छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में प्री-एग्रीकल्चर टेस्ट (पीएटी) परीक्षा के दौरान जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही ने चार छात्रों का भविष्य दांव पर लगा दिया। मेडिकल सुविधाओं की कमी और दस्तावेज जांच में अस्पष्टता के कारण ये छात्र परीक्षा से वंचित हो गए। इस घटना ने प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। छात्रों और अभिभावकों ने मांग की है कि ऐसी लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो और भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं।
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घायल छात्र को नहीं मिला उपचार
कोंडागांव जिले में प्री-एग्रीकल्चर टेस्ट (पीएटी) देने के लिए मालगांव निवासी खेमलाल मौर्य बाइक दुर्घटना में घायल होने के बावजूद समय पर परीक्षा केंद्र पहुंचा। लेकिन, केंद्र पर न मेडिकल किट थी, न ही स्वास्थ्य टीम। अनिवार्य प्राथमिक उपचार की अनुपस्थिति में उसे अस्पताल भेज दिया गया, जिससे वह परीक्षा नहीं दे सका।
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आधे घंटे बाद हॉल से निकाली गई छात्रा
कोंडागांव जिले में प्री-एग्रीकल्चर टेस्ट (पीएटी) देने आई परीक्षार्थी दीपिका मरकाम को प्रवेश द्वार पर दस्तावेज जांच के बाद परीक्षा हॉल में बैठने की अनुमति मिली। सुबह 8:30 बजे वह पेपर लिखने बैठी, लेकिन आधे घंटे बाद एक अधिकारी ने मूल आधार कार्ड की मांग कर उसे बाहर निकाल दिया। दीपिका ने बताया, "अगर प्रवेश द्वार पर बता दिया होता, तो मैं समय पर आधार कार्ड ला सकती थी।"
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प्रशासनिक लापरवाही उजागर
कोंडागांव जिले में प्री-एग्रीकल्चर टेस्ट (पीएटी) के लिए बनाए गए परीक्षा केंद्र पर स्वास्थ्य विभाग की टीम या प्राथमिक उपचार किट की अनुपस्थिति ने प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया। परीक्षा केंद्रों में नियम के मुताबिक केंद्र पर रेडक्रास से प्रशिक्षित स्टाफ और मेडिकल किट होना जरूरी है। लेकिन परीक्षा केंद्र पर इसकी व्यवस्था नहीं होने के कारण घायल खेमलाल घंटों वहां बैठा रहा। इस दौरान परीक्षा केंद्र पर न उसके इलाज की व्यवस्था हुई और न परीक्षा देने दिया गया। इसके कारण उसका साल बर्बाद हो गया।
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समय पर नहीं पहुंचे तो प्रवेश नहीं
कोंडागांव हायर सेकेंडरी स्कूल की प्रिंसिपल चंद्रकुमारी कोर्राम ने कहा कि कोंडागांव जिले में प्री-एग्रीकल्चर टेस्ट (पीएटी) देने वाले छात्रों की संख्या अधिक होने के कारण दस्तावेज जांच के लिए अलग-अलग कर्मचारियों की ड्यूटी थी। कुछ छात्रों ने मूल आधार कार्ड नहीं लाया या समय पर नहीं पहुंचे, इसलिए उन्हें प्रवेश नहीं मिला। घायल छात्र को अस्पताल भेजा गया, क्योंकि केंद्र पर उपचार की व्यवस्था नहीं थी।"
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