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Photograph: (the sootr)
राजधानी रायपुर के कलेक्ट्रेट परिसर में रविवार की सुबह हुई एक बड़ी घटना ने न केवल स्थानीय प्रशासन बल्कि आम जनता को भी सकते में डाल दिया है। यह घटना महज़ एक हादसा नहीं, बल्कि सरकारी लापरवाही और मरम्मत की कमी के कारण इमारतों की खस्ताहाल स्थिति का एक कड़वा सबूत है।
कलेक्ट्रेट परिसर स्थित कक्ष क्रमांक 8, जो आंग्ल अभिलेख कोष्ठ के रूप में जाना जाता है, की जर्जर छत अचानक भरभराकर ढह गई। गनीमत यह रही कि यह हादसा छुट्टी के दिन हुआ, अन्यथा कमरे में मौजूद कर्मचारियों और आम जनता के लिए यह एक बड़ा रायपुर कलेक्ट्रेट हादसा साबित हो सकता था।
यह भवन दशकों पुराना है और यहां हर दिन सैकड़ों सरकारी कर्मचारी काम करते हैं, वहीं अपने रोज़मर्रा के कामों के लिए हज़ारों लोग यहां आते हैं। इस घटना ने एक बार फिर रायपुर की ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों की सुरक्षा और रखरखाव पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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छत ढहने का आँखों देखा हाल और क्षति का आकलन
रविवार की सुबह लगभग 8 बजे, कलेक्ट्रेट परिसर में एक ज़ोरदार आवाज़ सुनाई दी, जिसने आस-पास के सुरक्षाकर्मियों को चौंका दिया। आवाज़ कक्ष क्रमांक 8 से आई थी। जब सुरक्षाकर्मी मौके पर पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि कमरे का एक बड़ा हिस्सा मलबे में तब्दील हो चुका था।
मलबे में दबीं महत्वपूर्ण सरकारी फाइलें
क्षतिग्रस्त हुए कक्ष क्रमांक 8 में महत्वपूर्ण सरकारी फाइलें क्षतिग्रस्त हो गईं। यह कक्ष खासकर ज़मीन से जुड़े पुराने और महत्वपूर्ण रिकॉर्ड्स को रखने के लिए उपयोग होता था। छत के मलबे और धूल की मोटी परत के नीचे ज़मीन, राजस्व और अन्य प्रशासनिक विभागों से संबंधित कई दस्तावेज़ दब गए।
हालांकि प्रशासनिक अधिकारियों ने तुरंत मौके पर पहुंचकर मलबे को हटाने और फ़ाइलों को सुरक्षित निकालने का काम शुरू कराया, लेकिन इस बात की आशंका है कि नमी और मलबे के कारण कुछ बेहद ज़रूरी कागजात पूरी तरह से नष्ट हो गए होंगे।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, इन फाइलों में ज़मीन के पुराने रिकॉर्ड, सीमांकन से जुड़े दस्तावेज़ और राजस्व विभाग के महत्वपूर्ण पत्राचार शामिल थे। इन फाइलों का नष्ट होना भविष्य में कई कानूनी और प्रशासनिक जटिलताएं पैदा कर सकता है।
रायपुर खस्ताहाल कलेक्ट्रेट भवन ढहने की घटना को ऐसे समझेंबड़ा हादसा टला: यह घटना रविवार सुबह छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर कलेक्ट्रेट परिसर में हुई। छुट्टी का दिन होने के कारण कक्ष क्रमांक 8 (आंग्ल अभिलेख कोष्ठ) में कोई कर्मचारी या आम जनता मौजूद नहीं थी, जिससे किसी भी प्रकार की जनहानि होने से टल गई। महत्वपूर्ण फाइलें क्षतिग्रस्त: छत के मलबे के नीचे कक्ष में रखी हुई ज़मीन, राजस्व और अन्य प्रशासनिक विभागों से संबंधित कई सरकारी फाइलें क्षतिग्रस्त हो गईं। इन महत्वपूर्ण अभिलेखों के नष्ट होने की आशंका है। मुख्य कारण मरम्मत की कमी: अधिकारियों और स्थानीय कर्मचारियों ने बताया कि भवन का यह हिस्सा काफी पुराना और जर्जर हो चुका था। लंबे समय से मरम्मत की कमी और देखरेख का अभाव ही छत गिरने के कारण के रूप में सामने आया है। प्रशासन पर उठे सवाल: इस घटना ने सरकारी इमारतों की सुरक्षा और रखरखाव पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जनता ने इस लापरवाही के लिए प्रशासन की कार्यशैली की कड़ी आलोचना की है। जांच और कार्रवाई के आदेश: घटना के तुरंत बाद वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। ज़िला कलेक्टर ने इस रायपुर कलेक्ट्रेट हादसा की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और भवन के अन्य असुरक्षित हिस्सों का तत्काल ऑडिट कराने के निर्देश जारी किए हैं। |
