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रायपुर : छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा ऐसे ही नहीं कहा जाता। इस धान के कटोरे की धाक पूरी दुनिया में है। छत्तीसगढ़ का चावल 50 से ज्यादा देशों के लोग पसंद करते हैं। इनमें सिंगापुर,स्विटजरलैंड,रसिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भी शामिल हैं। यह खुलासा हुआ है डीजीएफटी यानी डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड की रिपोर्ट में। लेकिन इस रिपोर्ट में एक और बात सामने आई है। छत्तीसगढ़ का चावल विदेशों में एक्सपोर्ट तो हो रहा है लेकिन इसमें साल दर साल कमी आ रही है। यह रिपोर्ट इसका कारण अंतर्राष्ट्रीय मार्केट के गुणा भाग बता रही है लेकिन इसका नुकसान तो छत्तीसगढ़ के धान उगाने वाले किसानों को हो रहा है।
धान के कटोरे की धाक
छत्तीसगढ़ में धान की उत्पादन सबसे ज्यादा होता है। इसीलिए इसे धान का कटोरा कहा जाता है। धान यहां की अर्थव्यवस्था और राजनीति का का मुख्य आधार है। साल दर साल यहां पर धान के उत्पादन में लगातार इजाफा हो रहा है। इस साल भी धान का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ जो अब तक का सबसे ज्यादा उत्पादन है। छत्तीसगढ़ का ये चावल सिर्फ छत्तीसगढ़िया या फिर देश के अलग अलग राज्यों के लोगों को ही नहीं भाता बल्कि इसके शौकीन विदेशों के भी लोग हैं। इन लोगों में सिंगापुर,स्विटजरलैंड और रसिया जैसे देश भी शामिल हैं। डीजीएफटी यानी डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड के आंकड़े यही बताते हैं। डीजीएफटी केंद्र सरकार का वो विभाग है जो अनाज के निर्यात के आंकड़े इकट्ठा करता है। डीजीएफटी की साल 2019 से 2023 तक के छत्तीसगढ़ के चावल निर्यात की रिपोर्ट में बताया गया है कि यहां का चावल 50 से 70 देशों में एक्सपोर्ट होता है।
छत्तीसगढ़ के चावल का इतना निर्यात
- अप्रैल 2019 से मार्च 2020 में 50 देशों में चावल का एक्सपोर्ट हुआ। इससे छत्तीसगढ़ के किसानों को 1827 करोड़ रुपए की कमाई हुई।
- अप्रैल 2020 से मार्च 2021 में 69 देशों में चावल का निर्यात हुआ। इससे कमाई बढ़कर 5500 करोड़ हो गई।
- अप्रैल 2020 से मार्च 2021 में 73 देशों में छत्तीसगढ़ का अनाज एक्सपोर्ट हुआ जो 8600 करोड़ रुपए का था।
- अप्रैल 2022 से मार्च 2023 में 62 देशों में चावल एक्सपोर्ट हुआ जिसकी कीमत 9200 करोड़ रुपए थी।
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छत्तीसगढ़ का चावल बुलाने वाले प्रमुख देश
सिंगापुर
स्विटजरलैंड
रुस
ऑस्ट्रेलिया
जापान
सउदी अरब
दक्षिण अफ्रीका
यूएई
ईरान
ईराक
इजराइल
इटली
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चावल निर्यात में आई कमी
चार साल के एक्सपोर्ट के आंकड़े में यदि हम कमाई पर नजर डालें तो यह देखने तो अच्छा लग रहा है क्योंकि हर साल किसानों की कमाई बढ़ी हुई नजर आ रही है। लेकिन असल में यह निर्यात में कमी है। यदि साल दर साल में चावल के एक्सपोर्ट का अध्ययन करें तो इसके अनुपात में कमी आ रही है। डीजीएफटी ने अपनी रिपोर्ट में इसी तरह का अध्ययन किया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक चावल का निर्यात 200 फीसदी से घटकर 7.5 फीसदी पर आ गया है।
इस तरह आई चावल के एक्सपोर्ट में कमी
- साल 2019-20 की तुलना में 2020-21 में चावल के एक्सपोर्ट में 200 फीसदी का इजाफा हुआ है।
- 2020-21 से 2021-22 में निर्यात का ये आंकड़ा कम होकर 56 फीसदी पर पहुंच गया।
- 2021-22 की तुलना में 2022-23 में चावल का निर्यात और कम हो गया। यह गिरावट 8 फीसदी तक पहुंच गई।
आखिर क्यों आई एक्सपोर्ट में कमी
आखिर चावल के निर्यात में कमी क्यों आ रही है। इस सवाल के जवाब में डीजीएफटी की रिपोर्ट कहती है कि निर्यातित सामग्रियों की दरों में कमी या अधिकता का निर्धारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार की मांग और आपूर्ति के अनुरुप होती है। यानी एक्सपोर्ट में कमी होने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मार्केट जिम्मेदार है छत्तीसगढ़ का किसान नहीं। लेकिन ये नुकसान तो यहां का वो किसान उठा रहा है जो धान का उत्पादन करता है। इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार चावल निर्यात के मुद्दे को गंभीरता से ले रही है ताकि यहां का चावल ज्यादा से ज्यादा एक्सपोर्ट हो और किसानों की संपन्नता में इजाफा हो सके।
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