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RSS Chief Mohan Bhagwat Raipur 2024 : संघ प्रमुख मोहन भागवत छत्तीसगढ़ के दौरे पर हैं। भागवत ने विभिन्न संगठनात्मक विषयों पर कार्यकर्ताओं और अधिकारियों के साथ चर्चा की। इस इस दौरान भागवत ने कार्यकर्ताओं और अधिकारियों को सेवा कार्यों पर जोर देने को कहा। भागवत ने कहा कि यदि हमने सिर्फ अपने हित की चिंता की तो वो धर्म नहीं है। अपने साथ सबको सुखी, सुरक्षित बनाना ही मानव धर्म है। सभी धर्मों के साथ समान वृत्ति,सभी जातियों के साथ समानता की मति बुद्धि, सभी लोगों के साथ परायणता का व्यवहार संघ की पद्धति है।
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सेवा को मानवता का धर्म भी कहा जाता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का व्यक्तित्व निर्माण के साथ सेवा कार्यों पर ही खास फोकस है। सेवा धर्म है, मेरे जीवन से सभी का जीवन सुखी हो, निरामय हो, हमारी यही कल्पना होना चाहिए। हमारा सबके साथ आत्मीयता का रिश्ता है। स्वयंसेवक अपने आस पास के लोगों के दुख और अभाव को दूर करने के लिये प्रयास करें।
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छत्तीसगढ़ में चल रहे संघ के प्रकल्प
इस बैठक में छत्तीसगढ़ में चल रहे संघ के प्रकल्पों के कामों का प्रजेंटेशन दिया गया। इसमें बताया गया कि छत्तीसगढ़ में सिर्फ सेवा भारती द्वारा ही 99 सेवा प्रकल्प संचालित किए जा रहे हैं। इनमें रायपुर, बिलासपुर, कोरबा, अंबिकापुर, दुर्ग, राजनांदगांव, जगदलपुर में संचालित मातृछाया प्रमुख हैं। यहां ऐसे बच्चों को आश्रय दिया जाता है, जिनके माता-पिता नहीं हैं या जिन्हें परित्यक्त कर दिया गया है। इन बच्चों के भोजन, कपड़े, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा व मनोरंजन की व्यवस्था मातृछाया में समाज के सहयोग से दी जाती है।
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इसके साथ ही 7 अलग-अलग स्थानों पर कन्या छात्रावास और 2 स्थान पर आश्रय गृह संचालित किए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ प्रांत में 59 संस्कार केंद्र भी संचालित हो रहे हैं। इन संस्कार केंद्रों में बच्चों को स्वच्छता, श्रेष्ठ आचरण, राष्ट्र भक्ति, भोजन मंत्र के साथ सामूहिकता का प्रशिक्षण दिया जाता है। सेवा भारती द्वारा प्रांत में 11 किशोरी विकास केंद्र भी संचालित हो रहे हैं। इसी तरह अंग्रेजी माध्यम स्कूल, सिलाई केंद्र, कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र, स्वास्थ्य पैथलैब और पॉलीक्लिनिक का संचालन भी अलग-अलग स्थान पर हो रहा है।
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इस तरह संचालित हो रहे काम
संघ के स्वयंसेवकों ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता शाखा के माध्यम से भी समाज के सहयोग से सेवा कार्य संचालित करता हैं। सेवा शिक्षण कार्य को पांच उपक्रमों में विभाजित किया गया है।
1.सेवा संस्कार-1
इनमें साप्ताहिक सेवा दिवस पर सुभाषित, अमृतवचन, गीत का अभ्यास शाखाओं में कराया जाता है।
2. सेवा संस्कार-2
इसी तरह सेवा कार्य व प्रकल्प की जानकारी, सेवा कथा, महापुरुषों के जीवन का स्मरण, अनुभव कथन, व शाखा में बौद्धिक चर्चा होती है।
3. सेवा बस्ती संपर्क :
शाखा के माध्यम से सेवा बस्ती संपर्क कार्यक्रम भी संचालित होता है।
4. सेवा कार्य चलाने वाली शाखा :
शाखा द्वारा दैनिक व साप्ताहिक स्थाई सेवा कार्य संचालित किए जाते हैं। रायपुर विभाग में ही ऐसे उपक्रम चलाने वाली शाखाओं की संख्या 61 है।
5. सेवा उपक्रमशील शाखा :
ऐसी शाखाओं को शामिल किया जाता है, जो साल में न्यूनतम दो सेवा उपक्रम अवश्य करती हों। रायपुर में ऐसी शाखाओं की संख्या 54 है, जबकि रायगढ़ में 82 व दुर्ग में 77 है इनमें आरोग्य शिविर, शिक्षा उपयोगी साहित्य वितरण, बस्ती में सहभोज, महापुरुष पुण्यस्मरण और भजन जैसे काम शामिल हैं।