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छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने बुधवार 14 मई की रात एक अहम कार्रवाई करते हुए सुपेला क्षेत्र से एक बांग्लादेशी महिला को गिरफ्तार किया है, जो पिछले 8 वर्षों से भारत में फर्जी पहचान के जरिए रह रही थी। 2 वर्ष से वह दुर्ग में रह रही थी। महिला की पहचान पन्ना बीबी (मूल निवासी - खुलना, बांग्लादेश) के रूप में हुई है, जो अंजली सिंह उर्फ काकोली घोष के नाम से छिपकर रह रही थी।
ऐसे घुसी भारत में
पुलिस जांच के अनुसार, पन्ना बीबी करीब 8 साल पहले बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल के बोंगांव-पेट्रोपोल सीमा मार्ग से अवैध रूप से भारत में दाखिल हुई थी। उसके पास न तो वैध पासपोर्ट था और न ही वीजा। भारत आने के बाद वह सबसे पहले कोलकाता के कुख्यात सोनागाछी इलाके में लगभग 5 साल तक रही और फिर दिल्ली चली गई। दिल्ली में 'पूजा' नाम की एक महिला के संपर्क में आने के बाद वह भिलाई आकर सुपेला के नेहरू चौक स्थित मकान में किराए से रहने लगी।
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फर्जी दस्तावेजों का उपयोग
महिला ने दिल्ली के निहाल विहार पते पर एक फर्जी आधार कार्ड बनवाया, जिसमें उसने अपना नाम 'अंजली सिंह' दर्शाया। उसने इस पहचान का उपयोग न सिर्फ अस्पतालों में इलाज के लिए किया, बल्कि सरकारी योजनाओं और अन्य नागरिक सुविधाओं का लाभ भी लिया। महिला ने पहचान छुपाने के लिए आधार कार्ड में अपनी तस्वीर को जानबूझकर धुंधला बनवाया था।
बांग्लादेश से सीधा संपर्क
पुलिस को जांच के दौरान उसके मोबाइल फोन से IMMO ऐप के जरिए बांग्लादेश स्थित पिता, भाई, बहन और रिश्तेदारों से निरंतर संपर्क में रहने के सबूत मिले हैं। मोबाइल में दर्जनों अंतरराष्ट्रीय कॉल के रिकॉर्ड भी बरामद किए गए हैं, जिससे उसके देश से संपर्क की पुष्टि हुई है।
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मकान मालिक पर भी कार्रवाई
पन्ना बीबी, सूरज साव नामक व्यक्ति के मकान में रह रही थी, जिसने किरायेदार की जानकारी स्थानीय पुलिस को नहीं दी थी। इसे कानून का उल्लंघन मानते हुए सूरज साव के खिलाफ भी वैधानिक कार्रवाई की जा रही है।
इन धाराओं में दर्ज हुआ मामला
महिला पर निम्न कानूनी धाराओं के तहत अपराध दर्ज किए गए हैं:
विदेशी नागरिक अधिनियम 1946 की धारा 14(1), पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम 1920 की धारा 3(2), 3(3), भारतीय न्याय संहिता 2023 (BNS) की धारा 318 (फर्जी पहचान बनाना), 319 (छलपूर्वक लाभ लेना), 336(3) (राष्ट्र की सुरक्षा को खतरा पहुंचाना) ।
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टीम की सक्रियता से हुआ खुलासा
इस पूरी कार्रवाई में नगर पुलिस अधीक्षक सत्य प्रकाश तिवारी, सुपेला थाना प्रभारी निरीक्षक विजय यादव, तथा एसटीएफ के सउनि रमेश सिन्हा, पंकज चतुर्वेदी और संतोष गुप्ता की सक्रिय और सटीक भूमिका रही। यह घटना न केवल भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से गंभीर है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे अवैध घुसपैठिए फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वर्षों तक सिस्टम को चकमा देते रहते हैं। पुलिस और STF की तत्परता से यह मामला उजागर हुआ और अब आगे की जांच जारी है।
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