खेती के नाम पर खेल! 19 लाख की हेराफेरी करने वाला ग्रामीण कृषि अधिकारी सस्पेंड

छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले के रगजा प्रक्षेत्र में पदस्थ ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी पुनीशंकर केंवट को सरकारी राशि के गबन के गंभीर आरोपों के चलते कलेक्टर ने निलंबित कर दिया है।

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Harrison Masih
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sakti Rural agriculture officer suspended for embezzling 19 lakh rupees the sootr
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छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले के रगजा प्रक्षेत्र में पदस्थ ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी पुनीशंकर केंवट को सरकारी राशि के गबन के गंभीर आरोपों के चलते कलेक्टर ने निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई कृषि बीज प्रगुणन प्रक्षेत्र रगजा में करीब 19 लाख रूपए के वित्तीय गड़बड़ी की पुष्टि के बाद की गई है।

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क्या है पूरा मामला?

पुनीशंकर केंवट, जब रगजा में प्रभारी प्रक्षेत्र प्रबंधक के पद पर कार्यरत थे, उस दौरान उनके खिलाफ शासकीय धन राशि के दुरुपयोग और गबन की शिकायत प्राप्त हुई थी। इस शिकायत पर कार्रवाई करते हुए आयुक्त, बिलासपुर संभाग द्वारा एक जांच दल का गठन किया गया, जिसने विस्तृत जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत की।

जांच में यह सामने आया कि पुनीशंकर केंवट ने करीब ₹12,67,518 की राशि का दुरुपयोग किया, साथ ही 6.000 हेक्टेयर पड़त भूमि छोड़े जाने के कारण ₹6,33,473 का अतिरिक्त राजस्व नुकसान भी हुआ। इस तरह कुल मिलाकर ₹19,00,991 की सरकारी राशि के गबन की पुष्टि हुई।

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कार्रवाई की प्रक्रिया

जांच प्रतिवेदन के आधार पर पुनीशंकर केंवट को 26 जून 2025 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। नोटिस का जवाब प्रस्तुत किया गया, लेकिन कलेक्टर कार्यालय द्वारा उस उत्तर को असंतोषजनक माना गया।

इस पर कार्रवाई करते हुए, कलेक्टर ने उन्हें छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 9 के अंतर्गत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।

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निलंबन की शर्तें और मुख्यालय

निलंबन अवधि में पुनीशंकर केंवट को केवल जीवन निर्वाह भत्ता (Subsistence Allowance) प्रदान किया जाएगा। मुख्यालय के रूप में अनुविभागीय कृषि अधिकारी, सक्ती का कार्यालय निर्धारित किया गया है।यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।

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आगे की कार्रवाई 

अब यह मामला आंतरिक विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही के दायरे में है। संभावना है कि यदि आरोप सिद्ध हुए तो पुनीशंकर केंवट को पदच्युत या सेवा से बर्खास्त भी किया जा सकता है। साथ ही, गबन की राशि की वसूली की प्रक्रिया भी शुरू की जा सकती है।

प्रशासन की सख्ती

यह कार्रवाई एक संकेत है कि जिला प्रशासन, खासतौर पर वित्तीय गड़बड़ियों को लेकर अब 'जीरो टॉलरेंस' की नीति पर काम कर रहा है। इससे अन्य विभागीय कर्मचारियों को भी स्पष्ट संदेश गया है कि शासकीय धन की हेराफेरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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