छत्तीसगढ़ सरकार ने नशीली दवाओं के अवैध कारोबार पर लगाम कसने के लिए अपनी कार्रवाई को और तेज कर दिया है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने पुलिस के साथ मिलकर पिछले दो महीनों में 2,920 मेडिकल स्टोरों की गहन जांच की। इस दौरान नारकोटिक दवाओं की बिक्री में अनियमितता पाए जाने पर 25 मेडिकल स्टोरों के लाइसेंस रद्द या निलंबित किए गए। साथ ही, स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता लाने के लिए राज्य के सभी 144 ब्लड सेंटर्स को भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के तहत ऑनलाइन पोर्टल पर पंजीकृत करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
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नशीली दवाओं के खिलाफ अभियान
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नेशनल नारकोटिक्स कोऑर्डिनेशन (नकॉर्ड) की राज्य स्तरीय बैठक के निर्देशों के आधार पर, औषधि निरीक्षकों और पुलिस की संयुक्त टीमें सक्रिय हुईं। इन टीमों ने 3,610 मेडिकल संस्थानों के सीसीटीवी फुटेज, बिलिंग सिस्टम और नारकोटिक दवाओं के खरीद-बिक्री रिकॉर्ड की गहन जांच की। कई मेडिकल स्टोरों में बिना वैध प्रिस्क्रिप्शन के नशीली दवाएं बेचने और स्टॉक में गड़बड़ी के मामले सामने आए। इसके चलते, औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के तहत 25 मेडिकल स्टोरों के लाइसेंस निरस्त किए गए।
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ब्लड सेंटर्स का डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन
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स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटल और पारदर्शी बनाने की दिशा में छत्तीसगढ़ ने बड़ा कदम उठाया है। सभी 144 ब्लड सेंटर्स को ऑनलाइन पोर्टल पर पंजीकृत किया जा रहा है। इस प्रक्रिया के तहत लाइसेंस, रक्त भंडारण और अन्य गतिविधियों से जुड़े सभी आवेदन अब ऑनलाइन ही स्वीकार होंगे। यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं में जवाबदेही और सुगमता को बढ़ावा देगा। छत्तीसगढ़ सरकार का यह अभियान नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
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