बिलासपुर रेलवे के डिप्टी CCM पर यौन उत्पीड़न का आरोप, महिला-क्लर्क ने व्हाट्सएप चैट के साथ जीएम से की शिकायत

बिलासपुर रेलवे के सीनियर अफसर पर महिला क्लर्क ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। शिकायत में जिम की सेल्फी, बॉयफ्रेंड और कंफर्टेबल मीटिंग जैसी बातें शामिल हैं। जीएम को लिखित शिकायत के बाद भी दो महीने से जांच रिपोर्ट दबी है।

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Sanjay Dhiman
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Alligetion to DCCM

Photograph: (the sootr)

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BILASPUR.दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) के बिलासपुर डिवीजन में एक संवेदनशील मामला सामने आया है। चांपा में कार्यरत एक महिला कमर्शियल क्लर्क ने अपने सीनियर अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

महिला ने डिप्टी चीफ कमर्शियल मैनेजर DCCM कौशिक मित्रा पर यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ का आरोप लगाया है। पीड़िता ने सीधे रेलवे महाप्रबंधक (GM) को इसकी लिखित शिकायत की है। 

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व्हाट्सएप पर टॉर्चर की कहानी

महिला क्लर्क ने अपनी शिकायत में जो बताया है, वो चौंकाने वाला है। उसका कहना है कि सीनियर अधिकारी उन्हें व्हाट्सएप पर लगातार तंग कर रहे थे। अधिकारी रोजाना उनसे जिम की सेल्फी मांगते थे। इतना ही नहीं, वो महिला से उसके बॉयफ्रेंड के बारे में भी बेहूदा सवाल करते थे।

अफसर ने चैट में ये भी लिखा कि हम कहां इत्मीनान से (कंफर्टेबल होकर) मिल सकते हैं। महिला ने यह भी कहा कि अधिकारी और भी कई अजीब और गंदी बातें चैट में लिखते थे। इन सबसे महिला क्लर्क काफी परेशान हो चुकी थी। 

DCCM कौशिक मित्रा पर यौन उत्पीड़न आरोप को ऐसे समझें

सीनियर अफसर पर गंभीर आरोप: बिलासपुर रेलवे के डिप्टी चीफ कमर्शियल मैनेजर (DCCM) कौशिक मित्रा पर चांपा की महिला क्लर्क ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है।

व्हाट्सएप चैट का सबूत: पीड़िता ने GM को शिकायत में व्हाट्सएप चैट के स्क्रीनशॉट्स दिए हैं, जिसमें अफसर जिम की सेल्फी और महिला के बॉयफ्रेंड के बारे में पूछते थे।

कंफर्टेबल मीटिंग की बात: चैट में अधिकारी ने यह भी पूछा कि "हम कहां कंफर्टेबल होकर मिल सकते हैं," जो सीधे-सीधे कार्यस्थल उत्पीड़न की कैटेगरी में आता है।

दो महीने से जांच 'गायब': GM को लिखित शिकायत मिलने और जांच कमेटी बनने के बाद भी, दो महीने बीत गए लेकिन रिपोर्ट सामने नहीं आई है, जिससे रेलवे प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं।

फाइल दबाने का आरोप: महिला क्लर्क ने साफ कहा है कि रेलवे के कुछ अधिकारी जानबूझकर यह फाइल दबाए बैठे हैं और मामले को ठंडे बस्ते में डाल रहे हैं।

शिकायत के दो महीने बाद भी जांच ठंडे बस्ते में 

पीड़िता ने अपनी शिकायत के साथ सबूत के तौर पर सारे व्हाट्सएप चैट के स्क्रीनशॉट दिए हैं। आरोपों की गंभीरता को देखते हुए तुरंत एक जांच समिति बनाई गई थी। हालांकि, दो महीने से ज्यादा समय हो चुका है, फिर भी रिपोर्ट सामने नहीं आई। महिला क्लर्क ने आरोप लगाया कि कुछ सीनियर अफसर जानबूझकर फाइल दबाए बैठे हैं। ऐसा लगता है कि इस मामले को जानबूझकर ठंडे बस्ते में डाला जा रहा है।

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रेलवे की छवि को नुकसान

महिला क्लर्क का आरोप बहुत गंभीर है और रेलवे जैसी बड़ी संस्था की छवि को नुकसान पहुंचाता है। हर कर्मचारी को वर्कप्लेस पर सुरक्षा और सम्मान पाना उसका बुनियादी अधिकार है। अधिकारी के खिलाफ सबूत होने के बावजूद कार्रवाई नही होना कई सवाल खड़े कर रहा है। 

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