रेत रॉयल्टी घोटाला की जांच फाइल गायब, पुलिस में चोरी की शिकायत, सवालों के घेरे में प्रशासन

छत्तीसगढ़ के आरंग में नौ साल पुराने करोड़ों के रेत रॉयल्टी घोटाले की जांच से जुड़ी फाइल जिला पंचायत कार्यालय से गायब हो गई है। विभागीय जांच में सुराग न मिलने पर, जिला पंचायत के लेखापाल राघवेंद्र सिंह ने फाइल चोरी की शिकायत दर्ज कराई है।

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Krishna Kumar Sikander
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छत्तीसगढ़ के आरंग में नौ साल पहले हुए करोड़ों रुपये के रेत रॉयल्टी घोटाले की जांच को लेकर सनसनीखेज खुलासा हुआ है। इस घोटाले से जुड़ी महत्वपूर्ण जांच फाइल, जिसमें घोटाले के तथ्यों और निष्कर्षों की जानकारी थी, जिला पंचायत कार्यालय से रहस्यमयी तरीके से गायब हो गई है।

फाइल के गायब होने के बाद कई बार विभागीय जांच की गई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। अंततः, जिला पंचायत के लेखापाल राघवेंद्र सिंह ने सिविल लाइंस थाने में फाइल चोरी की शिकायत दर्ज कराई है। अब इस मामले की जांच पुलिस के हवाले है, और यह घटना प्रशासनिक लापरवाही और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

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घोटाले का पृष्ठभूमि और जांच का सफर

वर्ष 2015-16 में आरंग जनपद पंचायत में रेत रॉयल्टी से जुड़ा करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया था। इस मामले में तत्कालीन जनपद पंचायत सीईओ सीपी मनहर और पंकज देव पर घोटाले में शामिल होने के आरोप लगे थे। घोटाले की गंभीरता को देखते हुए विभागीय अधिकारियों ने इसकी जांच शुरू की थी।

जांच पूरी होने के बाद 21 जून 2016 को जांच फाइल को जिला पंचायत कार्यालय में जमा किया गया। लेकिन, इस फाइल में दर्ज तथ्यों और निष्कर्षों को जिम्मेदार अधिकारियों तक पहुंचने का मौका ही नहीं मिला, क्योंकि यह फाइल दो साल तक कार्यालय में एक टेबल से दूसरी टेबल तक घूमती रही और अंततः 2018 में गायब हो गई।

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फाइल गायब होने की कहानी

फाइल के गायब होने की घटना ने प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खोल दी है। जिला पंचायत के अधिकारियों ने फाइल के लापता होने के बाद कई बार इसकी खोजबीन की कोशिश की। जिम्मेदार कर्मचारियों और अधिकारियों को पत्र लिखकर जवाब मांगा गया, लेकिन सभी ने एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर पल्ला झाड़ लिया।

सात साल तक फाइल की तलाश में नाकाम रहने के बाद, विभागीय अधिकारियों और जिला पंचायत के निर्देश पर लेखापाल राघवेंद्र सिंह ने सिविल लाइंस थाने में चोरी की शिकायत दर्ज कराई। राघवेंद्र ने पुलिस को बताया कि फाइल में रेत रॉयल्टी घोटाले से जुड़े अहम दस्तावेज और जांच के निष्कर्ष थे, जो अब गायब हैं।

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सवालों के घेरे में प्रशासन

इस घटना ने जिला पंचायत और संबंधित विभागों की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े किए हैं। आखिर इतने महत्वपूर्ण दस्तावेज कैसे गायब हो गए? फाइल की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी थी? क्या यह महज लापरवाही थी या इसके पीछे कोई सुनियोजित साजिश है?

ये ऐसे सवाल हैं जो न केवल स्थानीय प्रशासन, बल्कि पूरे सिस्टम की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल उठाते हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि रेत रॉयल्टी घोटाला पहले से ही छत्तीसगढ़ में एक संवेदनशील मुद्दा रहा है, और इस फाइल के गायब होने से जांच प्रक्रिया को गहरा झटका लगा है।

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पुलिस जांच पर टिकी नजरें

सिविल लाइंस थाने में दर्ज शिकायत के बाद अब पुलिस इस मामले की जांच में जुट गई है। पुलिस को यह पता लगाना है कि फाइल किन परिस्थितियों में गायब हुई और इसके पीछे कौन जिम्मेदार हो सकता है। इस मामले में किसी तरह की साजिश की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा रहा है, क्योंकि फाइल में घोटाले से जुड़े अहम सबूत और तथ्य थे, जो दोषियों को बेनकाब कर सकते थे।

घोटाले का व्यापक असर

रेत रॉयल्टी घोटाला छत्तीसगढ़ में अवैध खनन और रॉयल्टी चोरी के बड़े मामलों में से एक है। इस घोटाले में करोड़ों रुपये की हेराफेरी की बात सामने आई थी, जिसके बाद तत्कालीन सीईओ और अन्य अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगे थे। फाइल के गायब होने से न केवल जांच प्रक्रिया प्रभावित हुई है, बल्कि दोषियों को सजा दिलाने की राह में भी बाधा आई है। यह घटना सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को उजागर करती है।

प्रशासनिक तंत्र की विश्वसनीयता कटघरे में 

पुलिस जांच के नतीजों पर अब सभी की नजरें टिकी हैं। क्या गायब फाइल बरामद हो पाएगी? क्या इस मामले में जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाएगा? या यह मामला भी अनसुलझा रह जाएगा? ये सवाल न केवल आरंग के रेत रॉयल्टी घोटाले की जांच से जुड़े हैं, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र की विश्वसनीयता को भी कटघरे में खड़ा करते हैं। इस घटना ने एक बार फिर रेत खनन और रॉयल्टी से जुड़े घोटालों पर कड़ा नियंत्रण और पारदर्शी जांच की जरूरत को रेखांकित किया है।

FAQ

आरंग में हुए रेत रॉयल्टी घोटाले की जांच फाइल क्यों चर्चा में है?
यह फाइल इसलिए चर्चा में है क्योंकि इसमें रेत रॉयल्टी घोटाले से जुड़े अहम दस्तावेज और जांच के निष्कर्ष थे, जो जिला पंचायत कार्यालय से रहस्यमयी तरीके से गायब हो गई। इसके गायब होने से पूरे मामले की जांच प्रक्रिया प्रभावित हुई है और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठे हैं।
फाइल गायब होने की घटना के बाद क्या कार्रवाई की गई? उत्तर:
फाइल की सात साल तक खोजबीन के बाद, जिला पंचायत के लेखापाल राघवेंद्र सिंह ने सिविल लाइंस थाने में फाइल चोरी की शिकायत दर्ज कराई है। अब यह मामला पुलिस जांच के अधीन है और पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि फाइल किन परिस्थितियों में और किसकी लापरवाही या साजिश के कारण गायब हुई।
रेत रॉयल्टी घोटाले और फाइल गायब होने की घटना का क्या व्यापक असर हो सकता है?
इस घटना से न केवल घोटाले की जांच को झटका लगा है, बल्कि दोषियों को सजा दिलाने की प्रक्रिया भी बाधित हुई है। यह मामला सरकारी तंत्र में पारदर्शिता, दस्तावेज़ों की सुरक्षा और जवाबदेही की गंभीर कमी को उजागर करता है, जिससे प्रशासनिक विश्वास और कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।

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