/sootr/media/media_files/2025/08/17/rain-destroyed-pulses-and-oilseeds-crops-worth-lakhs-the-sootr-2025-08-17-17-21-18.jpg)
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले की कृषि उपज मंडी में प्रशासनिक लापरवाही ने किसानों और व्यापारियों के लिए बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। लगातार हो रही बारिश के कारण मंडी परिसर में खुले में रखी हजारों क्विंटल दलहन और तिलहन की फसलें भीगकर बर्बाद हो गई हैं।
मूंग, चना, सरसों, मसूर, सोयाबीन, मक्का, बाजरा, रागी और अरहर जैसी फसलों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। मंडी में पर्याप्त शेड, चबूतरे और जल निकासी की व्यवस्था न होने से किसानों और व्यापारियों में गुस्सा भड़क उठा है, और वे जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
खुले में पड़ी फसलें, बारिश ने मचाई तबाही
राजनांदगांव की कृषि उपज मंडी में बारिश से हुए नुकसान ने मंडी प्रशासन की तैयारियों की पोल खोल दी है। मंडी परिसर में पर्याप्त ढके हुए शेड और ऊंचे चबूतरों की कमी के कारण सैकड़ों क्विंटल फसलें खुले आसमान के नीचे रखी थीं। लगातार बारिश के कारण ये फसलें भीग गईं, और कई जगह पानी के जमाव के कारण बोरियां पूरी तरह खराब हो गईं।
मूंग, चना, सरसों, मसूर और सोयाबीन जैसी महंगी फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।स्थानीय व्यापारी चेतन जैन ने बताया, “मंडी में करीब 6,500 क्विंटल चना, 6,000 क्विंटल सरसों, 7,000 क्विंटल मसूर, और अन्य फसलें बारिश में भीगकर बर्बाद हो गई हैं। इस नुकसान की कीमत लाखों रुपये में है। मंडी प्रशासन की लापरवाही ने हमें भारी आर्थिक चोट पहुंचाई है।”
किसानों का कहना है कि बारिश का मौसम शुरू होने से पहले ही उन्होंने मंडी अधिकारियों को जलभराव और फसलों की सुरक्षा के लिए चेतावनी दी थी, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया।
मंडी की बदहाल व्यवस्था, जलभराव और शेड की कमी
किसानों और व्यापारियों ने मंडी परिसर की बदहाल व्यवस्था को इस नुकसान का प्रमुख कारण बताया। मंडी का अधिकांश हिस्सा निचले इलाके में स्थित है, जहां बारिश के दौरान जलभराव की समस्या आम है। पर्याप्त जल निकासी व्यवस्था न होने के कारण पानी बोरियों के बीच जमा हो गया, जिससे फसलें सड़ने लगीं।
ये खबर भी पढ़ें... बैंक ने 618 किसानों को 61 लाख रुपए किए वापस, फसल बीमा के नाम पर काट ली थी राशि
इसके अलावा, मंडी में फसलों को ढकने के लिए पर्याप्त शेड या तिरपाल की व्यवस्था भी नहीं थी।एक किसान, रामलाल साहू, ने गुस्से में कहा, “हमने अपनी मेहनत से उगाई फसल को मंडी में लाए, लेकिन प्रशासन की लापरवाही ने सब बर्बाद कर दिया। अगर समय पर तिरपाल या शेड की व्यवस्था की गई होती, तो इतना बड़ा नुकसान नहीं होता।”
व्यापारियों ने यह भी आरोप लगाया कि मंडी प्रशासन ने उनकी बार-बार की शिकायतों को अनसुना कर दिया, जिसके चलते यह स्थिति उत्पन्न हुई।
लाखों का नुकसान, मुआवजे की मांग
प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, मंडी में बर्बाद हुई फसलों का नुकसान लाखों रुपये में है। चना, सरसों, और मसूर जैसी फसलें बाजार में उच्च कीमत पर बिकती हैं, और इनके खराब होने से किसानों और व्यापारियों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। प्रभावित किसानों और व्यापारियों ने मंडी प्रशासन से नुकसान की भरपाई और मुआवजे की मांग की है। साथ ही, उन्होंने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए स्थायी समाधान की मांग की है।
