जल संसाधन विभाग में घोटाला, कार्यपालन अभियंता निलंबित, विभागीय जांच के आदेश

छत्तीसगढ़ के जशपुर संभाग में जल संसाधन विभाग में 2.93 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आया है। कार्यपालन अभियंता विजय जामनिक पर एक ठेकेदार को समय से पहले अवैध रूप से सुरक्षा निधि जारी करने का आरोप है।

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Krishna Kumar Sikander
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छत्तीसगढ़ के जशपुर संभाग में जल संसाधन विभाग में 2.93 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। सुसडेगा व्यपवर्तन योजना के तहत कार्यपालन अभियंता विजय जामनिक पर ठेकेदार को समय से पहले 2.93 करोड़ रुपये की सुरक्षा निधि (सिक्योरिटी डिपॉजिट) अवैध रूप से रिलीज करने का गंभीर आरोप लगा है।

इस वित्तीय अनुशासनहीनता के चलते राज्य सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जामनिक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है और पूरे मामले की गहन विभागीय जांच शुरू करने का आदेश दिया है। यह कदम भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और विभागीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक मजबूत संदेश देता है।

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घोटाले का खुलासा, नियमों की अनदेखी

सुसडेगा व्यपवर्तन योजना, जिसकी शुरुआत 2021 में हुई थी, के अनुबंध क्रमांक 19 डी.एल./2020-21 के तहत ठेकेदार ने 2.93 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सुरक्षा निधि दो फिक्स्ड डिपॉजिट रसीदों (एफडीआर) के रूप में जमा की थी, प्रत्येक की राशि 1,46,95,000 रुपये थी।

नियमानुसार, यह राशि योजना के कार्य पूर्ण होने और पूर्णता प्रमाण पत्र (कम्प्लीशन सर्टिफिकेट) जारी होने के बाद ही ठेकेदार को वापस की जा सकती थी। लेकिन जांच में सामने आया कि कार्यपालन अभियंता विजय जामनिक ने नियमों को ताक पर रखकर दोनों एफडीआर को समय से पहले ही रिलीज कर दिया, जबकि योजना का कार्य केवल 60% तक ही पूरा हुआ था।

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इस अनियमितता के कारण ठेकेदार को 2.93 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ पहुंचा, जबकि योजना का शेष 40% कार्य अभी भी अधूरा पड़ा है। ठेकेदार द्वारा शेष कार्य को पूरा करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, और समय से पहले सुरक्षा निधि रिलीज होने के कारण विभाग अब इस राशि को राजसात (कन्फिस्केट) भी नहीं कर सकता। इससे राज्य के राजकोष को भारी वित्तीय नुकसान होने की आशंका है।

निलंबन और विभागीय कार्रवाई

मामले की गंभीरता को देखते हुए जल संसाधन विभाग ने तुरंत कार्रवाई की है। कार्यपालन अभियंता विजय जामनिक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है, और उनका मुख्यालय मुख्य अभियंता, महानदी गोदावरी कच्छार, जल संसाधन विभाग, रायपुर में निर्धारित किया गया है।

निलंबन अवधि के दौरान उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता (सब्सिस्टेंस अलाउंस) प्रदान किया जाएगा। साथ ही, इस मामले की विस्तृत जांच के लिए एक विभागीय समिति गठित की गई है, जो इस घोटाले की सभी परतों को खंगालेगी।जांच में यह पता लगाया जाएगा कि क्या अन्य अधिकारियों या कर्मचारियों की भी इस अनियमितता में संलिप्तता थी।

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इसके अलावा, ठेकेदार के साथ सांठगांठ और अन्य संभावित अनियमितताओं की भी गहन पड़ताल की जाएगी। विभाग ने साफ कर दिया है कि भ्रष्टाचार और वित्तीय अनुशासनहीनता को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सुसडेगा व्यपवर्तन योजना का हाल

सुसडेगा व्यपवर्तन योजना का उद्देश्य जशपुर संभाग में सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाना और स्थानीय किसानों को लाभ पहुंचाना था। लेकिन इस घोटाले ने योजना की प्रगति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वर्तमान में योजना का कार्य अधर में लटका हुआ है, और ठेकेदार की ओर से कोई सक्रिय प्रयास नहीं दिख रहा है। समय से पहले सुरक्षा निधि की रिलीज ने विभाग को आर्थिक रूप से कमजोर किया है, क्योंकि अब अधूरे कार्य के लिए ठेकेदार पर दबाव बनाने का कोई वित्तीय उपाय शेष नहीं है।

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सरकार का कड़ा रुख

राज्य सरकार ने इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लिया है। जल संसाधन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि यह कार्रवाई अन्य अधिकारियों के लिए एक चेतावनी है कि वित्तीय अनुशासन का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सरकार ने हाल के वर्षों में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई है, और इस निलंबन को उसी दिशा में एक कदम माना जा रहा है। विभागीय जांच के परिणामों के आधार पर जामनिक और अन्य संभावित दोषियों के खिलाफ आगे की कार्रवाई तय की जाएगी, जिसमें आपराधिक मुकदमा दर्ज करना भी शामिल हो सकता है।

स्थानीय लोगों और किसानों की प्रतिक्रिया

जशपुर के स्थानीय निवासियों और किसानों में इस घोटाले को लेकर गहरा रोष है। उनका कहना है कि सुसडेगा व्यपवर्तन योजना से क्षेत्र में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार होने की उम्मीद थी, लेकिन इस तरह की अनियमितताओं ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। कई किसानों ने मांग की है कि दोषी अधिकारियों और ठेकेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

निगरानी और जवाबदेही पर सवाल 

विभागीय जांच के दौरान यह स्पष्ट होने की उम्मीद है कि इस घोटाले में और कौन-कौन शामिल थे। जांच समिति को यह भी निर्देश दिया गया है कि वह योजना के शेष कार्य को पूरा करने के लिए वैकल्पिक उपाय सुझाए। इसके साथ ही, जल संसाधन विभाग भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की योजना बना रहा है, जिसमें अनुबंध प्रक्रिया में पारदर्शिता और कड़ी निगरानी शामिल है।

यह घोटाला न केवल जशपुर संभाग बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में सरकारी परियोजनाओं की निगरानी और जवाबदेही पर सवाल उठाता है। सरकार की त्वरित कार्रवाई से यह संदेश साफ है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया जाएगा। अब सभी की नजरें जांच के परिणामों और इसके बाद होने वाली कार्रवाइयों पर टिकी हैं।

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