव: एक साथ तीन स्थानों पर कागज़ी व डिजिटल रिकॉर्ड की जब्ती।
क्या है छत्तीसगढ़ DMF घोटाला?
DMF का पूरा नाम है डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड (District Mineral Fund)। यह वह पैसा होता है जो खनन (माइनिंग) से प्रभावित ज़िलों और लोगों के विकास पर खर्च किया जाना चाहिए।
DMF घोटाला में छत्तीसगढ़ के कोरबा ज़िले में इस विकास फंड (लगभग ₹575 करोड़ से ज़्यादा) के पैसों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई। प्रवर्तन निदेशालय (ED) और EOW की जांच में पता चला है कि:
कमीशन खोरी: फंड से काम देने (टेंडर) में अधिकारियों को बड़ा कमीशन मिला। कथित तौर पर कलेक्टर को 40%, सीईओ को 5% और इंजीनियरों को भी हिस्सा मिला।
नियमों में बदलाव: ज़्यादा कमीशन कमाने के लिए DMF फंड खर्च करने के नियमों को बदल दिया गया। ज़रूरी विकास कार्यों की जगह ऐसे प्रोजेक्ट जोड़े गए, जैसे- खेल सामग्री, मेडिकल उपकरण, और ट्रेनिंग, जिनमें आसानी से कमीशन खाया जा सके।
लाभार्थियों को फ़ायदा: कुछ ठेकेदारों और बिचौलियों ने अधिकारियों के साथ मिलकर अवैध तरीक़े से लाभ कमाया।
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25 से 40% कमीशन का खेल
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में यह बड़ा खुलासा हुआ है कि ठेकेदारों ने अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं को भारी रिश्वत दी। यह रिश्वत ठेके (कांट्रैक्ट) की कुल रकम का 25% से 40% तक होती थी।
इस रिश्वत [Bribe] के पैसे को हिसाब-किताब में छिपाने के लिए चालाकी से आवासीय खर्च के रूप में दर्ज किया गया था।
जांच एजेंसियों ने जब एंट्री करने वाले लोगों और उनके संरक्षकों के ठिकानों परछापेमारी [Raid] की, तो कई आपत्तिजनक चीज़ें मिलीं:
फर्जी कंपनियां: कई फर्जी (डमी) कंपनियां मिलीं, जिनका इस्तेमाल सिर्फ पैसे के लेन-देन के लिए किया जा रहा था।
भारी कैश: तलाशी में₹76.50 लाख नकद बरामद हुए।
बैंक खाते सीज: आठ बैंक खातों को फ्रीज (सीज) किया गया, जिनमें ₹35 लाख जमा थे।
दस्तावेज़ और डिवाइस: फर्जी फर्मों से जुड़े स्टाम्प, महत्वपूर्ण दस्तावेज़ और डिजिटल डिवाइस भी ज़ब्त किए गए।
यह सब दिखाता है कि सरकारी ठेकों में किस पैमाने पर भ्रष्टाचार [Corruption] और पैसों का हेरफेर चल रहा था।
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