ये खबर भी पढ़ें... छत्तीसगढ़ में सरकारी चूहे खा गए 80 करोड़ का धान, अलग-अलग बिलों को देखकर सरकार हैरान
किसानों-व्यापारियों की मांग, सुधार और जवाबदेही
किसानों और व्यापारियों ने मंडी प्रशासन से निम्नलिखित मांगें उठाई हैं।
पर्याप्त शेड और चबूतरे : मंडी में फसलों को सुरक्षित रखने के लिए ढके हुए शेड और ऊंचे चबूतरों का निर्माण किया जाए।
जल निकासी व्यवस्था : मंडी परिसर में जलभराव की समस्या को खत्म करने के लिए प्रभावी ड्रेनेज सिस्टम बनाया जाए।
तत्काल मुआवजा : बर्बाद हुई फसलों के लिए किसानों और व्यापारियों को उचित मुआवजा दिया जाए।
जिम्मेदारी तय : लापरवाही बरतने वाले मंडी अधिकारियों के खिलाफ जांच और कार्रवाई की जाए।
सियासी हलचल की आशंका
यह मामला न केवल मंडी प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि सियासी तूल भी पकड़ सकता है। छत्तीसगढ़ में किसान हमेशा से राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण वोट बैंक रहे हैं। विपक्षी कांग्रेस इस मुद्दे को उठाकर बीजेपी सरकार पर किसान-विरोधी होने का आरोप लगा सकती है।
खासकर तब जब धान खरीदी को लेकर पहले से ही दोनों दलों के बीच तनातनी चल रही है। कांग्रेस पहले ही एग्री स्टेक पोर्टल और किसानों की परेशानियों को लेकर सरकार को घेर रही है, और यह नया मुद्दा उनके लिए एक और हथियार बन सकता है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
मंडी प्रशासन ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, जिला प्रशासन ने नुकसान का आकलन शुरू कर दिया है और जल्द ही इसकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी। प्रशासन ने किसानों और व्यापारियों से शांत रहने की अपील की है और आश्वासन दिया है कि उनकी शिकायतों पर विचार किया जाएगा।
किसानों का दर्द, सियासत की गर्मी
यह घटना छत्तीसगढ़ के किसानों और व्यापारियों के लिए एक बड़ा झटका है, जिन्होंने मेहनत से उगाई फसलों को मंडी में लाकर नुकसान सहा है। मंडी प्रशासन की लापरवाही ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को प्रभावित किया है, बल्कि सरकार की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए हैं।
जैसे-जैसे बारिश का मौसम जारी है, मंडी प्रशासन के लिए यह जरूरी है कि वह तत्काल कदम उठाए ताकि किसानों का भरोसा बहाल हो और भविष्य में ऐसी लापरवाही दोबारा न हो।इस बीच, सभी की निगाहें प्रशासन की प्रतिक्रिया और संभावित सियासी हलचल पर टिकी हैं। क्या यह मामला केवल प्रशासनिक लापरवाही तक सीमित रहेगा, या यह छत्तीसगढ़ की सियासत में एक नया तूफान खड़ा करेगा, यह देखना बाकी है।
FAQ
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- राजस्थान की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक
- एजुकेशन की खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें
- निशुल्क वैवाहिक विज्ञापन और क्लासिफाइड देखने के लिए क्लिक करें
द सूत्र कीt खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃 🤝💬👩👦👨👩👧👧
राजनांदगांव फसलें बर्बाद | बारिश से फसल नुकसान | दलहन तिलहन फसलें | किसान व्यापारी गुस्सा