धमाके में 30 फीट ऊपर उड़े जवान... नक्सलियों ने लगाया हैवी प्रेशर IED बम

Bijapur IED Bomb blast : बीजापुर में हुए ब्लास्ट में दंतेवाड़ा DRG के 8 जवान शहीद हो गए। एक ड्राइवर की भी मौत हो गई। धमाका इतना भयावह था कि 30 फीट ऊपर बॉडी मिली है।

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Kanak Durga Jha
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soldiers flew 30 feet high in explosion bijapur IED Bomb blast
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बीजापुर में हुए ब्लास्ट से पूरा छत्तीसगढ़ थर्रा गया है। हमले में दंतेवाड़ा DRG के 8 जवान शहीद हो गए। एक ड्राइवर की भी मौत हो गई। धमाका इतना भयावह था कि 30 फीट ऊपर बॉडी मिली है। इस भयानक धमाके में गाड़ी सहित जवान भी 25 से 30 फ़ीट तक ऊपर उड़ गए थे। वहीं सड़क पर 10 फीट तक गड्डा हो गया। दरअसल, नक्सलियों ने आज यानी (सोमवार, 6 जनवरी) को जवानों को लेकर जा रहे वाहन को ब्लास्ट कर उड़ा दिया। जवान सर्च ऑपरेशन से वापस लौट रहे थे। 

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सड़क पर करीब 10 फीट गहरा गड्‌ढा

धमाका इतना जोरदार था कि सड़क पर करीब 10 फीट गहरा गड्‌ढा हो गया और वाहन के परखच्चे उड़ गए। गाड़ी के कुछ पार्ट्स 30 फीट दूर एक पेड़ पर 25 फीट ऊंचाई पर मिले। धमाके की पुष्टि करते हुए आईजी (इंस्पेक्टर जनरल) बस्तर रेंज सुंदरराज पी ने बताया कि बीजापुर से संयुक्त ऑपरेशन पार्टी ऑपरेशन पूरा कर वापस लौट रही थी। 

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सोमवार दोपहर करीब सवा 2 बजे बीजापुर मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर अंबेली गांव के पास नक्सलियों ने आइईडी ब्लास्ट किया। धमाका इतना जोरदार था कि सड़क पर करीब 10 फीट गहरा गड्‌ढा हो गया और वाहन के परखच्चे उड़ गए। गाड़ी के कुछ पार्ट्स 30 फीट दूर एक पेड़ पर 25 फीट ऊंचाई पर मिले।

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FAQ

कौन से सुरक्षा कदम इस प्रकार के IED हमलों को रोकने में मदद कर सकते हैं?
IED हमलों को रोकने के लिए सुरक्षा बलों को नियमित रूप से मार्गों की जांच करने के लिए मेटल डिटेक्टर, विस्फोटक डिटेक्शन उपकरण और प्रशिक्षित डॉग स्क्वॉड का उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा, ड्रोन और सैटेलाइट इमेजरी जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल भी खतरों का पता लगाने में सहायक हो सकता है।
बीजापुर ब्लास्ट में किन परिस्थितियों में जवान शहीद हुए, और घटना का मुख्य कारण क्या था?
सर्च ऑपरेशन से लौट रहे DRG के जवानों के वाहन पर नक्सलियों ने IED ब्लास्ट किया। धमाके से सड़क पर करीब 10 फीट गहरा गड्ढा बन गया, और गाड़ी के परखच्चे उड़ गए। यह हमला जवानों के ऑपरेशन के खत्म होने और वापसी के दौरान सुरक्षा चूक या असावधानी का संकेत हो सकता है।
सुरक्षा बलों के लिए ऐसे क्षेत्रों में काम करना कितना चुनौतीपूर्ण है?
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों को घने जंगल, दुर्गम इलाकों और अप्रत्याशित हमलों का सामना करना पड़ता है। स्थानीय भूगोल की जानकारी और बेहतर खुफिया नेटवर्क की कमी के कारण ऑपरेशनों में कठिनाई होती है। इसके अलावा, IED जैसे खतरों से निपटने के लिए विशेष प्रशिक्षण और उपकरणों की आवश्यकता होती है।

 

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