Ramnami Community History : छत्तीसगढ़ का 'प्रभु श्री राम' से अटूट नाता है। यहां प्रभु राम का ननिहाल है। वनवास काल में प्रभु राम इसी प्रदेश में 12 साल तक ठहरे थे। प्रभु श्री राम की भक्ति में डूबा छत्तीसगढ़ अनोखी मान्यताओं, प्रथाओं और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। यहां एक ऐसा समुदाय है, जो 'राम' के नाम पूरे शरीर के गुदवाते हैं। इस समुदाय को 'रामनामी' समुदाय के नाम से जाना जाता है।
'रामनामी' समुदाय का रोचक इतिहास
'रामनामी' समुदाय का इतिहास बड़ा रोचक है। इस समुदाय को रामनामी बुलाने के पीछे बड़ी दिलचस्प कहानी है। दरअसल, यह समुदाय एक आदिवासी समुदाय है। इस वजह से इनको भगवानों के मंदिर में प्रवेश करना वर्जित था। इस समुदाय के लोगों को समाज भगवान की पूजा नहीं करने देती थी। जिसके वजह से रामनामी समुदाय के लोग विशेषतौर पर अपने शरीर पर ‘राम’ नाम गुदवाने लगे।
इस समुदाय के लोग इसे अपना आध्यात्मिक आभूषण मानते हैं। इस तरह का टैटू इनके माथे से लेकर पैर तक फैला होता है। इसके पीछे मान्यता यह है कि भगवान राम का नाम ही उनका धर्म और पहचान है। न तो वे किसी विशेष पूजा स्थल को मानते हैं और न ही किसी धार्मिक कर्मकांड में विश्वास रखते हैं।
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आस्था और संघर्ष से भरपूर है रामनामी समुदाय
रामनामी समुदाय की पहचान इनकी सफेद धोती, राम नाम का गमछा और रामायण की प्रति से भी होती है। हर साल 'रामनवमी' पर यह लोग विशेष सामूहिक प्रार्थना करते हैं। समाज के लिए यह समुदाय प्रेरणादायक है कि कैसे उन्होंने अपने संघर्ष और आस्था के माध्यम से सामाजिक विषमताओं का मुकाबला किया और अपनी एक अलग पहचान बनाई। आज, ‘रामनामी’ समुदाय न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि अन्य जगहों पर भी भक्ति और समर्पण का प्रतीक बन चुका है।
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