छत्तीसगढ़ में नर्सिंग और पैरामेडिकल के 6,300 पद खाली, सरकार की मंजूरी के एक साल बाद भी भर्ती नहीं

छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। राज्य सरकार ने पिछले साल अगस्त में 225 स्टाफ नर्स सहित 650 पैरामेडिकल पदों पर भर्ती को मंजूरी दी थी, लेकिन एक साल बाद भी यह प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है।

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Krishna Kumar Sikander
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छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। राज्य में नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ के 6,300 से अधिक पद खाली पड़े हैं। इनमें स्टाफ नर्स, टेक्नीशियन, वार्ड ब्वाय, स्ट्रेचर ब्वाय, कंप्यूटर ऑपरेटर और प्यून जैसे पद शामिल हैं। सरकार ने पिछले साल अगस्त में 225 स्टाफ नर्स समेत 650 पैरामेडिकल पदों पर भर्ती की मंजूरी दी थी, लेकिन एक साल बाद भी भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है।

न केवल भर्ती में देरी हो रही है, बल्कि रायपुर के डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल में 700 बेड के नए मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल के निर्माण का काम भी रुका हुआ है। इसके अलावा, छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन (CGMSC) की नई बिल्डिंग के लिए टेंडर प्रक्रिया अधर में लटकी है। इन सबके चलते मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने का सपना अधूरा रह गया है।

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पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी

स्वास्थ्य विभाग में नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी लंबे समय से एक बड़ी समस्या बनी हुई है। राज्य में 6,300 से अधिक पद खाली पड़े हैं। इनमें स्टाफ नर्स, टेक्नीशियन, वार्ड ब्वाय, स्ट्रेचर ब्वाय, कंप्यूटर ऑपरेटर और प्यून जैसे पद शामिल हैं। स्वास्थ्य निदेशक ने जनवरी 2024 में 650 पदों पर नियमित और सीधी भर्ती का सरकार को प्रस्ताव भेजा था। इस प्रस्ताव को अगस्त 2024 में मंजूरी भी मिल गई।

इसके तहत 400 पद जिला स्तर और 250 पद संभाग स्तर पर भरने थे। ये पद जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) और उप-स्वास्थ्य केंद्रों के लिए थे। हालांकि, मंजूरी के बावजूद भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी। सबसे बड़ी बाधा यह है कि इन पदों के लिए रोस्टर तक तैयार नहीं किया गया है।

बिना रोस्टर के भर्ती प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकती। छत्तीसगढ़ व्यापमं के माध्यम से पहली बार इन पदों पर सीधी और नियमित भर्ती की घोषणा की गई थी, लेकिन विज्ञापन जारी न होने से अभ्यर्थियों में निराशा फैल रही है। 

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अंबेडकर अस्पताल में नई चुनौती

रायपुर के डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल में 700 बेड के नए इंटीग्रेटेड मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल के लिए 520 से अधिक नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ की जरूरत है। इसके अलावा, 15 से अधिक डॉक्टरों की भर्ती भी प्रस्तावित है, जिनमें असिस्टेंट प्रोफेसर, सीनियर और जूनियर रेजिडेंट शामिल हैं।

अस्पताल प्रबंधन ने विभिन्न विभागों से स्टाफ की जरूरतों का ब्योरा मांगा है, जिसके आधार पर डायरेक्टर ऑफ मेडिकल एजुकेशन (DME) को प्रस्ताव भेजा जाएगा, लेकिन भर्ती में देरी के कारण यह नया अस्पताल भी स्टाफ की कमी से जूझ सकता है। वर्तमान में अंबेडकर अस्पताल में 1,252 बेड की तुलना में केवल 500 नर्सें कार्यरत हैं, जो बेहद अपर्याप्त है।

इनमें से 150-200 नर्सें दैनिक भुगतान और संविदा के आधार पर काम कर रही हैं। नियमित भर्ती न होने के कारण अस्पताल को अस्थायी कर्मचारियों पर निर्भर रहना पड़ रहा है, जिससे मरीजों की देखभाल और इलाज की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।

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CGMSC की बिल्डिंग निर्माण में देरी

अंबेडकर अस्पताल में मल्टी-स्पेशलिटी बिल्डिंग के निर्माण की आधारशिला सितंबर 2023 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रखी थी। इस प्रोजेक्ट को छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन (CGMSC) को पूरा करना था। इसके लिए ई-टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन टेंडर अब तक फाइनल नहीं हो सका।

इस बिल्डिंग में सबसे पहले ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनाकोलॉजी और पीडियाट्रिक विभाग शुरू किए जाने हैं, जिनके बाद साइकियाट्री या ENT विभाग को शिफ्ट करने की योजना है। इन विभागों को सुचारू रूप से चलाने के लिए बड़ी संख्या में नर्सों, टेक्नीशियनों, वार्ड ब्वाय, स्ट्रेचर ब्वाय और अन्य स्टाफ की जरूरत होगी। 

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क्यों हो रही है देरी?

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया में देरी की मुख्य वजह प्रशासनिक ढिलाई और रोस्टर तैयार न होना है। ढाई साल पहले शासन ने 6,300 से अधिक पैरामेडिकल पदों को व्यापमं के जरिए भरने की मंजूरी दी थी, लेकिन प्रक्रिया में कोई प्रगति नहीं हुई। अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज ने अपने स्तर पर कुछ पदों को भरने की पहल की थी, लेकिन कांकेर मेडिकल कॉलेज में भर्ती का मामला हाईकोर्ट में लंबित होने के कारण रुका हुआ है। 

मरीजों पर पड़ रहा असर

पैरामेडिकल स्टाफ और डॉक्टरों की कमी का सबसे ज्यादा असर मरीजों पर पड़ रहा है। जिला अस्पतालों, CHC और PHC में नर्सों की कमी के कारण मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। खासकर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं पहले से ही कमजोर हैं, और भर्ती में देरी ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है। मरीजों को बड़े अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है, जिससे वहां भीड़ बढ़ रही है और स्वास्थ्य व्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है। 

अभ्यर्थियों में निराशा

भर्ती में देरी के कारण नर्सिंग और पैरामेडिकल कोर्स कर चुके अभ्यर्थी निराश हैं। एक अभ्यर्थी ने बताया, "हम पिछले एक साल से भर्ती का इंतजार कर रहे हैं। मंजूरी के बाद भी विज्ञापन जारी नहीं हुआ। इससे हमारा भविष्य अधर में लटक गया है।" कई अभ्यर्थी अब निजी क्षेत्र में नौकरी तलाशने को मजबूर हैं, लेकिन वहां भी स्थायी रोजगार की गारंटी नहीं है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय जरूरी हैं:  तेजी से भर्ती प्रक्रिया: रोस्टर तैयार कर व्यापमं के जरिए जल्द से जल्द भर्ती शुरू की जाए।  

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