76 जवानों की जान लेने वाला नक्सली हिड़मा, 2000 जवानों को चकमा दे गया

हैरानी की बात है कि 76 जवानों को मौत के घाट उतारने वाला नक्सली हिड़मा अब तक जवानों के हाथ नहीं लग पाया। नक्सली हिड़मा 2000 जवानों की टीम को चकमा देकर भाग गया।

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Kanak Durga Jha
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Naxal Hidma who killed 76 soldiers fooled 2000 soldiers the sootr

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हैरानी की बात है कि 76 जवानों को मौत के घाट उतारने वाला नक्सली हिड़मा अब तक जवानों के हाथ नहीं लग पाया। नक्सली हिड़मा 2000 जवानों की टीम को चकमा देकर भाग गया। दरअसल, जवानों को मुखबिर के द्वारा यह सूचना मिली थी कि नक्सली हिड़मा सुकमा के घने जंगल में छिपा हुआ है। इसके बाद तीन जिलों के 2000 जवानों की टीम सुकमा के जंगल में सर्च ऑपरेशन के लिए पहुंची। 

नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई में फोर्स को बड़ी सफलता मिली है। फोर्स ने बीजापुर एनकाउंटर में खूंखार नक्सली हिड़मा की बटालियन PLGA की पूरी तरह से कमर तोड़ दी है। मुठभेड़ में हथियार सहित 12 हार्डकोर माओवादियों के शव बरामद कर लिए गए हैं। इनकी संख्या 17 बताई जा रही है। मारे गए नक्सली PLGA बटालियन और CRC कंपनी के सदस्य हैं। इस बड़े नक्सल ऑपरेशन में तीन जिलों के जिला रिजर्व गार्ड ( DRG) , CRPF की विशिष्ट जंगल युद्ध इकाई COBARA ( कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन ) की पांच बटालियन और CRPF की 229वीं बटालियन के जवान शामिल हैं। 

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1 करोड़ का इनामी है नक्सली हिड़मा

माओवादी की सशस्त्र ब्रांच है PLGA  पीएलजीए प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की सशस्त्र ब्रांच है। पीएलजीए बटालियन नंबर एक को नक्सलियों का सबसे मजबूत बल माना जाता है। इसका नेतृत्व खुद हिड़मा कर रहा है। इस नक्सली ने बीते एक दशक में छत्तीसगढ़ में कई बड़े नक्सली हमले कि, हैं। बस्तर संभाग के सात जिलों में नक्सलियों का यह संगठन काफी मजबूत है।

हिड़मा की गिरफ्तारी, एनकाउंटर या सरेंडर होगा बस्तर में नक्सल आतंक का पर्याय बन चुके खूंखार नक्सली माड़वी हिड़मा को संतोष उर्फ इंदमुल उर्फ पोडियाम भीमा जैसे कई और नामों से भी जाना जाता है। सुकमा उसका गढ़ माना जाता है। यहां पर होने वाली सभी नक्सल गतिविधियों पर उसका नियंत्रण रहता है।

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वह वर्ष 1990 में नक्सलियों के संगठन से जुड़ा। पिछले कई साल से सुरक्षा एजेंसियां उसकी तलाश में जुटी है। छत्तीसगढ़ में कई नक्सली हमलों को अंजाम देने वाले इस दुर्दांत नक्सली का जन्म सुकमा जिले के पूवर्ती गांव में हुआ था। यह गांव दुर्गम पहाड़ियों और घने जंगलों के बीच स्थित है। 


हिड़मा ने फिलीपींस जाकर ली ट्रेनिंग

न्यायधानी रोड एक्सिडेंट में युवा रियल स्टेट कारोबारी की मौत हिड़मा कई बड़े नक्सली हमलों का मास्टर माइंड कद-काठी में छोटे से दिखने वाले हिडमा का नक्सली संगठन में बड़ा नाम है। बताया जाता है कि उसके नेतृत्व काबिलियत के बल पर ही उसे 13 साल की उम्र में नक्सलियों की टॉप सेंट्रल कमेटी का सदस्य बना दिया गया।  

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साल 2010 में ताड़मेटला में हुए हमले में सीआरपीएफ के 76 जवानों की शहादत में हिड़मा का नाम सामने आया था। इसके बाद साल 2013 में हुए झीरम हमले में भी हिडमा की भूमिका थी। जानकारी के अनुसार हिडमा ने फिलीपींस में गोरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग ली है।

FAQ

नक्सली हिड़मा क्यों अभी तक सुरक्षा बलों के हाथ नहीं आया?
नक्सली हिड़मा ने 2000 जवानों की टीम को चकमा देकर सुकमा के घने जंगलों में छिपकर बच निकला, जिसके कारण वह अब तक गिरफ्त में नहीं आ सका है।
हिड़मा को क्यों इतना खतरनाक माना जाता है?
हिड़मा को खतरनाक माना जाता है क्योंकि वह पीएलजीए बटालियन का नेतृत्व करता है और उसने छत्तीसगढ़ में कई बड़े नक्सली हमलों को अंजाम दिया है, जिनमें 2010 में ताड़मेटला में 76 जवानों की शहादत और 2013 में झीरम हमला शामिल है।
हिड़मा ने किस देश में गोरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग ली थी?
हिड़मा ने फिलीपींस में गोरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग ली थी।

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