कलेक्ट्रेट भवन की जर्जर स्थिति
निर्माण अवधि: कलेक्ट्रेट भवन का एक हिस्सा 100 वर्ष से भी अधिक पुराना है।
पिछली मरम्मत: सूत्रों के अनुसार, इस हिस्से में पिछले दो दशकों से कोई बड़ी संरचनात्मक मरम्मत की कमी नहीं हुई है।
कर्मचारियों की शिकायतें: कई कर्मचारियों ने पूर्व में दीवारों में दरारें और छत से पानी टपकने की शिकायतें उच्च अधिकारियों से की थीं, जिन पर कथित तौर पर ध्यान नहीं दिया गया।
जोखिम वाले क्षेत्र: परिसर के अन्य कई कमरों और गलियारों को भी असुरक्षित (संरचनात्मक रूप से असुरक्षित) घोषित किया गया है।
सुरक्षा पर उठे गंभीर सवाल
यह रायपुर में कलेक्ट्रेट भवन की छत गिरी एक चेतावनी है। कलेक्ट्रेट परिसर में रोज़ाना की आवाजाही को देखते हुए, अगर यह घटना कार्यदिवस में हुई होती तो निश्चित रूप से यह एक भयानक त्रासदी का रूप ले लेती।
सरकारी इमारतें, जो जनता के लिए सेवा का केंद्र होती हैं, उनकी सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए। यह घटना दर्शाती है कि राजधानी में भी सरकारी भवनों की देखरेख और नियमित ऑडिट में भारी चूक हो रही है। छत गिरने के कारण की शुरुआती जाँच में अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि यह स्पष्ट रूप से मरम्मत की कमी का परिणाम है।
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प्रशासनिक प्रतिक्रिया और जांच के आदेश
हादसे की सूचना मिलते ही ज़िला कलेक्टर और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। उन्होंने तुरंत मलबे को हटाने और बचे हुए रिकॉर्ड को डिजिटल रूप से स्कैन करने के आदेश दिए। कलेक्टर ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं, जिसमें लोक निर्माण विभाग (PWD) के इंजीनियरों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। इस जांच का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना है कि छत गिरने के कारण क्या था, और इसकी ज़िम्मेदारी किसकी है।
रायपुर में सोशल मीडिया पर यह घटना तेज़ी से फैली, जिससे जनता में आक्रोश देखा गया। लोगों ने सोशल मीडिया के माध्यम से यह सवाल उठाया कि जब प्रशासन खुद ही अपने भवनों को सुरक्षित नहीं रख सकता, तो वह आम नागरिकों की सुरक्षा की गारंटी कैसे दे सकता है?
अभिलेखों का डिजिटलीकरण क्यों नहीं
इस घटना ने एक और महत्वपूर्ण आवश्यकता पर ज़ोर दिया है: सरकारी रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण। यदि सभी महत्वपूर्ण सरकारी फाइलें क्षतिग्रस्त होने से पहले डिजिटल फॉर्मेट में उपलब्ध होतीं, तो इस आपदा से होने वाला नुकसान काफी कम होता।
प्रशासन को एक समयबद्ध योजना बनाकर सभी पुराने और महत्वपूर्ण अभिलेखों का त्वरित डिजिटलीकरण अभियान चलाना चाहिए। यह न केवल उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि भविष्य में उन्हें खोजने और इस्तेमाल करने की प्रक्रिया को भी सरल बनाएगा।
तत्काल किए जाने वाले सुरक्षा उपाय
तत्काल खाली कराएं: भवन के अति-जर्जर हिस्सों को तत्काल सील कर कर्मचारियों और जनता के प्रवेश को रोकना।
विशेषज्ञों की टीम: सिविल इंजीनियरिंग विशेषज्ञों की एक टीम गठित करना जो 48 घंटे के भीतर एक प्रारंभिक जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
वित्तीय आवंटन: मरम्मत और पुनर्निर्माण के लिए तत्काल विशेष वित्तीय आवंटन सुनिश्चित करना ताकि काम जल्द शुरू हो सके।
यह रायपुर कलेक्ट्रेट हादसा एक गंभीर सबक है। यह प्रशासन को याद दिलाता है कि केवल नए निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि पुराने भवनों का नियमित रखरखाव और सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। जनता को उम्मीद है कि प्रशासन इस घटना से सीख लेगा और भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएगा।