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school education department corruption : शिक्षा विभाग के अफसरों का कारनामा सामने आया है। चंद अधिकारियों ने शिक्षा विभाग में प्रमोशन के बाद पोस्टिंग करने में भारी फर्जीवाड़ा किया। इन अधिकारियों ने सरकारी नीति को ठेंगा दिखाकर अपने हिसाब से संशोधन कर लिया और मनमर्जी से पोस्टिंग कर दी। इन अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे।
जब मामला सामने आया तो सरकार ने 11 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया। इनके खिलाफ आरोप पत्र जारी कर दिए गए और विभागीय जांच भी बैठा दी गई, लेकिन हैरानी की बात यह है कि इनमें से चार अधिकारियों को बिना पूरी जांच के ही बहाल कर दिया गया। सवाल ये उठता है कि आखिर सरकार इन पर इतनी मेहरबान क्यों हुई। आइए आपको बताते हैं पूरा माजरा।
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शिक्षा विभाग कुछ अधिकारियों ने सरकारी नीति के विरुद्ध प्रमोशन और पोस्टिंग में अपने हिसाब से संशोधन कर लिया। न सिर्फ संशोधन किया बल्कि विभागीय कर्मचारियों की पोस्टिंग भी अपने हिसाब से कर दी। यानी संशोधित नीति के हिसाब से इन कर्मचारियों की पदोन्नति के बाद पदस्थापना कर दी गई। इनमें प्रभारी संयुक्त संचालक से लेकर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी तक शामिल थे।
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इन 11 अधिकारियों पर इस पूरे फर्जीवाड़े का आरोप लगा। आरोप तो भ्रष्टाचार के भी लगे। जब सरकार को इस बात की खबर पहुंची तो इन 11 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया। इन सभी के खिलाफ आरोप पत्र जारी कर दिए गए। सरकार ने आनन फानन में विभागीय जांच यानी डिपार्टमेंटर इन्क्वाइरी डीई भी बैठा दी। यहां तक तो सब ठीक ठाक था, लेकिन इसके बाद सरकार की इन पर मेहरबानी हो गई।
डीई चल ही रही थी और इनमें से चार अधिकारियों को बहाल कर दिया गया। अब सवाल ये है कि इन चार अधिकारियों को बिना डीई पूरी हुए क्लीन चिट क्यों दे दी गई। यानी दाल में कुछ काला जरुर है। यह मामला विधानसभा में भी उठ चुका है।
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इन अधिकारियों को किया गया सस्पेंड
- हेमंत उपाध्याय प्रभारी संयुक्त संचालक,सरगुजा
- एसके प्रसाद प्रभारी संयुक्त संचालक, बिलासपुर
- गिरधर कुमार मरकाम, प्रभारी संयुक्त संचालक, दुर्ग
- के कुमार संभागीय संयुक्त संचालक,रायपुर
- सीएस ध्रुव जिला शिक्षा अधिकारी,बलौदा बाजार
- आरके वर्मा प्राचार्य,डाइट रायपुर
- डीएस ध्रुव सहायक संचालक,रायपुर
- शैल सिन्हा सहायक संचालक रायपुर
- उषा किरण खलको सहायक संचालक रायपुर
- संजय पुरी गोस्वामी ब्लॉक शिक्षा अधिकारी,धरसींवा
- एसके गेंदले ब्लॉक शिक्षा अधिकारी,सिगमा
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चार अधिकारी बहाल
इनमें से 4 संयुक्त संचालकों को बहाल भी कर दिया गया। सरकार ने माना कि इनके खिलाफ आरोप पत्र जारी किए गए थे। और विभागीय जांच भी चल रही थी। यानी विभागीय जांच अपूर्ण है। सरकार कहती है कि हेमंत उपाध्याय को कोर्ट के ऑर्डर के बाद बहाल किया गया और उनको पुरानी जगह पर पोस्टिंग दी गई। मानाकि अदालती आदेश के बाद एक अधिकारी को बहाल कर दिया गया लेकिन बाकी के अधिकारियों पर मेहरबानी क्यों दिखाई गई।
बीजेपी के विधायक गजेंद्र यादव ने ही इन अधिकारियों की बहाली को लेकर सवाल उठाया था। इसमें भ्रष्टाचार और आर्थिक अनियमितताओं की बात भी की गई थी। इन अधिकारियों को बहाल लोक शिक्षण संचालनालय में पदस्थ कर दिया गया है। यानी ये फिर सरकारी नीति को अमलीजामा पहनाने वाले विभाग में पदस्थ हो गए हैं।
ये हो गए बहाल
हेमंत उपाध्याय - एससीआरटी रायपुर पदस्थ, आरोप पत्र जारी, विभागीय जांच अपूर्ण।
एसके प्रसाद - लोक शिक्षण संचालनालय पदस्थ, आरोप पत्र जारी, विभागीय जांच अपूर्ण।
गिरधर कुमार मरकाम - लोक शिक्षण संचालनालय पदस्थ, आरोप पत्र जारी, विभागीय जांच अपूर्ण।
के कुमार - लोक शिक्षण संचालनालय,आरोप पत्र जारी पदस्थ, विभागीय जांच अपूर्ण।