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छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई ने राज्य की सियासत में भूचाल ला दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की 18 जुलाई 2025 को हुई गिरफ्तारी के विरोध में कांग्रेस ने मंगलवार, 22 जुलाई को पूरे राज्य में चक्काजाम किया।
रायपुर के वीआईपी रोड पर भूपेश बघेल समेत कांग्रेस के कई बड़े नेता सड़क पर बैठकर विरोध प्रदर्शन करते नजर आए। सरगुजा, बस्तर, दुर्ग, बिलासपुर और रायपुर संभागों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतरकर बीजेपी सरकार, अडाणी समूह और ED के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
बिलासपुर में सकरी-पेंड्रीडीह फ्लाईओवर के नीचे चक्काजाम से रायपुर-बिलासपुर मार्ग पर यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। सरगुजा में कार्यकर्ताओं ने अनोखे अंदाज में विरोध जताया और 'रघुपति राघव राजा राम' भजन गाकर ED की कार्रवाई का विरोध किया।
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क्यों भड़का कांग्रेस का गुस्सा?
ED ने 18 जुलाई को भिलाई में भूपेश बघेल के आवास पर छापेमारी के बाद चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया। एजेंसी का दावा है कि 2019 से 2022 के बीच हुए 2500 करोड़ रुपये से अधिक के शराब घोटाले में चैतन्य की संलिप्तता है। ED के अनुसार, चैतन्य को इस घोटाले से 16.70 करोड़ रुपये की अवैध राशि प्राप्त हुई, जिसे उन्होंने अपने रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स, खासकर 'विठ्ठलपुरम प्रोजेक्ट' में निवेश कर काले धन को वैध बनाने की कोशिश की।
ED ने यह भी आरोप लगाया कि चैतन्य ने शराब सिंडिकेट के साथ मिलकर 1000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का हेरफेर किया, जिसमें नकद भुगतान, फर्जी बैंक एंट्रीज और कॉन्ट्रैक्टर्स को कैश देने जैसी रणनीतियां शामिल थीं। रायपुर की विशेष कोर्ट ने चैतन्य को 22 जुलाई तक 5 दिन की ED रिमांड पर भेजा है, और आज (22 जुलाई) ED उनकी रिमांड अवधि बढ़ाने के लिए कोर्ट में पेश करेगी।
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ED के दावे और जांच का दायरा
ED ने अपनी प्रेस रिलीज में कहा कि शराब घोटाले से प्राप्त 16.70 करोड़ रुपये की अवैध आय (Proceeds of Crime) चैतन्य बघेल के पास पहुंची, जिसे उन्होंने रियल एस्टेट कंपनियों के जरिए वैध दिखाने की कोशिश की। जांच में पता चला कि त्रिलोक सिंह ढिल्लो के साथ मिलकर चैतन्य ने एक योजना बनाई, जिसमें ढिल्लो के कर्मचारियों के नाम पर विठ्ठलपुरम प्रोजेक्ट में फ्लैट खरीदे गए, जिसके जरिए 5 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ। बैंक रिकॉर्ड्स से भी इस बात की पुष्टि हुई कि शराब सिंडिकेट से प्राप्त धन त्रिलोक सिंह को मिला, जिसे बाद में चैतन्य को हस्तांतरित किया गया।
ED ने इस मामले में पहले भी कई बड़े नामों को गिरफ्तार किया है, जिनमें पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, कारोबारी अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी, त्रिलोक सिंह ढिल्लो और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा शामिल हैं। एजेंसी का दावा है कि यह घोटाला 2019 से 2022 के बीच भूपेश बघेल की सरकार के दौरान हुआ, जिसमें आबकारी नीति में बदलाव कर शराब माफिया को फायदा पहुंचाया गया। ED के मुताबिक, इस घोटाले से राज्य के खजाने को 2500 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ, और अब तक 205 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की जा चुकी हैं।
भूपेश बघेल का पलटवार: 'ED और BJP का गठजोड़'
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ED की कार्रवाई को राजनीतिक साजिश करार दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि ED और BJP एक-दूसरे के लिए काम करते हैं। बघेल ने सवाल उठाया कि 10 मार्च को उनके घर छापेमारी के बाद और 26 मार्च को CBI की कार्रवाई के बाद कोई प्रेस नोट जारी नहीं किया गया।
चैतन्य की गिरफ्तारी के 4 दिन बाद प्रेस रिलीज क्यों आई? उन्होंने तंज कसते हुए पूछा, "क्या अडाणी का कंप्यूटर खराब हो गया था या BJP का 'सुपर सीएम' छुट्टी पर था?" बघेल ने यह भी कहा कि ED की कार्रवाई का मकसद तमनार में अडाणी समूह द्वारा पेड़ों की कटाई के मुद्दे से ध्यान भटकाना है, जिसे वे विधानसभा में उठाने वाले थे।
चैतन्य के वकील ने उठाए सवाल
चैतन्य बघेल के वकील फैजल रिजवी ने ED की कार्रवाई को गैरकानूनी बताया। उन्होंने कहा कि चैतन्य की गिरफ्तारी शराब कारोबारी लक्ष्मी नारायण उर्फ पप्पू बंसल के बयान पर आधारित है, जिनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी है, फिर भी वे खुले घूम रहे हैं। रिजवी ने दावा किया कि 2022 से चल रही जांच में चैतन्य को एक भी समन नहीं भेजा गया, और मार्च 2025 में उनके घर की तलाशी के दौरान सभी जरूरी दस्तावेज ED को सौंपे गए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि चैतन्य की गिरफ्तारी केवल इसलिए हुई क्योंकि वे पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे हैं।
क्या है शराब घोटाला?
छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला 2019 से 2022 के बीच हुआ, जब भूपेश बघेल की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने आबकारी नीति में बड़े बदलाव किए। ED की जांच में सामने आया कि इस दौरान एक संगठित शराब सिंडिकेट ने नकली शराब की सप्लाई, बिना रिकॉर्ड की बिक्री और शराब माफिया को लाभ पहुंचाने का खेल रचा।
इस घोटाले से 2100 से 3200 करोड़ रुपये की अवैध कमाई हुई, जिसने राज्य के राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाया। ED ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत FIR दर्ज की है। अब तक अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, कवासी लखमा जैसे कई बड़े नाम जेल में हैं, और चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी ने इस मामले को और गर्म कर दिया है।
कांग्रेस का चक्काजाम और सियासी बवाल
चैतन्य की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस ने इसे 'राजनीतिक प्रतिशोध' करार देते हुए 22 जुलाई को राज्यव्यापी चक्काजाम का ऐलान किया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि यह कार्रवाई केंद्र की BJP सरकार और अडाणी समूह के इशारे पर हो रही है। रायपुर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ED दफ्तर के बाहर टायर जलाए, जबकि विधानसभा में कांग्रेस विधायकों ने पूरे दिन की कार्यवाही का बहिष्कार किया। भूपेश बघेल ने कहा, "हम न डरेंगे, न झुकेंगे, न टूटेंगे।" इस विरोध प्रदर्शन ने छत्तीसगढ़ की सड़कों पर यातायात को ठप कर दिया, और सियासी तनाव को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया।
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