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छत्तीसगढ़ में तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों ने अपनी 17 सूत्रीय मांगों को लेकर सोमवार, 28 जुलाई 2025 से राज्यव्यापी चरणबद्ध आंदोलन शुरू कर दिया है। "संसाधन नहीं तो काम नहीं" के नारे के साथ राजस्व अधिकारी तूता में धरना स्थल पर डटे हुए हैं। यह आंदोलन 30 जुलाई 2025 तक जारी रहेगा, जिसमें हर जिले से हिस्सा ले रहे हैं। हड़ताल के कारण राज्य के तहसील कार्यालयों में ताले लटक गए हैं, और राजस्व विभाग से जुड़ी तमाम सेवाएं ठप हो गई हैं, जिसका सीधा असर आम जनता पर पड़ रहा है।
राजस्व सेवाएं ठप, जनता परेशान
आंदोलन का प्रभाव पूरे छत्तीसगढ़ में देखने को मिल रहा है। तहसील कार्यालयों में जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, भूमि सीमांकन, और बंटवारे जैसे आवश्यक कार्य पूरी तरह रुक गए हैं। इससे स्कूली छात्रों, कॉलेज में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों, और सरकारी योजनाओं का लाभ लेने वाले नागरिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई कार्यालयों में ताले लटके होने की खबरें हैं, और कर्मचारियों की अनुपस्थिति ने प्रशासनिक कामकाज को ठप कर दिया है।
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काम के बोझ तले दबे हैं, संसाधन शून्य
छत्तीसगढ़ राजस्व अधिकारी संघ का कहना है कि वे संवेदनशील और जिम्मेदारी भरे कार्यों को अंजाम देते हैं, लेकिन इसके लिए न तो पर्याप्त स्टाफ है और न ही तकनीकी संसाधन। तहसीलों में कंप्यूटर ऑपरेटर, पटवारी, राजस्व निरीक्षक, वाहन चालक, और भृत्य जैसे महत्वपूर्ण पद वर्षों से खाली पड़े हैं।
इससे कार्य की गुणवत्ता और समयबद्धता प्रभावित हो रही है। संघ ने मांग की है कि जब तक सभी रिक्त पदों पर भर्ती नहीं हो जाती, लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत निर्धारित समयसीमा से छूट दी जाए। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "बिना संसाधनों के समय पर काम पूरा करना असंभव है। हमारी मांगें जायज हैं, और सरकार को इन्हें गंभीरता से लेना होगा।
प्रमुख मांगें राजपत्रित दर्जा, पदोन्नति और सुरक्षा
आंदोलनकारी अधिकारियों की 17 सूत्रीय मांगों में शामिल हैं।
राजपत्रित दर्जा : सरकार ने पूर्व में नायब तहसीलदारों को राजपत्रित अधिकारी घोषित करने का वादा किया था, लेकिन यह अब तक लागू नहीं हुआ।
पदोन्नति : तहसीलदारों को शीघ्र डिप्टी कलेक्टर पद पर पदोन्नति और 50:50 अनुपात में सीधी भर्ती की मांग।
ग्रेड पे संशोधन : तहसीलदारों के ग्रेड पे में संशोधन की प्रक्रिया वर्षों से लंबित है।
संसाधनों की कमी दूर हो : तहसीलों में सरकारी वाहन या उचित वाहन भत्ता, तकनीकी उपकरण, और स्टाफ की नियुक्ति।
न्यायिक सुरक्षा : न्यायालयीन मामलों में तहसीलदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज न हो, और उन्हें ज्यूडिशियल प्रोटक्शन एक्ट के तहत सुरक्षा दी जाए।
वादों से नहीं, निर्णयों से होगा समाधान
संघ ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि वर्षों से उनकी मांगें अनसुनी पड़ी हैं। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "हर बार वादे किए जाते हैं, लेकिन हकीकत में कुछ नहीं बदलता। अब हम सिर्फ निर्णय चाहते हैं, वादे नहीं।" आंदोलन के पहले चरण में 30 जुलाई तक तूता में धरना जारी रहेगा, और अगर मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन को और उग्र करने की चेतावनी दी गई है। संघ ने कहा, "अगर सरकार ने जल्द कदम नहीं उठाए, तो पूरे प्रदेश का प्रशासनिक कामकाज ठप हो सकता है।
सरकार के सामने चुनौती
इस आंदोलन ने छत्तीसगढ़ सरकार के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। एक ओर जहां आम जनता को राजस्व सेवाओं के ठप होने से परेशानी हो रही है, वहीं अधिकारियों का गुस्सा भी जायज मांगों को लेकर बढ़ता जा रहा है। सरकार ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, प्रशासन संवाद के जरिए इस मसले को हल करने की कोशिश में है।
जनता पर बढ़ा बोझ, हड़ताल के कारण
तहसील कार्यालयों में कामकाज ठप होने से आम नागरिकों को भारी असुविधा हो रही है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां तहसील कार्यालय ही कई सरकारी सेवाओं का एकमात्र केंद्र हैं, लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। एक स्थानीय निवासी ने कहा, "मेरे बेटे का जाति प्रमाण पत्र बनवाना है, लेकिन तहसील में कोई सुनवाई नहीं हो रही। सरकार को जल्द इस मामले को सुलझाना चाहिए।"
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