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Sinhaasan Chhatteesee : छत्तीसगढ़ की सियासत में भ्रष्टाचार खूब चर्चा में है। सदन में भ्रष्टाचार पर सरकार घिर रही है और कांग्रेस हंगामा कर रही है। अभनपुर मामले के चर्चा में आते ही कुछ माननीयों की धड़कनें बढ़ गई हैं। वे पूरा जोर लगा रहे हैं कि इसकी सीबीआई जांच न हो जाए। यदि ऐसा हुआ तो उसकी जद में न जाने कौन कौन आएगा।
वहीं चुनाव खत्म होते ही सूटकेस का आदान प्रदान होने लगा है। विष्णु की कमजोर कड़ियां सरकार की मुश्किलें बढ़ा रही हैं। छत्तीसगढ़ की ऐसी ही राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों की अनसुनी खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।
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अभनपुर में माननीयों को अभयदान
इन दिनों छत्तीसगढ़ की सियासत में भारतमाला प्रोजेक्ट में हुए भ्रष्टाचार की बहुत चर्चा है। अब तो राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा भी मान चुके कि इस प्रोजेक्ट में बहुत बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है। नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत तो यहां तक कह चुके हैं कि जब भ्रष्टाचार हमारी सरकार में हुआ तो आपकी सरकार क्यों सीबीआई जांच कराने से बच रही है। दरअसल रायपुर से विशाखापट्नम तक बन रहे कॉरीडोर में जमीन के मुआवजे को लेकर बड़ा खेल हुआ है। और खेल बड़ा इसलिए हुआ क्योंकि अफसर निर्भय होकर नियमों को ताक पर रखकर काम कर रहे थे।
वे निर्भय इसलिए थे क्योंकि उनके उपर माननीयों का हाथ था। सूत्र बताते हैं कि भारतमाला प्रोजेक्ट की घोषणा होते ही बड़े लोगों ने इसकी जद में आने वाली जमीनें खरीद लीं। और इन जमीनों को ही बड़ा मुआवजा दिलाने के लिए यह पूरा खेल हो गया। सूत्रों की मानें तो यहां पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों के दिग्गजों की जमीनें हैं। कुछ पूर्व मंत्री होने के साथ विधायक हैं तो कुछ अब विधायक नहीं रहे।
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इन माननीयों ने कुछ अपने तो कुछ करीबियों के नाम पर यह जमीन खरीद ली है। इनको भरपूर मुआवजा मिल गया लेकिन जो असल किसान थे वे अभी भी मुआवजे के लिए भटक रहे हैं। अधिकारियों ने माननीयों के साथ साथ अपना फायदा कर लिया। वे तो नप गए लेकिन माननीयों को अभयदान मिल गया। हालांकि इनकी धड़कनें बढ़ी हुई हैं। सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि सीबीआई जांच के लिए सरकार इसीलिए तैयार नहीं है क्योंकि बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी।
विष्णु की कमजोर कड़ी
विष्णुदेव साय उस टीम के कप्तान हैं जिसका विधानसभा में बेहद लचर प्रदर्शन है। भ्रष्टाचार का जवाब देने में मंत्रियों की हालत खस्ता हो रही है। विष्णु सरकार के आधे मंत्री तो सीएम की सबसे कमजोर कड़ी हैं। महतारी वंदन, दवा खरीदी घोटाला और भारतमाला प्रोजेक्ट में हुए भ्रष्टाचार पर मंत्रियों के पास कोई जवाब नही है।
कांग्रेस के सवालों पर वे बगलें झांकने लगते हैं। तीन मंत्री तो ऐसे हैं जिनको उनकी ही पार्टी के विधायक घेर रहे हैं। विधायक फायर ब्रांड हैं और मंत्री कमजोर। इससे सरकार की किरकिरी हो रही है। खबर है कि अब संगठन ने अपने विधायकों से कहा है कि वे सरकार पर सवाल न उठाएं। और मंत्रियों से कहा है कि वे पढ़ लिख कर विधानसभा जाया करें ताकि सवालों का जवाब दे पाएं। अब देखते हैँ कि इस हिदायत का कितना असर होता है।
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चुनाव खत्म,सूटकेस शुरु
अब निकाय और पंचायत चुनाव खत्म हो चुके हैं। अब निगम मंडल की नियुक्तियों को लेकर कोई बहाना नहीं बचा है। एक बार फिर निगम मंडल में नियुक्तियों की चर्चा शुरु हो चुकी है। अब एक बार फिर सूटकेस का दौर शुरु हो चुका है। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी से जुड़े ठेकेदार और व्यापारी भी निगम मंडल की कुर्सी चाहते हैं।
यहां पर बात पैसे की नहीं बल्कि रसूख की है। लालबत्ती की परंपरा भले ही खत्म हो गई हो लेकिन रुतबा तो बरकरार है ही। ऐसे में ये लोग खास लोगों के यहां सूटकेस लेकर जाते दिख जाते हैं। कुछ संगठन के नेता तो कुछ मंत्री अपने वालों को निगम मंडल की कुर्सी दिलवाने के लिए लाबिंग में लगे हुए हैं। अब देखते हैं कि किसकी लॉटरी लगती है।
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