तीन राज्यों के रेलवे स्टेशन में पानी सप्लाई करने वाला रेल नीर प्लांट बंद हो गया है। इस रेल नीर प्लांट का कारोबार 90 करोड़ रुपए से ज्यादा था। प्लांट के बंद होने से 100 से अधिक लोगों की नौकरी चली गई। यह प्लांट आईआरसीटीसी और रेलवे के अफसरों की लापरवाही की वजह से हुआ है। दरअसल, आईआरसीटीसी ने जिस एजेंसी को काम दिया था, उसने प्लांट चलाने से हाथ खड़े कर दिए।
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तीन राज्यों के स्टेशनों में करता था पानी सप्लाई
इस प्लांट से बिलासपुर, रायपुर व दुर्ग स्टेशन समेत झारसुगुड़ा, रांची व धनबाद में स्थित रेलवे स्टेशनों में पानी सप्लाई किया जाता था। इतना ही नहीं, प्लांट ने छत्तीसगढ़ सरकार पर पांच साल में 13.40 करोड़ रुपए जल की देनदारी भी छोड़ दी है। यह प्लांट आगे चलेगा या नहीं, 13.40 करोड़ रुपए कौन चुकाएगा, यह जवाब देने के बजाय आईआरसीटीसी के अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। बता दें कि इस प्लांट का निर्माण मार्च 2017 में किया गया था। दस करोड़ की लागत से प्लांट का निर्माण किया गया था।
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रेल नीर पानी बोतल की डिमांड ज्यादा
बता दें कि रेलवे स्टेशन में रेल नीर की खरीदारी सबसे अधिक होती है। यात्री दुकानों से रेल नीर पानी बोतल की सबसे ज्यादा खरीदी करते हैं। इसकी वजह यह है कि रेल नीर अन्य पानी बोतलों से सस्ता है। ब्रांडेड हो या लोकल अन्य पानी के बोतल लगभग 20 से 30 रुपए में बनते हैं लेकिन, रेल नीर पानी का बोतल महज 15 रुपए लीटर में मिलता था।
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कोलकाता की कंपनी को मिला था ठेका
आईआरसीटीसी ने कोलकाता की जिस कंपनी को प्लांट चलाने का ठेका दिया था, उसने एक महीने पहले यानी अक्टूबर में ही प्रबंधन को पत्र भेजकर एक दिसंबर से प्लांट बंद करने की जानकारी दे दी थी। इस बीच कंपनी को जल कर की बकाया राशि जमा करने कहा गया तो कंपनी ने इनकार कर दिया। इसके बाद कंपनी ने नए ठेके के लिए टेंडर ही नहीं किया, क्योंकि करीब पांच सालों में 13 करोड़ 40 लाख 17 हजार रुपए बकाया हो गया था। यह राशि जमा कराए बिना किसी अन्य को ठेका नहीं दिया जा सकता था।
जलकर की यह राशि आईआरसीटीसी को राज्य शासन को देनी है। इतनी बड़ी देनदारी से पीछे हटते हुए आईआरसीटीसी ने प्लांट को बंद कर दिया है। जल कर जल संसाधन विभाग तय करता है। आईआरसीटीसी ने जनवरी 2020 से जलकर अदा नहीं किया है। जनवरी 2020 से नवंबर 2024 तक यानी 1796 दिन की बात करें तो इतने दिनों में कंपनी ने 90 करोड़ रुपए से अधिक की पानी बोतल बेची है।
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