पंचायत विभाग में गोलमाल, बालाजी ट्रेडर्स से खरीदी गई 71 ट्राइसिकल, जांच के आदेश

प्रदेश में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग समेत कई विभागों में सामानों की खरीदी में बड़ी गड़बड़ी का भंडाफोड़ हुआ है। जैम के जरिए खरीदी होने के बाद भी सामान ढोने में इस्तेमाल होने वाली 100 में 71 ट्राइसिकल की खरीद बालाजी ट्रेडर्स से की गई।

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Pravesh Shukla
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रायपुर। प्रदेश में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग समेत कई विभागों में सामानों की खरीदी में बड़ी गड़बड़ी का भंडाफोड़ हुआ है। जैम के जरिए खरीदी होने के बाद भी सामान ढोने में इस्तेमाल होने वाली 100 में 71 ट्राइसिकल की खरीद बालाजी ट्रेडर्स से की गई। इसमें हैरान करने वाली बात यह है कि, फर्म का पता महासमुंद के छोटे से गांव तेंदूकोना का है।  

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जांच के आदेश

फर्नीचर सप्लाई के ठेके के लिए दवा सप्लाई का लाइसेंस मांगा गया है। शक है कि अफसरों और सप्लायरों की मिलीभगत से जैम के टेंडर में बड़ा गोलमाल किया जा रहा है। घोटाले के खुलासे के बाद जांच के आदेश दे दिए हैं।

पत्र में गड़बड़ी का जिक्र

वाणिज्य एवं उद्योग विभाग की तरफ से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को भेजे गए पत्र में ही एक-एक गड़बड़ी का जिक्र किया गया है। ट्राइसिकल की खरीदी बालाजी ट्रेडर्स के अलावा गीतांजली एजेंसी, हनुमान कृपा इंटरप्राइजेस, रॉयल वेंचर और सत्या मार्केंटिंग से भी गई है।

दिशा-निर्देशों का उल्लंघन

वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के अफसर भी इस बात को मान रहे हैं कि इनकी खरीदी गलत कैटेगरी और ऊंची दरों पर गई है। सामान के नाम और सर्टिफिकेशन का तालमेल भी नहीं है। ये भंडार क्रय नियमों और जैम के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है।

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विभाग को लिखा पत्र

110 ट्रायसिकल रिक्शों में 100 पंचायत विभाग, 2 अर्बन व 8 पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के लिए हैं। धांधली सामने आने के बाद वाणिज्य सचिव रजत कुमार ने पंचायत विभाग को पत्र लिखा है। उन्होंने विभाग की प्रमुख सचिव निहारिका बारीक से रिपोर्ट में मिली गड़बड़ियों की  बात कही है। 

केंद्र की जांच में पकड़ी गई गड़बड़ी

केंद्र सरकार की जांच में ही प्रदेश के विभागों में जैम के जरिए कुछ विभागों में जा रही खरीदी में गड़बड़ी का पता चला है। जांच एजेंसियों के सामने साफ हुआ कि कुछ विभागों में खासतौर पर पंचायत विभाग के इस टेंडर में  बाजार मूल्य से अधिक कीमत पर खरीदी की गई है। इतना ही नहीं एक ही उत्पाद को विभिन्न जिलों में अलग-अलग कीमतों पर क्रय किया गया है।

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मापदंड हुए प्रभावित

जो मानक मूल्य(बेंच मार्किंग)के अनुसार नहीं है। टेंडर में क्रय एजेंसियों ने निविदा दस्तावेजों में ऐसे नियम व शर्तें जोड़ दी हैं जो जैम के दिशा-निर्देश नहीं हैं। ना ही भंडार क्रय नियमों या सामान्य वित्तीय नियमों के अनुरूप हैं। इससे स्पष्ट है कि किसी एक एजेंसी या कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा किया गया है। ऐसा करने से क्रय मापदंड प्रभावित हुए हैं। उत्पादों के नाम और उनके वास्तविक विवरण में कई तरह की विसंगतियां रही हैं।

खबर को पांच प्वॉइंट में समझें

1. खरीदी में भारी गड़बड़ी का खुलासा

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने जैम (GeM) पोर्टल के जरिए ट्राइसिकल समेत अन्य सामानों की खरीदी में नियमों का उल्लंघन किया। 100 में से 71 ट्राइसिकल की खरीद एक ही फर्म "बालाजी ट्रेडर्स" से की गई, जिसका पता एक छोटे से गांव में है।


