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Raipur fake police officer case: राजधानी रायपुर पुलिस ने बुधवार को आशीष घोष उर्फ आशीष शर्मा को गिरफ्तार किया था, जो खुद को क्राइम ब्रांच का सिपाही बताकर केस सेटलमेंट और वसूली का अवैध धंधा चला रहा था। गुरुवार को आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया, जहां पुलिस ने उसे 6 सितंबर तक रिमांड पर लिया। आशीष से पूछताछ में कई बड़े खुलासे हुए हैं।
आरोपी के कब्जे से बरामद सामान
पुलिस ने आशीष के कब्जे से 2 लाख रूपए नकद, दो सोने की अंगूठियां, दो सोने की ब्रेसलेट और अन्य सामान बरामद किया। आरोपी इस पूरे धन का संतोषजनक हिसाब नहीं दे सका। इसके अलावा, उसके मोबाइल में कई चैट्स भी मिलीं, जिनमें पुलिस अधिकारियों को डेढ़ लाख के महंगे फोन, दोपहिया वाहन और 40 हजार के जूते गिफ्ट देने की बातें सामने आईं।
फर्जी केस सेटलमेंट और धमकी
आरोपी भाठागांव का रहने वाला है और वह कारोबारी से पांच लाख रूपए मांग रहा था। जानकारी के अनुसार, आरोपी जेल रोड स्थित होटल में पहुंचा और लोगों को धमकाते हुए कहा कि ड्रग्स केस में गिरफ्तार नव्या मलिक ने उनका नाम लिया है।
कार्रवाई से बचने के लिए पांच लाख रूपए देने होंगे। होटल प्रबंधन ने तुरंत वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सूचना दी। CCTV फुटेज की जांच के बाद पुलिस ने आरोपी को दबोच लिया।
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क्राइम ब्रांच में भी वसूली
आशीष क्राइम ब्रांच के कुछ सिपाहियों से हर महीने वसूली करता था। पैसे न देने पर वह उन्हें ब्लैकमेल करता और धमकी देता कि क्राइम ब्रांच से हटवा देगा। डर के कारण कई सिपाही उसे हर महीने पैसे देते थे।
मोबाइल और थाने का सामान बरामद
पुलिस को आशीष की गाड़ी से एक थाने का सील-मोहर, ड्यूटी चार्ट और गश्त पॉइंट भी मिला। उसके मोबाइल में कई इंस्पेक्टर और डीएसपी रैंक के अधिकारियों के साथ पार्टी करते हुए तस्वीरें और केस सेटलमेंट से जुड़े चैट्स मिलीं। कई चैट डिलीट होने के कारण मोबाइल को साइबर लैब भेजा गया है।
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रायपुर फेक पुलिस मामला क्या है?1. फर्जी पुलिस बनकर वसूली का खेल फर्जी पुलिस आशीष घोष (Ashish Ghosh) खुद को क्राइम ब्रांच का सिपाही बताकर व्यापारियों और लोगों से केस सेटलमेंट के नाम पर लाखों रुपए की मांग करता था। 2. नकदी, सोने के आभूषण और फर्जी आईडी बरामद पुलिस ने आरोपी से 2 लाख नकद, सोने के गहने और डीजी के हस्ताक्षर वाला फर्जी आईडी कार्ड जब्त किया। 3. पुलिस अधिकारियों से करीबी रिश्ते आरोपी का कई इंस्पेक्टर, डीएसपी और एसीबी-ईओडब्ल्यू के अधिकारियों से करीबी संबंध था, जिससे वह खुद को ताकतवर साबित करता था। 4. ब्लैकमेलिंग और धमकी के सबूत वह पुलिसकर्मियों से भी मासिक वसूली करता था। पैसे न देने पर ट्रांसफर और कार्रवाई की धमकी देता था। 5. साइबर जांच और गहरी पड़ताल जारी आरोपी के मोबाइल से डिलीट चैट्स रिकवर करने साइबर लैब भेजे गए हैं। पुलिस उसके नेटवर्क और सांठगांठ की जांच कर रही है। |
फर्जी आईडी का खुलासा
आशीष ने पूछताछ में खुलासा किया कि उसने एसीबी-ईओडब्ल्यू में तैनात सिपाही उमेश कुर्रे की आईडी का फोटो खींचकर उसमें छेड़छाड़ की और अपनी तस्वीर लगाकर फर्जी आईडी बनवाई। इस काम में घड़ी चौक स्थित वीर नारायण परिसर के एक दुकानदार ने उसकी मदद की। फर्जी आईडी पर डीजी जीपी सिंह के हस्ताक्षर भी थे।
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सरगुजा के पुलिस अधिकारियों के साथ संबंध
आशीष मूल रूप से सरगुजा का रहने वाला है और वहां के कई सब-इंस्पेक्टर, इंस्पेक्टर और डीएसपी रैंक के अधिकारियों के साथ करीबी संबंध रखता था। वह उनके थानों के साथ-साथ घरों तक जाता और उनके परिवारों के लिए गाड़ियों की व्यवस्था करता था। इसके अलावा, वह एसीबी-ईओडब्ल्यू के कई अधिकारियों और कर्मचारियों के संपर्क में भी था।
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