जो पानी डैम में रुकना था वह किसानों के सपने पर फिरा, सिंचाई योजना में जमकर हुआ भ्रष्टाचार

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY), का मकसद हर खेत तक पानी पहुंचाना है। ताकि किसान फसल की बेहतर पैदावार ले सके लेकिन छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में यह योजना भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ती नजर आ रही है।

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Pravesh Shukla
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प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY), का मकसद हर खेत तक पानी पहुंचाना है। ताकि किसान फसल की बेहतर पैदावार ले सके लेकिन छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में यह योजना भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ती नजर आ रही है। जल संरक्षण और सिंचाई के लिए बनाए गए चेक डैम की गुणवत्ता इतनी खराब है कि वे किसानों को फायदा देने की बजाय नुकसान पहुंचा रहे हैं।

जमकर हुआ भ्रष्टाचार

चेक डैम में  नियमों की अनदेखी के साथ ही इसके निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग और जवाबदेही की कमी ने इस योजना को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया । चेक डैम्स को बने महज एक साल का वक्त ही हुआ है। लेकिन इतने वक्त में ही डैम में दरारें दिखाई देने लगी हैं। इस चेक डैम का पिचिंग वर्क कितना कमजोर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसे हाथ से ही उखाड़ा जा सकता है।

घटिया सामग्री का इस्तेमाल

ग्रामीणों के मुताबिक चेक डैम के निर्माण में घटिया क्वालिटी की सामग्री इस्तेमाल हुई है और निर्माण में निर्धारित तकनीकी मानकों की अनदेखी की गई। यह हालात सिर्फ एक समिति की नहीं है। इलाके में मौजूद जामगांव, कुर्मीगुंडरा, भरर, डांडेसरा, अंजोरा ढाबा और भेंडसर जैसे गांवों में भी चेक डैम्स की हालत खराब है। औसतन एक डैम पर 15 से 17 लाख रुपये खर्च हुए हैं। 

निजी ठेकेदार को दिया ठेका

चेक डैम की जांच के दौरान कई गंभीर अनियमितताएं सामने आईं। जानकारी के मुताबिक निर्माण कार्य ग्राम स्तरीय जलग्रहण समिति की जगह पर निजी ठेकेदारों को दे दिया गया। ज्यादातर डैम्स पर नागरिक सूचना पटल तक नहीं लगाए गए। सरपंचों का आरो है कि निर्माण की प्रक्रिया में सरपंचों को शामिल नहीं किया गया। उन्होंने कई बार सूचना पटल और गेट की मांग की, लेकिन अफसरों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।

सरपंचों से नहीं ली राय

अंजोरा ढाबा गांव  के तत्कालीन सरपंच गजेंद्र सिरसाज के मुताबिक निर्माण की प्रक्रिया में सरपंचों को शामिल नहीं किया गया। उन्होंने बार-बार सूचना पटल और गेट की मांग की, लेकिन अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि जिले के 45-50 चेक डैम्स में से ज्यादातर का निर्माण एक ही व्यक्ति की ओर से करा दिया गया। ग्रामीण उसे कृषि विभाग का अधिकारी मानते हैं। लेकिन विभाग के अधिकारी उसे पहचानते तक नहीं।

खड़े हुए कई सवाल

इस मामले में कृषि विभाग के उप संचालक का कहना है कि निर्माण किस विभाग ने किया है, इसकी जांच कराकर दोषियों पर नियमअनुसार कार्रवाई की जाएगी। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना किसानों के लिए एक उम्मीद थी,लेकिन दुर्ग जिले में इसके क्रियान्वयन ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। 
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