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Minor Girls Crime Police Headquarter Report : छत्तीसगढ़ में नाबालिग लड़कियां असुरक्षित हैं। यह हम नहीं कह रहे बल्कि छत्तीसगढ़ के पुलिस हेडक्वार्टर की रिपोर्ट है। जनवरी से लेकर नवंबर 2024 के मामले बताते हैं कि किस कदर बच्चियों के खिलाफ क्राइम हो रहा है।
इन 11 महीनों में दर्ज मामलों के हिसाब से रोजाना 40 और महीने में 1200 से ज्यादा नाबालिग अपराध का शिकार हो रही हैं। सबसे ज्यादा मामले रेप,अपरहण और मारपीट के दर्ज किए गए हैं। सीएम विष्णुदेव साय ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई है। सीएम ने अफसरों को फ्री हैंड देते हुए साफ कहा कि पहले जो हुआ उससे तुलना न करें बल्कि अब ऐसा न हो उसकी व्यवस्था करें। उन्हें बच्चियों के साथ अपराध ज़ीरो चाहिए।
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बच्चियों के साथ सांय सांय अपराध
विष्णु सरकार दावा करती है कि छत्तीसगढ़ में उसके आने के बाद सांय सांय विकास हो रहा है। यह दावा कितना सही और गलत है यह तो अलग बात है लेकिन एक चीज जरुर सांय सांय हो रही है वो है अपराध। अपराध के आंकड़े चिंतित करने वाले हैं क्योंकि यह बच्चियों से जुड़ा मामला है। विष्णु सरकार के 11 महीने के आंकड़े चिंताजनक हैं।
जनवरी 2024 से नंवबर 2024 तक के इन 11 महीनों में 13 हजार 207 नाबालिग लड़कियां अपराध का शिकार हुई हैं। यानी हर महीने 1200 और हर दिन 40 नाबालिगों के साथ अपराध होता है। किसी बच्ची का अपहरण तो किसी के साथ रेप तो किसी के साथ मारपीट की घटनाएं होती हैं। द सूत्र आपको जो आंकड़े बता रहा है, वे सरकारी आंकड़े हैं।
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सबसे ज्यादा रेप,अपरहण और मारपीट
ये मासूम आदिवासी बच्चियां दरिंदों का शिकार हो रही हैं। सबसे ज्यादा उनके साथ रेप, अपहरण और मारपीट के मामले दर्ज हो रहे हैं। यह तो वे मामले हैं जो पुलिस तक पहुंच रहे हैं। आशंका इस बात की भी है कि ऐसे न जाने कितने मामले होंगे जो साम,दाम और दंड के जरिए बीच में ही दम तोड़ देते होंगे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हर महीने करीब ढाई सौ नाबालिग लड़किया दुष्कर्म का शिकार हो रही हैं। इतनी ही लड़कियों का अपहरण और इनसे दोगुनी लड़कियों के साथ मारपीट हो रही है। इस दौरान 300 से ज्यादा बच्चियों को मौत के घाट उतार दिया गया है।
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यह है 11 महीनों में नाबालिगों से अपराध का ग्राफ
कुल अपराध | 13 हजार 207 |
बलात्कार | 2677 |
अपहरण | 2654 |
मारपीट | 6072 |
छेडछाड़ | 1494 |
हत्या | 313 |
सबसे आगे राजधानी रायपुर
नाबालिग लड़कियों से अपराध के मामले में राजधानी रायपुर सबसे आगे है। यानी जहां पूरी सरकार बैठती है, जहां पर क्राइम को कंट्रोल करने की पॉलिसी बनती हैं,जहां पर पुलिस का हेडक्वार्टर है।वहीं पर सबसे ज्यादा अपराध है। रायपुर के बाद बिलासपुर और फिर दुर्ग जैसे बड़े जिले आते हैं। मुख्यमत्री और गृहमंत्री का जिला भी इसमें पीछे नहीं है।
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बात पुलिस की मुस्तैदी की करें तो वो भी कमाल है। इन मामलों के 1100 अपराधी फरार हैं जिनके गिरेबान तक कानून के हाथ नहीं पहुंच रहे हैं। सरकार के यह कह देने से कि मेरी कमीज उसकी कमीज से ज्यादा सफेद है, से बात नहीं बनेगी। अब तो विष्णु को सुदर्शन चक्र चलाने की जरुरत है ताकि अपराधियों के मन में खौफ हो और प्रदेश की बच्चियां खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें। और यही इरादा सीएम ने पुलिस अधिकारियों के सामने जता दिया है। नसीहत के साथ जवाबदेही की हिदायत भी दे दी है।