राम के नाम पर भूपेश सरकार ने खर्च किए 100 करोड़, कमेटी करेगी जांच

Ram Van Path Gaman Yojana : छत्तीसगढ़ में एक बार फिर राम के नाम पर सियासत तेज हो गई है। बीजेपी के वरिष्ठ विधायक अजय चंद्राकर ने ये आरोप लगाया था कि राम वन गमन पथ के विकास के नाम पर पैसों की बंदरबांट की गई है।

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Arun Tiwari
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Ram Van Path Gaman Yojana :  छत्तीसगढ़ में एक बार फिर राम के नाम पर सियासत तेज हो गई है। सत्ता में आते ही विष्णुदेव सरकार ने ये घोषणा की थी कि राम के नाम पर भूपेश सरकार में करोड़ों के खर्च की जांच कराई जाएगी। बीजेपी के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने ये आरोप लगाया था कि राम वन गमन पथ के विकास के नाम पर पैसों की बंदरबांट की गई है।

सरकार ने अब अजय चंद्राकर की अगुवाई में सात सदस्यों की जांच कमेटी बना दी है। यह कमेटी राम वन गमन पथ पर हुए विकास कार्यों की जांच करेगी। द सूत्र ने भूपेश सरकार के समय राम वन गमन पथ पर खर्च की गई राशि की पूरी पड़ताल की है। आइए आपको बताते हैं कि राम के नाम पर भूपेश सरकार ने कहां कितना खर्च किया और क्यों उठ रही है इस खर्च पर अंगुली। 

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राम के नाम पर 100 करोड़ खर्च 

राम हमेशा देश की राजनीति के केंद्र में ही रहे हैं। बीजेपी की सियासत हमेशा राम के इर्द गिर्द ही घूमती रही है। आयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद बीजेपी का सीना और चौड़ा हो गया है। पार्टी को इसका सियासी फायदा भी मिलता रहा है।

अपने राजनीतिक नुकसान से डरी कांग्रेस भी राम की खुलकर बातें करने लगी है। देश की राजनीति में भले ही यह मुद्दा न रहा हो लेकिन छत्तीसगढ़ में राम के नाम पर फिर सियासत होने लगी है। 
छत्तीसगढ़ में वनवास के दौरान भगवान राम ने लंबा वक्त बिताया है। छत्तीसगढ़ में ही राम का ननिहाल भी है। राम के नाम का यह दोहरा पुण्य छत्तीसगढ़ के हिस्से में आया है। वनवास के दौरान जहां जहां राम के चरण पड़े वो राम वन गमन पथ कहलाता है।

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भूपेश सरकार ने राम वन गमन पथ पर 81 करोड़ खर्च किए। बाकी इसके आयोजनों पर भी खूब खर्च किया गया। छत्तीसगढ़ में ऐसे दस स्थानों को चिन्हित किया गया जहां से श्रीराम गुजरे थे। इन स्थानों के विकास पर ही यह पैसा खर्च किया गया। लेकिन पिछले पांच साल में राम का काम आधा अधूरा ही हो पाया। राम के वनवास के नाम पर दो एजेंसियां मालामाल हो गईं। राम के नाम पर इन एजेंसियों ने 71 करोड़ रुपए कमा लिए। यहीं से राम नाम पर हुए खर्च पर सवाल उठने लगे। 

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पांच करोड़ की सिर्फ राम की प्रतिमाएं 

बीजेपी कहती है कि कांग्रेस सरकार में मूर्ति घोटाला हुआ है। मूर्तियों के नाम पर काम करने वाली एजेंसियों ने अपनी जेब भरने का काम किया है। राम की मूर्तियां मानक स्तर की नहीं हैं। कांग्रेस सरकार में आस्था के साथ खिलवाड़ किया गया है और मोटी कमाई भी की गई है। कांग्रेस ने राम वन गमन पथ के विकास में सात स्थानों पर राम,लक्ष्मण और शबरी की प्रतिमाएं लगाई गईं। इन प्रतिमाओं पर पांच करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च की गई। 

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इन स्थानों पर इतनी लागत की प्रतिमाएं 


चंद्रखुरी - श्रीराम की 51 फीट की प्रतिमा - 69 लाख रुपए
शिबरीनारायण - श्रीराम की प्रतिमा - 74 लाख रुपए
                       - श्रीराम,लक्ष्मण और माता शिबरी की प्रतिमा - 15 लाख रुपए
चंपारण - श्रीराम की प्रतिमा - 60 लाख रुपए
मुकुंदपुर - श्रीराम की प्रतिमा - 56 लाख रुपए
             - सप्तरिषियों की प्रतिमा _ 34 लाख रुपए
सीतामढ़ी हरचौका - श्रीराम की प्रतिमा - 71 लाख रुपए
राजिम - श्रीराम की प्रतिमा - 71 लाख रुपए
रामगढ़ - श्रीराम की प्रतिमा - 71 लाख रुपए

 

इन एजेंसियों को मिला इतना काम 


टीसीआईएल - 35.31 करोड़
वॉप्कोस - 36.82 करोड़
कुल 81 करोड़ में से 71 करोड़ इन दो एजेंसियों को


