बर्खास्त कर्मचारियों का भी पक्ष सुनने का आदेश

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के कर्मियों की बर्खास्तगी के मामले में अपील स्वीकार की है। यह अपील हाईकोर्ट की डबल बेंच ने आंशिक रूप से स्वीकार की है। इससे पहले सिंगल बेंच ने सहकारी बैंक की अपील पर आदेश को निरस्त कर दिया था।

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Krishna Kumar Sikander
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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के कर्मियों की बर्खास्तगी के मामले में अपील स्वीकार की है। यह अपील हाईकोर्ट की डबल बेंच ने आंशिक रूप से स्वीकार की है। इससे पहले सिंगल बेंच ने सहकारी बैंक की अपील पर आदेश को निरस्त कर दिया था। सिंगल बेंच ने सहकारी बैंक के कर्मचारियों की बर्खास्तगी को गलत ठहराते हुए सेवा में फिर बहाल करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने बैंक को यह भी आदेश दिया कि निकाले गए कर्मचारियों का पक्ष जानने के बाद यह तय करे कि नौकरी पर रखना या बर्खास्त करना है। 

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बर्खास्त कर दिए 106 लोग 

साल 2016 में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक प्रबंधन ने 106 लोगों को नियुक्ति किया था। मगर, बाद में इनको बर्खास्त कर दिया गया। बैंक प्रबंधन की कार्रवाई के विरोध में 29 कर्मचारियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर बैंक प्रबंधन की कार्रवाई को चुनौती दी। जस्टिस एके प्रसाद की सिंगल बेंच ने कर्मचारियों की सेवा समाप्ति का आदेश निरस्त कर दिया। अपने आदेश में कोर्ट ने माना कि कर्मचारियों का पक्ष जाने बिना बर्खास्त कर दिया गया है। 

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कर्मचारियों ने दी बर्खास्तगी को चुनौती 

बैंक प्रबंधन ने हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के निर्णय के विरुद्ध डिवीजन बेंच में अपील की थी। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और न्यायाधीश अरविंद कुमार वर्मा की डिवीजन बेंच ने बर्खास्त कर्मचारियों को बहाल करने के सिंगल बेंच के फैसले को निरस्त कर दिया। साथ ही कोर्ट ने यह निर्देश दिया कि जिन कर्मचारियों ने भी बर्खास्तगी को चुनौती दी है, उनका पक्ष जाना जाए। इसके बाद ही बर्खास्तगी को लेकर फैसला किया जाए। कोर्ट ने इसके लिए प्रबंधन को 3 माह का समय दिया है। 

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भर्तियों में गड़बड़ी की शिकायत 

जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर में 2016 में 106 कर्मचारियों की भर्ती की गई थी। उस समय भाजपा नेता देवेंद्र पांडेय अध्यरक्ष थे। इन 106 कर्मचारियों की भर्ती के लिए एक एजेंसी के माध्यम से परीक्षा ली गई। फिर इंटरव्यू के बाद नियुक्तियां दी गई थी। इन भर्तियों में गड़बड़ी की शिकायत के बाद तत्कालीन सीईओ और कलेक्टर ने सभी को बर्खास्त कर दिया था। इन भर्तियों के लिए विधिवत अनुमति भी नहीं ली गई थी। इतना ही नहीं कई लोग तो परीक्षा में ही नहीं बैठे। इसके बावजूद उन्हें नौकरी दे दी गई। इंटरव्यू कमेटी में तो बैंक प्रबंधन ने अपात्र कर्मचारियों को शामिल कर लिया था। इंटरव्यू के नंबर भी काफी ऊपर-नीचे थे, जिसे देखते हुए यह भर्ती ही निरस्त कर दी गई थी।

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