सिंहासन छत्तीसी : छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में एक ही सवाल,आखिर कौन है पीयूष अग्रवाल

छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में पीयूष अग्रवाल का नाम लगातार चर्चा में है। ड्रग्स कांड, मंत्री का फोन और राजनीति में उथल-पुथल के बीच प्रशासनिक हलचल बढ़ गई है। आखिर कौन है पीयूष अग्रवाल,पढ़िए सिंहासन छत्तीसी

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Arun Tiwari
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sinhaasan battishi

Photograph: (the sootr)

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रायपुर :छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में इन दिनों बहुत कोलाहल है। एक नाम पीयूष अग्रवाल ने तो जैसे बवाल मचा दिया है। ड्रग्सकांड में पीयूष नाम आया तो एक बड़े मंत्री की इंट्री हो गई। मंत्री का फोन पुलिस तक पहुंच गया।

अब सवाल है कि ये रिश्ता क्या कहलाता है। एक सुंदरी ने वैसे ही नेता अफसरों की नींदें उड़ा दी हैं और अब और सुंदरियों की तलाश की जा रही है। यही जानकार प्रशासनिक गलियारों का पारा बढ़ा हुआ है। वहीं बीजेपी संगठन में बदलाव के बाद की बातें थमने का नाम नहीं ले रहीं। अब नए नए पदाधिकारी अपने अपने सोशल मीडिया ग्रुप बना रहे हैं और पुरानों की छुट्टी कर रहे हैं।

कांग्रेस में इन दिनों एक बड़ी चर्चा चल रही है। चर्चा ये है कि चमचे बड़े या नेता। तो वहीं बीजेपी संगठन के लोग इस बात से नाराज हैं कि अधिकारी उनकी सुनते नहीं हैं। राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों की ऐसी ही अनसुनी खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।        

कौन है पीयूष अग्रवाल ? 

आखिर पीयूष अग्रवाल कौन है। यह सवाल इन दिनों राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में खूब चर्चा में है। जब से ड्रग्स कांड का खुलासा हुआ है तब से नए नए नाम सामने आ रहे हैं। नव्या के फोन में मिले हाईप्रोफाइल नामों और चेहरों ने इस कांड को खूब गरमा दिया है। अब एक नया नाम सामने आया है पीयूष अग्रवाल का।

ड्रग्स के इस गिरोह में पीयूष अग्रवाल भी शामिल है। लेकिन इसकी पहुंच बहुत उपर तक है। जब पुलिस ने पीयूष पर हाथ डाला तो छत्तीसगढ़ के एक बड़े मंत्री का फोन पुलिस के पास पहुंच गया और उसको छोड़ दिया गया। अब चर्चा यह है कि आखिर मंत्री का पीयूष के साथ क्या रिश्ता है। पीयूष को आखिर क्यों बचाया जा रहा है। कहीं इस ड्रग्स कांड के तार बहुत उपर तक तो नहीं हैं। मंत्री के फोन ने इस चर्चा को नया ही रुप दे दिया। इस बारे में या तो पीयूष बता सकता है या फिर मंत्रीजी।      

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निशाने पर क्यों है वीआईपी : 

छत्तीसगढ़ पुलिस अब ऑपरेशन सुंदरी की तैयारी कर रही है। पुलिस के निशाने पर वीआईपी रोड है। जब से ड्रग्स सप्लाई करने के मामले में नव्या और उसके साथियों का नाम आया है तब से पुलिस के कान खड़े हो गए है। पुलिस को लगता है कि सिर्फ एक नव्या नहीं ऐसी कितनी ही हाईप्रोफाइल लड़कियां नशे के इस कारोबार में लगी हैं।

वीआईपी रोड मुंबई की तर्ज पर रात में गुलजार होता है। यहां के होटलों में न कोई नियम चलता है और न कानून। देर रात हाईप्रोफाइल पार्टिंयां चलती हैं। पुलिस को इस बात के सूत्र भी मिले हैं कि इन पार्टियों में नशे की सप्लाई भी होती है। ड्रग्स का आदान प्रदान खूब होता है।

