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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित पं. जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय एवं डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय के जनरल सर्जरी विभाग ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यहां पढ़ाई कर रही दक्षिण अफ्रीका की छात्रा की लेप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टॉमी (पित्ताशय की पथरी) सर्जरी सफलतापूर्वक की गई, जिससे वह छह माह से लगातार हो रहे पेट दर्द से मुक्त हो गई है।
यह सर्जरी इसलिए विशेष है क्योंकि छात्रा ने अपने देश लौटकर इलाज कराने के बजाय अंबेडकर अस्पताल के डॉक्टरों पर भरोसा जताया और यहीं सर्जरी कराने का फैसला लिया। छात्रा के अटेंडर सिबोनेलो सनेलिस जुंगु ने कहा, “भारत के डॉक्टर हमारे देश में भी सफलतापूर्वक इलाज कर रहे हैं, इसलिए हमने यहीं इलाज कराने का निर्णय लिया।”
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इलाज की शुरुआत ऐसे हुई
छात्रा रायपुर के एक निजी विश्वविद्यालय में बीएससी साइकोलॉजी की पढ़ाई कर रही है। 6 मई 2025 की रात को उसे तीव्र पेट दर्द, उल्टी और भूख न लगने की शिकायत हुई। निजी अस्पताल में जांच के बाद गॉलब्लैडर में स्टोन पाया गया। इसके बाद परिवार ने अंबेडकर अस्पताल का चयन किया। सर्जरी विभाग की टीम ने पूरी प्रक्रिया को सावधानीपूर्वक अंजाम दिया।
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पूरी मेडिकल टीम ने निभाई जिम्मेदारी
डॉ. मंजू सिंह के नेतृत्व में डॉ. अमित अग्रवाल, डॉ. मनीष साहू, डॉ. अंजलि जालान, डॉ. आयुषी गोयल, डॉ. पूजा जैन और एनेस्थीसिया टीम की डॉ. प्रतिभा शाह व डॉ. मंजुलता टंडन की मौजूदगी में यह सर्जरी हुई।
डॉ. सिंह ने बताया कि जैसे ही विदेशी छात्रा को भर्ती किया गया, पूरी प्रक्रिया की जानकारी डीन डॉ. विवेक चौधरी और अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर को दी गई। दोनों अधिकारियों ने सर्जरी संबंधी औपचारिकताएं तुरंत पूरी करवाईं।
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क्या होती है लेप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टॉमी?
यह एक आधुनिक शल्यक्रिया है जिसमें पेट में छोटे चीरे कर लेप्रोस्कोप (कैमरा लगी पतली ट्यूब) की मदद से गाल ब्लैडर हटाया जाता है। इसमें कम रक्तस्राव, कम दर्द और जल्दी रिकवरी होती है। मरीज को सामान्य एनेस्थीसिया दिया जाता है, और सर्जरी के बाद बहुत जल्द सामान्य जीवन में वापस लौट सकते हैं।
मरीज पूरी तरह स्वस्थ, अस्पताल से छुट्टी
सर्जरी के बाद छात्रा ने बताया कि वह पहले से काफी बेहतर महसूस कर रही है। उसे अब पेट दर्द की कोई शिकायत नहीं है। फिलहाल उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। इस सर्जरी ने रायपुर के सरकारी अस्पतालों की साख को न सिर्फ बढ़ाया है, बल्कि भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर विदेशी मरीजों का भरोसा भी मजबूत किया है।
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