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Chhattisgarh Atmanand English Medium School : छत्तीसगढ़ में 5 लाख से अधिक बच्चों का भविष्य अंधेरे में है। प्रदेश की राजनीति में मासूम पिस रहे हैं। दरअसल, आत्मानंद स्कूल में अब चॉक-डस्टर खरीदने के भी पैसे नहीं है। स्कूल प्रबंधन के पास अब स्कूल चलाने के पैसे नहीं है। इसका सीधा असर लाखों स्टूडेंट्स के भविष्य पर पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने और शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए 2020 में 751 स्कूलों को स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट स्कूल बनाया गया था।
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इसके पीछे पूर्ववर्ती सरकार का दावा था कि आत्मानंद स्कूलों में विद्यार्थियों को बेहतर सुविधा दी जाएगी। कहा गया था कि धीरे-धीरे प्रदेश के सभी स्कूलों को आत्मानंद की तर्ज पर बनाया जाएगा। लेकिन महज 4 साल में इस योजना ने दम तोड़ना शुरु कर दिया है।
साल भर के बाद भी स्कूलों को एक- एक लाख रुपए देने की तैयारी की जा रही है। लेकिन प्राचार्यों की मानें तो यह काफी कम है। अभी हालात यह है कि स्कूलों में बच्चों के परीक्षा लेने प्रश्नपत्र व स्टेशनरी सामानों के लिए पैसे तक नहीं है। वर्तमान में रायपुर जिले में ही 50 से ज्यादा आत्मानंद स्कूल चल रहे हैं।
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5 लाख से ज्यादा बच्चे आत्मानंद में पढ़ रहे
इन स्कूलों में इस साल वार्षिक उत्सव तक नहीं हो सका है। न ही अब होने की उम्मीद है, क्योंकि अब फरवरी में प्री-एग्जाम होना है। इसके बाद बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी। रायपुर में ही 50 स्कूलों को मिलाकर 4 हजार से ज्यादा विद्यार्थी हैं। वहीं अगर प्रदेश की बात करें तो 751 स्कूलों की हिसाब से छात्रों की संख्या 5 लाख से ज्यादा है। सीधे कहें तो सुविधाओं का दावा कर पहले तो लाखों छात्रों का इन उत्कृष्ट विद्यालय में दाखिला करवाया गया। इसके बाद अब इन्हें न तो मूलभूत सुविधा मिल रही है।
जानिए... आखिर क्यों हुई यह समस्या
बाकी सरकारी स्कूलों की तरह आत्मानंद स्कूल में छात्रों से एडमिशन शुल्क नहीं लिया जाता है। एक बार स्कूल में दाखिला होने के बाद 12वीं तक की कक्षा तक निशुल्क पढ़ाई होती है। सभी स्कूलों को शासन की ओर से 5-5 लाख रुपए दिए जाते थे। इसी फंड से ही स्कूलों में मेंटेनेंस से लेकर चॉक, डस्टर जैसे स्टेशनरी की खरीदी की जाती थी। लेकिन बीतें एक साल से स्कूलों को यह राशि जारी नहीं की गई है। इसकी वजह से स्कूलों के संचालन में समस्या आ रही है।
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सरकार बदलते ही इन स्कूलों में भ्रष्टाचार के लगे थे आरोप
सरकार बदलते ही आत्मानंद स्कूलों को शिक्षा विभाग के हवाले करने की कवायद शुरु कर दी गई थी। क्योंकि आत्मानंद स्कूल पहले जिला कलेक्टर के अधीन थे। आरोप था कि जिन स्कूलों का कायाकल्प कर आत्मानंद बनाया है उसमें भारी भ्रष्टाचार हुआ है। स्कूलों के मेंटेनेंस के नाम पर ही 800 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। लेकिन बाद में शिक्षा मंत्री नहीं होने की वजह से मामले पर फैसला नहीं हो सका।
आज तक इन स्कूलों का एक बार भी नहीं हुआ ऑडिट
प्रदेश में जब से 751 आत्मानंद स्कूल अस्तित्व में आए हैं तब से लेकर आज तक एक भी स्कूलों का ऑडिट नहीं हो सका है। इस कारण कुछ दिन पहले शासन स्तर पर यह भी सुगबुगाहट हुई थी कि पहले सभी स्कूलों का ऑडिट कराया जाएगा। इसके बाद आगे के लिए फंड जारी किया जाएगा।
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