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रायपुर : राजस्थान को रोशन करने के लिए जिस केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक से कोयला निकाला जा रहा है उससे छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक रामगढ़ पहाड़ी के वजूद पर खतरा मंडरा रहा है। केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ के इस संवेदनशील मुद्दे पर हस्तक्षेप किया है। केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार को पत्र लिखकर इसकी पूरी जांच कराकर उचित कार्यवाही करने को कहा है।
चिट्ठी में ये भी लिखा है कि सरकार को भी कार्यवाही उसकी जानकारी केंद्र सरकार को भेजेगी। केंद्र सरकार ने पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव की चिट्ठी मिलने के बाद यह कदम उठाया है। कोल ब्लॉक पर अडानी कंपनी के धमाके की धमक रामगढ़ पहाड़ी को हिला रही है। बीजेपी सरकार ने हाल ही में इस कोल ब्लॉक की अनुमति अडानी कंपनी को दी है।
टीएस की चिट्ठी का हुआ असर :
पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव ने केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर रामगढ़ पहाड़ी के संरक्षण की मांग की थी। इस चिट्ठी के बाद केंद्र सरकार के वन,पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ सरकार को पत्र लिखा। इसमें कहा गया कि यह मामला राज्य सरकार से संबंधित है। इसलिए राज्य सरकार इस बारे में जांच कराकर न्यायोचित कार्यवाही करे। और की गई कार्यवाही की रिपोर्ट मंत्रालय को भेजे।
हसदेव अरण्य क्षेत्र में नए कोल प्रोजेक्ट के कारण सरगुजा की सांस्कृतिक धरोहर रामगढ़ पर्वत पर संभावित खतरे को देखते पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव की पहल पर रामगढ़ संरक्षण और संवर्द्धन समिति नाम के गैर राजनीतिक संस्था का गठन किया गया है। टीएस सिंहदेव ने कहा कि केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक से रामगढ़ के अस्तित्व को खतरा है।
विष्णुदेव सरकार बनने के बाद पुराने रिपोर्ट से उलट नई रिपोर्ट पेश कर कोल ब्लॉक को मंजूरी दी जा रही है। पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने रामगढ़ की ऐतिहासिक धरोहर को बचाने की मुहिम शुरू की है। सिंहदेव ने कहा कि खदान के कारण ऐतिहासिक रामगढ़ पहाड़ के अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरे के खिलाफ अगर खड़ा नहीं हुआ तो खुद को माफ नहीं कर पाऊंगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासनकाल में रामगढ़ पर्वत की विरासत को बचाने और हाथियों के लिये बनाए जा रहे लेमरू प्रोजेक्ट के लिए तत्कालीन केते एक्सटेंशन कोल प्रोजेक्ट को खारिज कर दिया था।
क्यों खास है रामगढ़ पहाड़ी :
छत्तीसगढ़ के सरगुजा में ऐतिहासिक रामगढ़ पहाड़ी है। यह आदिवासियों की आस्था का केंद्र तो है ही लेकिन इसका एक और इतिहास है जो इसे खास बनाता हैं। रामगढ़ वो पहाड़ी है जहां भगवान राम दो बार आए। पहली बार विश्वामित्र के साथ दंडकारण्य के राक्षसों का वध करने और दूसरी वार वनवास के समय। यहां के लोग बताते हैं कि वनवास के दौरान भगवान राम ने यहां पर काफी वक्त गुजारा है।
महाकवि कालीदास भी यहां लंबे समय तक रहे हैं। कहा जाता है कि उनकी महान रचना मेघदूतम उन्होंने यहीं लिखी थी। इसके अलावा यहां पर आदिवासी समुदाय के कई देवी देवताओं का स्थान भी है। यहां पर प्राचीन नाट्यशाला भी है। यही कारण है कि रामगढ़ पहाड़ी को खास माना जाता है।
रामगढ़ के वजूद पर संकट :
इसी ऐतिहासिक रामगढ़ पहाड़ी पर वजूद का संकट मंडरा गया है। कांग्रेस, सरकार,अडानी,बीजेपी और रामगढ़ के बीच यह कहानी उलझ गई है। दअसल यह मसला कोल ब्लॉक को लेकर है। यह केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक है। यह खदान भी राजस्थान की है और एमडीओ अनुबंध अडानी कंपनी का है। इस खदान का 95 प्रतिशत क्षेत्र जंगल है।
और इसमें 1742 हेक्टेयर वन भूमि में 5 लाख से अधिक पेड़ काटे जाएँगे । यह खदान सरगुजा के प्रसिद्ध रामगढ़ पहाड़ का भी विनाश करेगा । यह वही खदान है जिसके लिए तमनार से पेड़ कटना चालू हो गए हैं। इस कोल ब्लॉक के धमाके से रामगढ़ की पहाड़ी दहल जाएगी और इसके टूटने का संकट आ जाएगा। इस कोल ब्लॉक की अनुमति को कांग्रेस की भूपेश सरकार ने रद्द किया था।
लेकिन जून 2025 में बीजेपी सरकार ने इस कोल ब्लॉक से कोयला निकालने की अनुमति दे दी। यही कारण है कि यहां से कोयला निकालने के लिए होने वाले धमाकों से इसके करीब स्थित रामगढ़ पहाड़ी का अस्तित्व मिट जाएगा। केंद्र सरकार के रामगढ पहाड़ी के संरक्षण की चिंता से अब यहां के लोगों को एक नई उम्मीद जागी है।