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Raipur. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने एसपी कान्फ्रेंस में दो टूक कहा कि पुलिस का डर अपराधियों में दिखना चाहिए तभी क्राइम कंट्रोल होगा। सीएम ने कहा कि लोगों को समय सीमा में इंसाफ मिले और आरोपी जल्द से जल्द पकड़े जाने चाहिए। सीएम ने नाराजगी जताते हुए कहा कि गंभीर मामलों के आरोपी आखिर पुलिस गिरफ्त से बाहर क्यों हैं,यह मामला गंभीर है।
सीएम के इन निर्देशों के बाद द सूत्र ने इसकी पड़ताल की। पुलिस दावा तो बड़े-बड़े अपराधियों पर लगातार दबिश का करती है, लेकिन नतीजे अब तक नाकाफी हैं। शहर के गंभीर मामलों के मुख्य आरोपी महीनों से पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। इनमें सूदखोरी, हत्या के प्रयास, मारपीट और गैंगवार जैसे संगीन अपराधों में शामिल कुख्यात अपराधी भी शामिल हैं। सवाल यही उठता है कि पुलिस की दबिश है या दिखावा।
कानून व्यवस्था पर सवाल :
छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार पर कानून व्यवस्था को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। सवाल इसलिए भी हैं क्योंकि राजधानी रायपुर के ही कुख्यात रसूखदार अपराधियों तक पुलिस के हाथ नहीं पहुंच पा रहे हैं। महीने से पुलिस टीम बनाकर उनको पकड़ने का दावा कर रही है लेकिन उसके हाथ खाली हैं। अब यह पुलिस की दबिश है या फिर दिखावा यह बड़ा सवाल है। क्या रसूखदार अपराधियों के आगे पुलिस लाचार हो गई है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने एसपी कान्फ्रेंस में इसको लेकर कड़ी नाराजगी जताई।
उन्होंने कहा कि अपराधियों में पुलिस का डर होना चाहिए तभी जनता अपने आपको सुरक्षित समझेगी। सीएम ने सवाल किया कि आखिर गंभीर मामलों के आरोपी लंबे समय बाद भी पकड़ में क्यों नहीं आते। सीएम ने पुलिस अफसरों को फ्रीहैंड देते हुए कहा कि अपराधी कितना भी बड़ा हो उसे उसके किए की सजा मिलती चाहिए। ऐसे अपराधी भी पुलिस की गिरफ्त में आने से नहीं बचने चाहिए। आइए आपको बताते हैं वे कुख्यात रसूखदार अपराधी जो कानून के लंबे हाथों की पकड़ में भी नहीं आ रहे।
केस नंबर 1 : हिस्ट्रीशीटर तोमर बंधु का सुराग नहीं:
कोतवाली और तेलीबांधा इलाके के कुख्यात हिस्ट्रीशीटर वीरेंद्र सिंह तोमर और रोहित तोमर पुलिस के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। सूदखोरी,धमकी और मारपीट के कई मामलों में नामजद दोनों भाइयों पर चार से अधिक केस दर्ज हैं। कई बार दबिश के बावजूद पुलिस खाली हाथ लौटी। सूत्रों के मुताबिक दोनों लंबे समय से शहर से बाहर हैं और लगातार ठिकाने बदल रहे हैं। दोनों भाइयों पर पांच पांच हजार का इनाम घोषित है फिर भी तीन महीने से दोनों पुलिस की पकड़ से बाहर हैं।
केस नंबर 2 : बाउंसर गैंग का सरगना वसीम बाबू भी फरार
खम्हारडीह थाना क्षेत्र के भावना नगर दंगे का मास्टरमाइंड वसीम बाबू भी दो महीने से पुलिस को चकमा दे रहा है। उसके खिलाफ चालान पेश हो चुका है और कोर्ट ने जमानत याचिका तक खारिज कर दी, लेकिन पुलिस गिरफ्तारी नहीं कर पाई। वसीम के खिलाफ कई गंभीर आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं।
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केस नंबर 3 : जूक क्लब कांड में सट्टे का कनेक्शन, आरोपी गायब :
तेलीबांधा के चर्चित जूक क्लब कांड में कारोबारी अज्जू पांडे से मारपीट करने वाले मुख्य आरोपी सौरभ,पुलकित चंद्राकर और प्रखर चंद्राकर अब तक पकड़ से बाहर थे। कारोबारी पांडे से मारपीट के पीछे ऑनलाइन सट्टा रैकेट का विवाद बताया जा रहा है। पुलिस तीन महीने से दबिश दे रही थी लेकिन आरोपियों का कोई सुराग नहीं मिल पा रहा था। लंबे समय से फरार पुलकित और प्रखर पकड़े जा चुके हैं। लेकिन कई आरोपी अभी भी पकड़ से बाहर हैं।
केस नंबर 4 : डीडी नगर गैंगवार के तीन बदमाशों का अता-पता नहीं :
डीडी नगर क्षेत्र में हुए खूनी गैंगवार के तीन आरोपी गौरव , राजीक उर्फ नाना और शाहरुख उर्फ भंडार अब तक फरारी काट रहे हैं। पुलिस को संदेह है कि यह गैंगवार भी ऑनलाइन सट्टे के पैसों के लेन-देन से जुड़ी थी। इन पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज है। यह निगरानीशुदा बदमाश हैं। यह नशे के कारोबार से भी जुड़े है।
पुलिस की कोशिश जारी :
सीएम ने साफ कह दिया है कि पुलिस के डंडे का असर कागजों में नहीं कार्रवाई में दिखना चाहिए। एसएसपी लाल उम्मेद सिंह कहते हैं कि फरार आरोपियों की तलाश में टीमें लगातार दबिश दे रही हैं। संदिग्ध ठिकानों पर रेड भी की गई है। अब तक किसी बड़े अपराधी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। लेकिन जल्द ही ये आरोपी पुलिस की गिरफ्त में होगे। लगातार नाकामी ने राजधानी की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। रसूखदार अपराधियों की फरारी ने यह साबित कर दिया है कि पुलिस की पहुंच अब भी अपराध जगत के ‘बड़े खिलाड़ियों’ तक नहीं पहुंच पा रही।