पुलिस अब नशे के ऐसे कारोबारियों को पकड़ने के लिए नया ऑपरेशन लांच करने जा रही है। इस ऑपरेशन की जानकारी फिलहाल गुप्त रखी जा रही है। क्योंकि पिछले मामले में ड्रग्स के साथ हनीट्रैप कनेक्शन भी सामने आया था जिसमें बड़े बड़े नेता,अधिकारी और उद्योगतियों के नाम सामने आए हैं। 

मीडिया विभाग में रिमूव और एड का दौर : 

जब से बीजेपी में नया संगठन बनकर तैयार हुआ है तब से अलग अलग तरह की बातें सामने आ रही हैं। कोई बहुत नाराज है तो कोई बहुत खुश और अभी उम्मीद से है। बीजेपी का मीडिया विभाग इस समय सबसे ज्यादा चर्चा में है। मीडिया विभाग की कमान अब दूसरे हाथों में आ गई है। लिहाजा सोशल मीडिया ग्रुप में भी बदलाव हो रहा है।

किसी को इस ग्रुप से रिमूव किया जा रहा है तो किसी को जोड़ा जा रहा है। चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि इस ग्रुप के सर्वेसर्वा रहे पिछले मीडिया प्रभारी को रिमूव कर दिया गया,बाद में आपत्ति आई तो फिर से जोड़ लिया गया। इसके बाद बारी पिछले सह मीडिया प्रभारी की थी,उनको भी यहां से हटा दिया गया, लेकिन बाद में फिर जोड़ लिया गया। ऐसे कितने नाम है जिनको हटाया गया है और अपने वालों को जोड़ा गया है। जब पूछा गया कि ऐसा क्यों हो रहा है तो किसी ने खींसे निपोरते हुए कहा कि नए मीडिया प्रभारी का हाथ तकनीक में थोड़ा तंग है इसलिए गलती से ऐसा हो गया। बाकी गड़बड़ कुछ नहीं है।  

ये संगठन है कि मानता नहीं : 

बीजेपी संगठन अलग तरह का माना जाता है। लेकिन आजकल यह संगठन थोड़े मुश्किल में है। मुश्किल इसलिए है क्योंकि अधिकारी इनकी सुन नहीं रहे हैं। संगठन को अधिकारी बिना काम का समझ रहे हैं। खासतौर पर वे अधिकारी जो सीएम के करीब हैं।

संगठन के कुछ लोग नाराज होकर सीएम हाउस पहुंच गए। इन्होंने सीएम साय को बताया कि बीजेपी की सरकार में ही बीजेपी संगठन के लोगों की नहीं चल रही। यहां तक के उनके कामकाज में भी अधिकारी दखल दे रहे हैं। अधिकारी उनको कुछ समझते ही नहीं। उनके काम भी नहीं हो पा रहे हैं। जब बीजेपी संगठन की ही नहीं चलेगी तो फिर आम कार्यकर्ता तो राम भरोसे ही हैं।

सीएम ने इसको गंभीरता से लिया है। अब वे इस समस्या के समाधान का कोई तरीका तलाश रहे हैं ताकि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। 

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कांग्रेस पार्टी में बड़ा कौन, नेता या चमचा : 

कांग्रेस में इन दिनों एक ही चर्चा चल रही है कि आखिर पार्टी में बड़ा कौन है नेता या चमचा। बात तो ये भी हो रही है कि आखिर नेता किसको मानें और चमचा किसको। इन सबसे पीसीसी चीफ बड़े परेशान हैं।

कभी कोई प्रदेश अध्यक्ष के लिए टीएस सिंहदेव का नाम उछाल देता है तो कभी कोई कह देता है कि भूपेश बघेल को अध्यक्ष होना चाहिए। कभी कोई भरे मंच से किसी का माइक छीन लेता है तो कभी कोई कह देता है कि चमचे जो चाहें वो कर दें।

अब नेता के साथ रहने वालों को लगने लगा है कि उनको ही चमचा कहा जा रहा है। जब नेताजी को भीड़ जुटानी होती है तो वही काम आते हैं और बाद में उनको चमचा बोल दिया जाता है। ऐसे लोग अब संगठन से नाराज हो चले हैं। एक तो कांग्रेस वैसे ही टूटन,गुटबाजी और कलह की शिकार है और उससे ये बचे खुचे कार्यकर्ता भी नाराज हो गए तो कांग्रेस में बस नेता बचेंगे चमचे नहीं।

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