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छत्तीसगढ़ में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने कई जिलों में जनजीवन को प्रभावित किया है। इस बीच, सूरजपुर जिले में गोबरी नदी पर बना एक महत्वपूर्ण पुल अपनी जर्जर हालत के कारण चर्चा में है। यह पुल अब पूरी तरह ढहने की कगार पर पहुंच चुका है, जिससे इलाके के ग्रामीणों में भय का माहौल है। वर्ष 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा उद्घाटित यह पुल कभी क्षेत्र की शान था, लेकिन आज यह अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।
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करोड़ों की लागत, फिर भी बदहाल
करोड़ों रुपये की लागत से निर्मित यह पुल सूरजपुर को शिवप्रसाद नगर, डबरीपारा, भंवराही, बांसापारा जैसे कई गांवों से जोड़ता है। यह ग्रामीणों के लिए आवागमन का प्रमुख साधन है। लेकिन बारिश के कारण पुल की नींव कमजोर हो चुकी है और यह कभी भी बह सकता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुल की मरम्मत के लिए कई बार प्रशासन को सूचित किया गया, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। नतीजा, आज ग्रामीण डर के साये में इस जर्जर पुल से गुजरने को मजबूर हैं।
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ग्रामीणों की चिंता, प्रशासन की चुप्पी
स्थानीय निवासियों का कहना है कि बारिश के मौसम में गोबरी नदी का जलस्तर बढ़ जाता है, जिससे पुल पर खतरा और बढ़ जाता है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन की लापरवाही के चलते यह स्थिति उत्पन्न हुई है। एक स्थानीय निवासी ने बताया, "हम हर दिन जान हथेली पर रखकर इस पुल से गुजरते हैं। अगर यह टूट गया तो कई गांवों का संपर्क टूट जाएगा।" ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल मरम्मत या नए पुल के निर्माण की मांग की है।
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सुकमा में बाढ़ से निपटने की तैयारी
दूसरी ओर, सुकमा जिले में बाढ़ जैसी आपदा से निपटने के लिए प्रशासन ने कमर कस ली है। रविवार को तुंगल डेम पर बाढ़ आपदा प्रबंधन के लिए एक मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। ड्रिल में बाढ़ राहत दल ने अपनी तैयारियों का प्रदर्शन किया। यह ड्रील कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव के निर्देश पर किया गया। इस दौरान अपर कलेक्टर गजेन्द्र सिंह ठाकुर और एसडीएम सुभाष शुक्ला की मौजूदगी में जिला सेनानी नरसिंह नेताम के नेतृत्व में अभ्यास संपन्न हुआ।
मॉक ड्रिल में दिखी तत्परता
मॉक ड्रिल के दौरान बचाव दल ने आपदा के समय पानी में फंसे लोगों को खोजने, उन्हें सुरक्षित लाइव बोट तक लाने और अन्य राहत कार्यों का प्रदर्शन किया। लाइफ जैकेट का सही उपयोग, डूबते व्यक्ति को बचाने की तकनीक और अंडर वाटर ड्राइविंग जैसे महत्वपूर्ण कौशलों का डेमो भी प्रस्तुत किया गया। इस दौरान सभी बाढ़ राहत उपकरणों का परीक्षण किया गया ताकि आपदा के समय किसी भी कमी से बचा जा सके।
समय रहते जागे प्रशासन
सूरजपुर का जर्जर पुल और सुकमा की मॉक ड्रिल दो अलग-अलग तस्वीरें पेश करते हैं। जहां एक ओर प्रशासन की लापरवाही से ग्रामीणों की जान खतरे में है, वहीं दूसरी ओर आपदा प्रबंधन की तैयारियां सराहनीय हैं। जरूरत है कि सूरजपुर के गोबरी नदी पुल के लिए भी तत्काल कदम उठाए जाएं, ताकि ग्रामीणों को सुरक्षित आवागमन की सुविधा मिल सके और किसी बड़ी अनहोनी से बचा जा सके।
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