रायुपुर, सुकमा.
छत्तीसगढ़ के सुकुमा जिले में 2001 के बाद से अब तक 354 ग्रामीणों की हत्या कर दी गई। नक्सल हिंसा में मारे गए ग्रामीणों के बलिदान को याद किया गया। जिले में पहली बार पुलिस ने भूमकाल दिवस मनाया गया। हालांकि, मृतकों की संख्या और भी अधिक हो सकती है, क्योंकि कई मृतकों की जानकारी पुलिस को नहीं दी गई। इसकी वजह नक्सिलयों का डर है। भूमकाल दिवस पर पुलिस कप्तान किरण चव्हाण ने ग्रामीणों के बलिदान को याद करते हुए कहा कि शांति स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा साथ ही नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़ आत्म समर्पण करे और मुख्यधारा से जुड़कर विकास में भागीदारी निभाए।
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पहली बार हुआ आयोजन
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पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण व पुलिस अधिकारियों ने शहीद स्मारक के पास भूमकाल दिवस पर शहीद गुंडाधूर की प्रतिमा पर फूल अर्पण किए। साथ ही अंग्रेजों से लड़ने वाले आदिवासी नेताओं के साथ-साथ उन ग्रामीणों के बलिदान को याद किया गया जिनका नक्सलियों द्वारा हत्या की गई हो। डीएसपी संजय सिंह ने जिले में 354 ग्रामीणों का नाम स्मरण किया जिनकी हत्या नक्सिलयों ने कर दी थी। ज्ञात हो कि पुलिस प्रशासन द्वारा भूमकाल दिवस पर इस तरह का आयोजन पहली बार किया है।
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एर्राबोर में मारे गए सबसे ज्यादा ग्रामीण
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2000 में मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्यगठन हुआ था। 2001 के बाद अब तक जिले में 354 ग्रामीणों की हत्या नक्सलियों ने की है और इसमें सबसे ज्यादा एर्राबोर गांव जहां 95 ग्रामीणों को मौत के घाट उतारा गया है। वहीं, कुछ ग्रामीण ऐसे भी है जिनका नाम पुलिस रिकार्ड में नहीं है क्योंकि नक्सलियों के डर से ग्रामीण पुलिस को नहीं बताऐ।
शांति स्थापित करने कैंप खोला जा रहा
पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने भूमकाल दिवस के मौके पर अंग्रेजों व नक्सलियों से लड़ने वाले ग्रामीणों के बलिदान को याद किया। उन्होने कहा कि भूमकाल दिवस पहली बार इस तरह मनाया जा रहा है। 2001 के बाद 354 ग्रामीणों को नक्सलियों ने मार दिया। Naxalites