राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) के तहत रायपुर में चने की खेती के लिए 100 हेक्टेयर जमीन और 100 किसानों का चयन हुआ था। मकसद था दालों का उत्पादन बढ़ाना, लेकिन योजना कागजी खेल बनकर रह गई। जांच में खुलासा हुआ कि कृषि विभाग के अधिकारियों ने सिर्फ 20 हेक्टेयर में चना बोया, बाकी 80 हेक्टेयर का उत्पादन कागजों में दिखाकर लाखों रुपये हड़प लिए। फोटो खींचकर किसानों के साथ दिखावे का खेल रचा गया।
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चौंकाने वाले खुलासे
अभनपुर विकासखंड के तोरला, भुरका, गोरभट्टी, टीला, चंपारण जैसे गांवों में पता चला कि कई लोगों को कागजों में किसान और बीज प्राप्तकर्ता दिखाया गया, जबकि वे किसान हैं ही नहीं। एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के दो नामों से बीज वितरण दिखाया गया। उक्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि उनके पास न खेत है और न ही उन्होंने बीज लिया।
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किसानों के साथ धोखा
जगदीश साहू (भुरका) ने बताया कि उनकी तीन एकड़ जमीन है, लेकिन उन्हें सिर्फ एक कट्टा चना बीज मिला। रिकॉर्ड में तीन एकड़ के लिए बीज और कीटनाशक दिखाया गया। वहीं, नोहरदास ने खुलासा किया कि उन्हें निशुल्क मिलने वाला बीज 10 हजार रुपये देकर खरीदना पड़ा। उन्हें नहीं पता था कि योजना में बीज मुफ्त है।
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अधिकारियों का फर्जीवाड़ा
अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने चना बीज और कीटनाशक बाजार में बेच दिए। अभनपुर तहसीलदार की अगुआई वाली जांच कमेटी ने पाया कि सिर्फ 20 हेक्टेयर में चना बोया गया, बाकी खेतों में दूसरी फसलें या खाली जमीन मिली। दो कृषि विस्तार अधिकारी दोषी पाए गए, लेकिन जिला कृषि अधिकारी आर. कश्यप का कहना है कि जांच अधूरी है, क्योंकि सभी किसानों के बयान नहीं लिए गए। फाइल दोबारा जांच के लिए एसडीएम कार्यालय भेजी गई है।
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कार्रवाई के लिए रिपोर्ट प्रशासन को भेजी
अभनपुर एसडीएम रवि सिंह ने बताया कि जांच में दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए रिपोर्ट प्रशासन को भेजी गई है, लेकिन कार्रवाई अभी लंबित है। एनएफएसएम योजना का मकसद किसानों को सशक्त करना था, लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत ने इसे घोटाले का अड्डा बना दिया। कागजों में चना बोकर और फर्जी किसानों के नाम पर बीज वितरण दिखाकर लाखों रुपये का गबन किया गया। किसानों के साथ धोखा और जांच में लीपापोती का यह मामला अब प्रशासन के अगले कदम का इंतजार कर रहा है।
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