2. फर्जीवाड़े की जांच के आदेश

खरीदी में फर्नीचर सप्लाई के लिए दवा सप्लाई का लाइसेंस मांगा गया, जो संदिग्ध है। अधिकारियों और सप्लायर्स की मिलीभगत की आशंका जताई गई है। घोटाले की जांच के लिए विभागीय स्तर पर निर्देश दिए गए हैं।


3. विभिन्न जिलों में अलग-अलग दरें

एक ही वस्तु अलग-अलग जिलों में अलग-अलग कीमत पर खरीदी गई, जो बाजार मूल्य से अधिक थी। यह स्पष्ट करता है कि टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं थी और खरीदी मापदंडों का उल्लंघन हुआ।


4. मिशन संचालक का तबादला और जवाब-तलबी

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की तत्कालीन संचालक जयश्री जैन को पद से हटा दिया गया। उन्होंने माना कि कुछ जिलों में खरीदी निरस्त की गई है और पंचायत सचिवों से जवाब मांगा गया है।


5. भविष्य के लिए सुधारात्मक निर्देश

विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि जैम प्रोटोकॉल की समीक्षा करें, मेकर-चेकर प्रक्रिया की जांच करें, और अनावश्यक शर्तों से बचें। साथ ही, अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण देने की बात भी कही गई है ताकि भविष्य में गड़बड़ियों को रोका जा सके।

 

मिशन संचालक को हटाया

तत्कालीन मिशन संचालक राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन(एसआरएलएम)जयश्री जैन को मंगलवार को हटा दिया गया। उन्हें वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग में उप सचिव बनाया गया है। जैन ने स्वीकार किया कि गड़बड़ी के बाद कुछ जिलों में खरीदी निरस्त करने को कहा है। क्रय की टर्म एवं कंडीशन में अजीबोगरीब बिंदुओं को शामिल किया गया था। खरीदी ग्राम पंचायत स्तर पर होती है, इसलिए पंचायत सचिव से भी जवाब तलब किया गया है।

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ये निर्देश भी दिए गए

  • हर पहलू की गहनता से जांच कराएं।
  • जैम पर क्रय प्रोटोकाल की समीक्षा करें। कहां गड़बड़ी हो रही उसे पकड़ें।

  • मेकर-चेकर के सत्यापन की प्रक्रिया सही या गलत इसे पता करें।

  • अनावश्यक नियम व शर्तों से बचें।

  • डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित करें।

  • अधिकारियों को जैम गोल्डन पैरामीटर्स पर विशेष प्रशिक्षण दें ताकि वे गड़बड़ी पकड़ सकें।

FAQ

सवाल 1: पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में किस प्रकार की गड़बड़ी सामने आई है?
जवाब: पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग समेत कई अन्य विभागों में जैम (GeM) पोर्टल के जरिए की गई खरीद में भारी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। ट्राइसिकल की खरीद में बालाजी ट्रेडर्स जैसी संदिग्ध फर्मों से ऊंची कीमतों पर सामान खरीदा गया, जबकि इन फर्मों का पता छोटे गाँवों में पाया गया। एक ही उत्पाद को अलग-अलग जिलों में अलग कीमतों पर खरीदा गया, जिससे सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ।
सवाल 2: इस गड़बड़ी की जांच में क्या प्रमुख बातें सामने आईं?
जवाब: जांच में पाया गया कि टेंडर प्रक्रिया में मनमाने नियम जोड़े गए, जो GeM के दिशा-निर्देशों व भंडार क्रय नियमों के विरुद्ध हैं। टेंडर में दवा सप्लाई लाइसेंस की मांग जैसी अजीब शर्तें रखी गईं। उत्पादों की कीमतें बाजार मूल्य से अधिक थीं और क्रय प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं थी। यह भी सामने आया कि विशेष एजेंसियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से शर्तें जोड़ी गईं।
सवाल 3: इस गड़बड़ी के बाद कौन-कौन से कदम उठाए गए हैं?
जवाब: तत्कालीन मिशन संचालक जयश्री जैन को हटा दिया गया है और उनका विभाग बदला गया है। कुछ जिलों में की गई खरीद को निरस्त करने के निर्देश दिए गए हैं। पंचायत सचिवों से जवाब-तलब किया गया है। वाणिज्य सचिव ने पंचायत विभाग को पत्र लिखकर विस्तृत जांच और सुधारात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों को GeM प्रोटोकॉल और गोल्डन पैरामीटर्स पर विशेष प्रशिक्षण देने की बात कही गई है।

 

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