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Raipur. देश की राजधानी दिल्ली के इंडिया गेट पर शनिवार को बढ़ते प्रदूषण के मुद्दे पर जमा हुए छात्रों के एक समूह ने अचानक नक्सली लीडर माड़वी हिड़मा के समर्थन में नारेबाजी शुरू कर दी। “हिड़मा अमर रहे” और माओवाद समर्थक नारे लगाने पर मौके पर मौजूद पुलिस ने तुरंत एक्शन लेते हुए 12 से अधिक छात्रों के खिलाफ मामला दर्ज किया और जांच शुरू की है। छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम और गृहमंत्री विजय शर्मा ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “दिल्ली में बैठकर बिना सच्चाई जाने ऐसी बातें करना उचित नहीं है। समाज और देश के लिए बोलना अच्छी बात है, लेकिन पहले तथ्य जानने जरूरी हैं। गलतफहमी में दी गई बयानबाजी ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि ये लोग बस्तर आएं और सच्चाई देंखें,उनकी पूरी व्यवस्था हम करेंगे।
पॉल्यूशन प्रदर्शन के बीच भटकी नारेबाजी :
दिल्ली पुलिस के अनुसार, कई दिनों से राजधानी में युवा पॉल्यूशन और जहरीली हवा के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। शनिवार को भी कुछ छात्र इंडिया गेट पहुंचे और प्रदूषण पर कार्रवाई की मांग को लेकर नारे लगाने लगे। लेकिन अचानक भीड़ में से कुछ छात्रों ने मृत नक्सली कमांडर माड़वी हिड़मा के समर्थन में नारे लगाने शुरू कर दिए। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया और विवाद का कारण बना। चार मिनट का वायरल वीडियो दिखाता है कि प्रदर्शनकारी छात्र माओवाद और हिड़मा की विचारधारा की खुलकर चर्चा कर रहे हैं। वे सरकारों पर “प्रॉफिट के लिए काम करने” का आरोप लगाते दिखे और कहा कि देश में नए मॉडल की जरूरत है—“वह मॉडल, जिसे माओवादी बस्तर-बीजापुर में लागू करना चाहते हैं। छात्रों ने यह भी कहा कि उन्हें “जल, जंगल, जमीन” की लड़ाई को आगे बढ़ाना है और माओवादी आंदोलन के साथ खड़े होना चाहिए।
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पेपर स्प्रे से पुलिसकर्मी घायल, सड़क जाम :
दिल्ली पुलिस अधिकारियों ने बताया कि प्रदर्शन में 50 से अधिक लोग शामिल थे, जिनमें से कुछ बीच में ही चले गए, जबकि लगभग 30 लोग सड़क पर उतरकर जाम की स्थिति पैदा कर रहे थे। जब पुलिस ने उन्हें हटाने की कोशिश की, तो कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों की आंखों में पेपर स्प्रे डाल दिया। इससे कई जवान घायल हो गए और राहगीरों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा। पुलिस ने इसे “संदिग्ध गतिविधि” बताते हुए कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है।
18 नवंबर को मारा गया हिड़मा :
कुख्यात नक्सली माड़वी हिड़मा को 18 नवंबर की सुबह छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश बॉर्डर पर सुरक्षाबलों ने एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। उसकी पत्नी सहित 7 नक्सली इस मुठभेड़ में मारे गए। हिड़मा पर 35 वर्षों में 300 से अधिक हत्याओं का आरोप था—जिनमें अधिकांश सुरक्षा बलों के जवान थे। वह दंतेवाड़ा में 76 CRPF जवानों की हत्या और राहत शिविर में 31 लोगों को जिंदा जलाकर मारने जैसी घटनाओं का मास्टरमाइंड माना जाता था।
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