पीडब्लूडी के 40 करोड़ 32 लाख 93 हजार 40 रुपए ईपीएफ रीजनल ऑफिस ने सीज कर लिए हैं। यह श्रमायुक्त रेट पर काम करने वाले मजदूरों के ईपीएफ खाते में जमा होने हैं। इसके लिए इन मजदूरों की सूची ईएनसी से मांगी गई है। श्रम विभाग ने भी नए बजट में इस मद के लिए 60 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।
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गंभीर बात यह है कि सरकार श्रमायुक्त दर पर काम करने वाले मजदूरों को नियमित करने की राह पर है। वहीं विभाग के अफसर इसका विरोध कर ठेके पर ही काम लेने के लिए सर्कुलर जारी कर रहे हैं। राजधानी के रीजनल ईपीएफ दफ्तर ने 40.32 करोड़ रुपए अप्रैल 2015 से मार्च 2021 तक के ईपीएफ का आंकलन कर पीडब्लूडी के खजाने से काट लिए हैं। जबकि फरवरी 2021 से दिसंबर 2024 तक के ईपीएफ की राशि भी जल्द ही सीज की जा सकती है।
बजट में पहले ही 60 करोड़ रुपए का प्रावधान
अनुमान है कि यह राशि 60-70 करोड़ रुपए हो सकती है। हालांकि सरकार ने नए बजट में पहले ही 60 करोड़ रुपए का प्रावधान कर दिया है। इस प्रावधान का आशय है कि सरकार भविष्य में श्रमायुक्त दर पर काम करने वाले मजदूरों को नियमित कर सकती है। इस श्रेणी में करीब 6442 मजदूर कार्यरत हैं। ईपीएफ कमिश्नर ने इनका आधार, बैंक खाता नंबर, पैन नंबर, मोबाइल नंबर, ई-नॉमिनेशन तथा फार्म 5ए मांगा है।
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साय सरकार ने कंपनसेशन के दिए 30 करोड़
नियमितीकरण की मांग को लेकर श्रमिक बरसों से आंदोलन करते रहे हैं। कुछ मामले कोर्ट में भी लंबित हैं। भूपेश बघेल सरकार ने शिक्षा कर्मियों की तर्ज पर कई विभागों के कर्मचारियों को नियमित करने अभियान चलाया था। इसमें तकनीकी अड़चनें आईं। इस वजह से अनियमित मजदूरों को कंपनसेशन के रूप में 4-4 हजार रुपए पारितोषिक देने की स्कीम प्रारंभ की। साय सरकार ने भी इसे जारी रखते हुए नए बजट में इसके लिए 30 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।
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2016 में ढांड ने दिए थे ईपीएफ काटने के निर्देश
नौ साल से मजदूरों के ईपीएफ कटौती पर अमल अटका है। 22 नवंबर 2016 को तत्कालीन मुख्य सचिव विवेक ढांड ने सर्कुलर जारी किया थआ कि दैनिक मासिक श्रमिक अस्थायी तौर पर आवश्यकतानुसार रखा जाता है। भविष्य में लगभग 36 हजार कर्मियों को फायदा मिल सकता है।
सरकार का ऐसे विरोध
पीडब्लूडी के दुर्ग परिक्षेत्र के मुख्य अभियंता ने सरकुलर जारी किया है। इसमें सरकार की मंशा का विरोध करते हुए प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए ही मजदूरों के नियोजन का प्रस्ताव दिया है। जबकि पत्र में उल्लेख भी कर रहे हैं कि नियोजित मजदूरों के वेतन से ईपीएफ की कटौती किया जाना अनिवार्य है। इस वजह से नियोजन नियमित श्रेणी में आने की संभावना है।
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