टीसीआईएल ने किए ये काम 

- चंद्रखुरी, शिबरीनारायण,मुकुंदपुर और चंपारण में श्रीराम की प्रतिमा स्थापित कीं।

चंद्रखुरी : चंद्रखुरी भगवान राम का ननिहाल है। यह राम की माता कौशिल्या का मायका है। यहां पर इस एजेंसी द्वारा ये काम किए गए। भगवान राम की प्रतिमा, एलईडी ब्रांडिग, कियोस्क, पर्यटन सूचना केंद्र,कैफेटेरिया,स्टेज, पार्किंग स्थल डेवलपमेंट,एप्रोज रोड, बाउंड्री वॉल, रिटेनिंग वॉल, मॉड्यूलर शॉप, टॉयलेट, यज्ञशाला और ओवरहेड टैंक 

शिबरीनारायण : यहां पर भगवान राम को शिबरी ने जूठे बेर खिलाए थे। यहां पर मुख्य प्रवेश द्वार, छोटा प्रवेश द्वार, सीसीटीवी कैमरा, दीप स्तंभ, एलईडी ब्रांडिंग, भगवान राम की मूर्ति, घाट विकास और बाउंड्री वॉल।  

सिहावा : यज्ञशाला, सप्तरिषी प्लेटफॉर्म,ओवरहेड वॉटर टैंक, कॉटेज निर्माण,दीप स्तंभ, सीसीटीवी, इलेक्ट्रीफिकेशन

वॉप्कोस ने किए ये काम : 

सीतामढ़ी- हरचौका,राजिम और रामगढ़ में श्रीराम की प्रतिमाएं स्थापित कीं। 

राजिम : लोमश रिषी आश्रम, लैंडस्केपिंग, पर्यटन सूचना केंद्र, घाट वॉकवे डेपलवमेंट,एलईडी ब्रांडिंग,इलेक्ट्रीफिकेशन,पार्किंग, इंटरनल प्लंबिंग


एक साल में स्प्रिंग बाक्स ने सरकार से कमाए 13 करोड़ : 

साल 2022 में ही राम वन गमन पथ के तहत हुए कुछ विकास कार्यों का सरकार ने लोकार्पण समारोह आयोजित किया। यह समारोह शिबरीनारायण में हुआ। शिबरीनारायण वो स्थान है जहां पर भगवान श्रीराम ने शिबरी के हाथों जूठे बेर खाए थे। इस काम का जिम्मा भी स्प्रिंग बाक्स प्रायवेट लिमिटेड एजेंसी को ही मिला। सरकारी बड़े कार्यक्रमों में आमतौर 40- 50 लाख रुपए का खर्च दिखाया जाता है।

हालांकि, असली लागत कुछ और ही होती है। लेकिन यहां भी सरकार ने इस एजेंसी को दिल खोलकर पैसा दिया। सरकार ने स्प्रिंग बॉक्स को 4 करोड़ 69 लाख 55 हजार 273 रुपए का पेमेंट किया। वहीं इस एजेंसी को आदिवासियों का नृत्य आयोजित कराने के लिए सरकार ने पूरे 8 करोड़ 8 लाख 80 हजार 663 रुपयों का भुगतान किया। यानी एक साल में इस एजेंसी ने महज दो इवेंट कर सरकार से 13 करोड़ रुपए कमा लिए। यह एजेंसी कांग्रेस के करीबी नेता के परिवार की मानी जाती है। इसके डायरेक्टर शाहनाज किदवई, यास्मीन किदवई और अतुल गुप्ता है

अजय चंद्राकर कमेटी करेगी जांच 

सरकार ने इन सभी कामों की जांच के लिए अजय चंद्राकर की अध्यक्षता में सात सदस्यों की कमेटी गठित की है। यह कमेटी हर स्थान का फिजिकल वैरीफिकेशन करेगी। 


ये है अजय चंद्राकर कमेटी


अजय चंद्राकर - अध्यक्ष
सदस्य - राघवेंद्र कुमार सिंह विधायक
डॉ एलएस निगम - वरिष्ठ इतिहासकार
पीसी पारिख - उप संचालक,पुरातत्व संचालनालय
प्रभात कुमार - पुरातत्ववेत्ता
एसके टीकाम-जल संसाधन विभाग
शशांक सिंह - जल संसाधन विभाग

बीजेपी ने आरोप लगाया है कि योजना के तहत निर्माण कार्यों में भारी अनियमितताएँ हुईं, जिनमें से कुछ एजेंसियों को भुगतान पहले ही कर दिया गया था, जबकि निर्माण कार्य की गुणवत्ता का निरीक्षण नहीं किया गया। बीजेपी नेताओं का कहना है कि जिन कंपनियों को काम सौंपा गया था। वे कांग्रेस नेताओं के करीबियों से ताल्लुक रखती थीं और इन कंपनियों ने पेटी कांट्रैक्ट के जरिए काम कराया, जिससे गुणवत्ता प्रभावित हुई।

राम वन गमन पथ योजना के तहत विभिन्न स्थानों पर भगवान राम की मूर्तियों का निर्माण कराया गया था। इन मूर्तियों को लेकर बीजेपी नेताओं आरोप लगाए कि इन्हें विकृत तरीके से तैयार किया गया है। विशेष रूप से चंद्रखुरी और शिवरीनारायण में बनाई गई मूर्तियों के बारे में कहा गया कि ये भगवान राम जैसी नहीं दिखतीं। इन मूर्तियों की कीमत भी अलग-अलग बताई गई है, जिससे और भी सवाल उठे हैं।

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